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अनेकता में एकता की राह दिखाता है संत निरंकारी मिशन

अनेकता में एकता की राह दिखाता है संत निरंकारी मिशन

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७१वें वार्षिक निरंकारी संत समागम में निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी का उद्घोष २६ नवंबर, २०१८: संसार के लोगों में किंतनी भी विभिन्नता क्यों न हो वे सारे एक ही परमपिता परमात्मा की संतान हैं | जब यह बोध लोगों के मनों में प्रवेश करता है तब उसके मन में ईश्वर की प्रत्येक रचना के प्रति निस्वार्थ प्रेम और आदर-सत्कार की भावना उत्पन्न होती है और अनेकता में एकता की अवधारणा साकार हो उठति है | संत निरंकारी मिशन यह संदेश मिशन संपूर्ण विश्व में फैलाना चाहता है | उक्त उद्गार संत निरंकारी मिशन के आंतर्राष्ट्रीय स्तर के ७१वें वार्षिक संत समागम के उद्घाटन पर २४ नवंबर के दिन मानवता के नाम संदेश में निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने व्यक्त किए | हरियाणा के समालखा और गनौर के बीच में जी.टी.रोड पर स्थित निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर पहली बार आयोजित इस ३-दिवसीय समागम में भारत तथा दूर देशों से कर...
प्रकृति एवं पर्यावरण की उपेक्षा क्यों?

प्रकृति एवं पर्यावरण की उपेक्षा क्यों?

TOP STORIES, विश्लेषण
विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस प्रति वर्ष पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने एवं लोगों को जागरूक करने के सन्दर्भ में सकारात्मक कदम उठाने के लिए २६ नवम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के द्वारा आयोजित किया जाता है। पिछले करीब तीन दशकों से ऐसा महसूस किया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण से जुडी हुई है। इसके संतुलन एवं संरक्षण के सन्दर्भ में पूरा विश्व चिन्तित है। पर्यावरण चिन्ता की घनघोर निराशाओं के बीच एक बड़ा प्रश्न है कि कहां खो गया वह आदमी जो स्वयं को कटवाकर भी वृक्षों को काटने से रोकता था? गोचरभूमि का एक टुकड़ा भी किसी को हथियाने नहीं देता था। जिसके लिये जल की एक बूंद भी जीवन जितनी कीमती थी। कत्लखानों में कटती गायों की निरीह आहें जिसे बेचैन कर देती थी। जो वन्य पशु-पक्षियों को खदेड़कर अपनी बस्तियां बनाने का बौना स्वार्थ नहीं...
दिन ब दिन टूटते रिश्ते

दिन ब दिन टूटते रिश्ते

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हाल ही में जापान की राजकुमारी ने अपने दिल की आवाज सुनी और एक साधारण युवक से शादी की। अपने प्रेम की खातिर जापान के नियमों के मुताबिक, उन्हें राजघराने से अपना नाता तोड़ना पड़ा। उनके इस विवाह के बाद अब वे खुद भी राजकुमारी से एक साधारण नागरिक बन गईं हैं। कैम्ब्रिज के ड्यूक और ब्रिटेन के शाही परिवार के राजकुमार विलियम ने एक साधारण परिवार की कथेरिन मिडलटन से विवाह किया (2011) और आज दुनिया भर में एक आदर्श जोड़े के रूप में पहचाने जाते हैं। स्वीडन की राजकुमारी विक्टोरिया ने स्वीडन के एक छोटे से समुदाय से आने वाले डेनियल वेसलिंग से  शादी की (2010)। डेनियल कभी उनके पर्सनल ट्रेनर हुआ करते थे। मोनाको के राजकुमार रेनियर तृतीय ने हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ग्रेस केली से विवाह किया(1956)। 1982 में एक कार दुर्घटना में अपनी मृत्यु तक वे मोनाको की राजकुमारी के रूप में रेनियर तृतीय ही नहीं मोनाको के लोगों...
घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए क्यों ज़रूरी है वेतनभोगी अवकाश?

घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए क्यों ज़रूरी है वेतनभोगी अवकाश?

TOP STORIES, सामाजिक
25 नवंबर को महिला हिंसा को समाप्त करने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य पर, सरकारी सेवायें प्रदान कर रहे श्रमिक यूनियनों ने एक अभियान को आरंभ किया जिसकी मुख्य मांग है: घरेलू हिंसा से प्रताड़ित महिला को वेतनभोगी अवकाश मिले जो उसको न्याय दिलवाने में सहायक होगा. स्वास्थ्य को वोट अभियान और आशा परिवार से जुड़ीं महिला अधिकार कार्यकर्ता शोभा शुक्ला ने कहा कि हिंसा और हर प्रकार के शोषण को समाप्त करने के लिए, श्रम कानून और नीतियों में जो बदलाव ज़रूरी हैं, उनमें यह मांग शामिल है. पब्लिक सर्विसेज इंटरनेशनल की क्षेत्रीय सचिव केट लयपिन ने कहा कि वैश्विक स्तर पर #metoo ‘मीटू’ अभियान से, विशेषकर कि उच्च उद्योग में, यौन हिंसा के मुद्दे उजागर हुए हैं, परन्तु रोज़गार देने वालों की भूमिका और श्रम कानून में जो बदलाव होने चाहिए जिससे कि कार्यस्थल महिलाओं के लिए सुरक्षित हो, उनको उतना ध्यान नहीं मिला. ...
He Wants to “Smash Brahminical Patriarchy”

He Wants to “Smash Brahminical Patriarchy”

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He Wants to “Smash Brahminical Patriarchy” : Holding a Mirror to the Racist Arrogance of Jack @Twitter The outrageously racist slogan –“Smash Brahminical Patriarchy” --that Twitter CEO Jack Dorsey sported on a placard for a photo op after a closed door meeting with handpicked Indian feminists--would have gone unchallenged but for the a whole array of intellectual warriors that have emerged after decades of Nehruvian slavery to the West. They successfully punctured the pompous description of that meeting by journalist Anna MM Vetticad, who wrote, @Jack "took part in a roundtable with some of us women journalists, activists, writers... to discuss the Twitter experience in India. A very insightful, no-words-minced conversation." Twitter India has issued a half hearted statement in defence...
राम के सहारे रण

राम के सहारे रण

Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय
भाजपा पर दबाव बनाने के लिए 24 नव बर को अयोध्या में हुआ शिवसेना का जमावड़ा और 25 नव बर को विश्व हिन्दू परिषद का जमावड़ा भाजपा के लिए हिन्दुत्व के एजेंडे पर लौटने की चेतावनी है। हिन्दुओं का विश्वास फिर से जीतने के लिए मोदी सरकार को कोई बड़ा कदम उठाना पड़ेगा। अजय सेतिया 2014 के चुनावों को लेकर भाजपा में भ्रम बना हुआ है कि वह विकास के एजेंडे की जीत थी या हिंदुत्व के उभार की जीत थी। समाज के एक वर्ग का कहना है गुजरात के विकास मॉडल के कारण देश ने मोदी को विकास पुरुष के रूप में देखा।  'सब का साथ, सब का विकास’ और 'अच्छे दिन’ के नारे ने कमाल किया, जिसमें वोटरों को दिवा स्वप्न दिखाई देने लगा था। जबकि भाजपा समर्थक बुद्धिजीवियों का मानना है कि कांग्रेस की बढ़ती मुस्लिम परस्ती के कारण हिन्दुओं को मोदी के रूप में एक फरिश्ता दिखाई दिया, जिस कारण हिन्दू एकजुट हुआ। भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता जीत के...
राजनीति : कौन आगे, कौन पीछे

