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Amend rules for packaged commodities

Amend rules for packaged commodities

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Department of Consumer Affairs should amend the rules whereby it may be compulsory to pack all commodities in true metric-spirit in units of 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500 gms or mltrs or ltrs or kgs or units only so that consumer may judge comparative prices of a commodity marketed by different companies. Any liberty to pack in units other than suggested ones gives manufacturers cheat consumers through gimmick packaging. Drug-manufacturers cheat consumers through gimmick packaging by packing commonly advertised medicines like cough-lozenges in eight per strip rather than normal ten because consumers judge prices per strip without realising number of lozenges per strip. It is necessary that suggested metric-system of packaging may be applicable on medicines also unless exemption is ...
BJP government should declare Shraddhanand Martyrdom Day as public holiday without adding new holiday

BJP government should declare Shraddhanand Martyrdom Day as public holiday without adding new holiday

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BJP led central government should honour Swamy Shraddhanand by declaring his martyrdom day of 25th December as gazetted holiday to respect sentiments of millions of Arya Samajists, without practically adding a holiday because the day is already a holiday for Christmas Day. The building where Swami Shraddhanand breathed his last is in congested Shraddhanand Marg (Naya Bazar) of Old Delhi. Government should acquire this building to convert into a national monument in memory of this great freedom-fighter whose activities were of prime importance not only for the freedom struggle but also for uplift of downtrodden, dalits and women. Swami Shraddhanand though being disciple of Arya-Samaj-founder Mahrishi Dayanand Saraswati, was an icon of national integration against British regime. He was t...
Ruling BJP gets 95-percent of electoral bonds pie: Bonds should carry names of donors

Ruling BJP gets 95-percent of electoral bonds pie: Bonds should carry names of donors

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Ruling BJP at the centre cornered major 95-percent share of total contributions made to various political parties through electoral bonds in the fiscal-year 2017-18. It is quite evident any ruling party will be getting major share of such opaque contribution because of contributors getting favours from the ruling party by themselves remaining anonymous. Contributions made to political parties should be perfectly transparent and cashless. Electoral bonds must carry names of contributors to prevent these as indirect and legalised bribing to ruling party. With central government motivating even small payments through digital banking like Bhim-app PayTM etc, ideal is to ultimately totally ban cash-contribution to any political party, with initially restricting it to rupees one hundred rather t...
जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना रामराज्य असंभव है

जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना रामराज्य असंभव है

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भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने चीन की तर्ज पर कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग किया है! गाजियाबाद के रामलीला मैदान में जनसँख्या नियंत्रण रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हजारो साल पहले भगवान राम तथा उनके भाई लक्षमण, भरत और शत्रुघन ने स्वयं हम दो-हमारे दो का पालन किया था जबकि उस समय जनसँख्या की समस्या इतनी खतरनाकनहीं थी और वर्तमान समय में तो जनसँख्या विस्फोट बम विस्फोट से भी अधिक खतरनाक है! उपाध्याय इसके पहले जनसंख्या नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल कर चुके हैं ! उपाध्याय ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है लेकिन जनसँख्या विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है! उपाध्याय ने कहा कि चीन की तर्ज पर एक कठोर जनसँख्या नियंत्रण कानून के...
डॉ. दाभोलकर, गौरी लंकेश हत्या प्रकरण में निर्दोष सनातन संस्था को फंसाना ‘मालेगाव-2’ का षड्यंत्र !

डॉ. दाभोलकर, गौरी लंकेश हत्या प्रकरण में निर्दोष सनातन संस्था को फंसाना ‘मालेगाव-2’ का षड्यंत्र !

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दाभोलकर और गौरी लंकेश की हत्या के प्रकरण में अब जांच संस्थाएं अनेक कथानक सामने रख रही हैं । गौरी लंकेश हत्या प्रकरण में विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के 18 कार्यकर्ताओं के विरोध में पूरक आरोपपत्र प्रविष्ट करने के विषय में अत्यंत हास्यास्पद प्रसिद्धिपत्रक कर्नाटक के ‘विशेष जांच दल’ ने (एसआइटी ने) प्रसिद्ध किया । जबकि ‘सीबीआइ’ ने हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था पर आरोपपत्र दाखिल करने के पूर्व ही आरोप लगाने आरंभ कर दिए हैं । अर्थात कर्नाटक में क्या हो रहा है, इस विषय में हम कर्नाटक में जाकर बात करेंगे ही; परंतु पिछले दस वर्षों का ब्योरा लें, तो कांग्रेस और सेक्यूलरवादियों का ‘मालेगाव - भाग 1’ विफल हो गया, तो अब ‘मालेगाव - भाग 2’ आरंभ करने का षड्यंत्र है । इसमें गिरफ्तार हुए कार्यकर्ता विविध संगठनों के हैं, तब भी निरंतर मीडिया के सामने नाम केवल सनातन संस्था का लेकर सनातन संस्था को लक्ष्य ...
Pakistan: Leopards Don’t Change Their Spots

Pakistan: Leopards Don’t Change Their Spots

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There is saying in English ‘leopards don’t change their spots’. If any one believes that by opening the Kartarpur Sahib Corridor, Pakistan has opened the door for better ties with India, he is far removed from reality of the situation in the South East Asia. Not only India the target of Pakistan also includes Afghanistan. Kartarpur diplomacy should be viewed with Islamabad’s evil design on our border state of Punjab. Though it must be said that the opening of the corridor is a good cause for celebrations amongst our Sikh brothers and sisters who view this historic  Gurudwara from the Indian side of the border from distance to have ‘darshan’ and pay obeisance to the Shrine. For it was here that Gurunanak Debji had assembled the Sikhs in 16th century and it was here that he went for his hea...
क्यों मैंनेजमेंट-मुलाजिम हो गए एक-दूसरे से दूर?