राजनीति : कौन आगे, कौन पीछे

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पांच राज्यों के चुनाव व लोकसभा चुनावों की आहट के बीच राजनीति नए उफान पर है। अंतत: भाजपा जाति की राजनीति की उलझनों से निकल हिंदुत्व की राजनीति पर आ ही गयी। मगर इस बदलाव में एक बड़ा उलटफेर हो गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जगह हिंदुत्व का नया चेहरा बन गए। अब मोदी पिछड़ों व दलितों के नेता हैं और विकास की राजनीति के पश्चिमी मॉडल के बड़े एजेंट, तो योगी प्रखर हिंदुत्व की मशाल को अयोध्या से उठाकर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान में सुलगा चुके हैं। 15 वर्षों से सत्तारूढ़ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जो 'एंटी इनकंबेंसी’ फेक्टर से जूझ रहे हैं, के लिए योगी आदित्यनाथ, मोदी से बड़ा सहारा बन चुके हैं। यूं तो छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी-मायावती गठजोड़ खड़ा कराकर अमित शाह व रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के चुनावों को त्रिकोणी...
उठो, फिर चलो स्टार्ट-अप के प्रेरणा स्रोतों

उठो, फिर चलो स्टार्ट-अप के प्रेरणा स्रोतों

TOP STORIES, आर्थिक
भारत में स्टार्ट-अप के शुरूआती दौर के प्रेरणा स्रोत के रूप में उभरे फ्लिपकार्ट के संस्थापक सचिन बंसल और बिन्नी बंसल की जल्दी-जल्दी से अपनी ही कंपनी से विदाई कई संदेश दे गई है। ताजा घटनाक्रम में बिन्नी बंसल ने फ्लिपकार्ट समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के पद से गंभीर व्यक्तिगत कदाचार के आरोपों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लगभग छह माह पहले जब फ्लिपकार्टपरअमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने नियंत्रण कर लिया था, तब सचिन बंसल ने फ्लिपकार्ट को छोड़ दिया था। तब कहा गया था कि वे नई स्थितियों में फ्लिपकार्ट से जुड़े रहने में असमर्थ हैं। पर तब बिन्नी ने कंपनी को नहीं छोड़ा था। अब उन्होंने भी एक बेहद निराशाजनक स्थितिमें फ्लिपकार्ट को  छोड़ दिया। तो इसका मतलब तो यह हुआ कि भारत के तमाम भावी स्टार्ट-अप, जिस कंपनी और उद्यमियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ते थे, उस कंपनी से उसके दो मूल संस्थापक अलग हो चुके...
End of anti-corruption?

End of anti-corruption?

TOP STORIES, आर्थिक
Its politics is confined to a slash and burn exercise, only useful for knocking down opponents Concerns over corruption now have a much steeper hill to climb. Its very absence as a big political issue is a sign of its power. (Representational image) In 2014, plutocracy and corruption were two big themes that defined Indian politics. The discourse of anti-corruption, and the inability of the UPA to respond to it effectively, delegitimised the Congress to an unprecedented degree. What is going to be the fate of anti-corruption politics in India? Is it at a dead end? At one level, corruption is back as a political issue. The Rafale controversy is a start. Given our track record, it is hard to see a decisive closure on the issue. The Supreme Court has now got into the act of looking i...
Reservations or the slow Death of a Nation

Reservations or the slow Death of a Nation

TOP STORIES, राष्ट्रीय
  When South Africa got independence from the white British in 1990 under the leadership of Nelson Mandela his supporters, mainly African Tribes, demanded Reservations in education sector, government sector and in private sector! Nelson Mandela replied that he will not allow any type of Reservations in any sector i.e. in education sector, in government sector and in private sector at any cost, because Reservations and the products of Reservations will destroy the whole nation! The famous statement of Nelson Mandela is displayed at the entrance of the University of South Africa thus: "Destroying any nation does not require the use of Atomic Bombs or the use of long range Missiles. It only requires Lowering the Quality of Education and Allowing Cheating in the Examina...