क्यों मैंनेजमेंट-मुलाजिम हो गए एक-दूसरे से दूर?

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यह तो दिवाली के अगले दिन की ही बात है जब दिल्ली से सटे औद्योगिक क्षेत्र फरीदाबाद में एक नामी गिरामी कंपनी के एचआर विभाग के प्रमुख की उनकी कंपनी से ही कुछ समय पहले नौकरी से बर्खास्त किए गए एक मुलाजिम ने उन्हीं के दफ्तर में गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्यारा नौकरी से निकाले जाने के बाद से ही एचआर प्रमुख को खुलेआम धमकी भी दे रहा था। उधर,नोएडा की एक चीनी कंपनी से जुड़े कर्मियों ने नौकरी से एक झटके में निकाले जाने के बाद तगड़ा बवाल काटा। उन्होंने अपने ही दफ्तर पर पत्थर भी फेंके। इनका कहना था कि इन्हें बिना किसी नोटिस दिए नौकरी से निकाल दिया गया है। यह घटना भी विगत नवंबर महीने की है। ये दोनों घटनाएं अपने आप में अपवाद की श्रेणी में नहीं आती हैं। हमारे देश में इस तरह की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है। यह एक स्पष्ट संकेत है कि प्रबंधन और कर्मियों के रिश्तों में कटुता बढ़ती ही चली जा रही है।...
अरुण तिवारी की दो नई पुस्तकें

अरुण तिवारी की दो नई पुस्तकें

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स्वामी सानंद का आत्मकथ्य : लेखक - अरुण तिवारी, प्रकाशक - पानी पोस्ट, कुल पृष्ठ - 156, सहयोग राशि - रुपये 170/- डाक खर्च अतिरिक्त।   भारतीय संस्कृति में नदी - विज्ञान व व्यवहार : लेखक अरुण तिवारी, प्रकाशक - पानी पोस्ट, कुल पृष्ठ - 52, सहयोग राशि - रुपये 70/- डाक खर्च अतिरिक्त। पुस्तकें प्राप्त करने सम्बन्धी विवरण की जानकारी लिए कृपया दिए गए लिंक पर क्लिक करें  https://www.instamojo.com/paypanipost/ ......................................................................................................................................................... पुस्तक 01 स्वामी सानंद का आत्मकथ्य यह पुस्तक स्वामी श्री सानंद से बातचीत पर आधारित है। इस बातचीत को पढ़कर आप समझ सकेंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि बांध निर्माण की कई परियोजनाओं में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल रहा एक इंजीनियर,...
हमें अपनी जड़ों को सींचना होगा

हमें अपनी जड़ों को सींचना होगा

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हम सब अच्छे जीवन, सफलता और शुभ-श्रेयस्कर होने की कामना करते हैं लेकिन जीवन तो उतार और चढ़ाव का खेल है। हम सभी कभी न कभी अवसाद और तनाव से आहत होते हैं, तो कभी दुःखों से हमारा साक्षात्कार होता है। दुःखों एवं पीड़ाओं का एहसास निरन्तर बना रहता है। जिंदगी में हमेशा सब कुछ अच्छा और सही ही हो, कहां होता है। किसी की जिंदगी में नहीं होता। जिंदगी पूरी तरह परफेक्ट ना होती है, ना होगी। व्यापार, नौकरी, सेहत या रिश्ते कोई ना कोई परेशानी चलती ही रहती है। गलतियों से, दुखों से कब तक बचा रहा जा सकता है। लेखक तोबा बीटा कहते हैं, ‘कोशिशें हमें बिल्कुल सही नहीं कर देतीं। वे केवल हमारी गलतियों को कम कर देती हैं।’ हर सुबह को हम इस सोच और संकल्प के साथ शुरू करते हैं कि हमें अपने व्यक्तित्व निर्माण में कुछ नया करना है, नया बनना है। पर क्या हमने निर्माण की प्रक्रिया में नए पदचिन्ह स्थापित करने का प्रयत्न किया? क्या ...
किसानों को गुमराह करने का षड़यंत्र क्यों?

किसानों को गुमराह करने का षड़यंत्र क्यों?

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राजधानी की सड़कें एक बार फिर देशभर से आए किसानों के नारों से गूंजती रहीं। लेकिन प्रश्न यह है कि विभिन्न राजनीतिक दलों, कृषक समूहों और समाजसेवी संगठनों की पहल पर दिल्ली आए किसानों को एकत्र करने का मकसद अपनी राजनीति चमकाना है या ईमानदारी से किसानों के दर्द को दूर करना? यह ठीक नहीं कि राजनीतिक-सामाजिक संगठन अपने हितों की पूर्ति के लिए किसानों का इस्तेमाल करें। किसान देश का असली निर्माता है, वह केवल खेती ही नहीं करता, बल्कि अपने तप से एक उन्नत राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति को भी रचता है, तभी ‘जय जवान जय किसान’ का उद्घोष दिया गया है। राष्ट्र की इस बुनियाद के दर्द पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है। कर्ज माफी और फसलों के उचित दाम के अलावा उनकी एक प्रमुख मांग किसानों के मसले पर संसद का विशेष सत्र बुलाना भी है। इसके लिए उन्होंने देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पैदल मार्च भी किया। कथित किसान हितैषी नेता...