अब बजेगा आयुर्वेद का डंका
कुछ दिन पहले भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन का अध्यक्ष चुना ही गया था, अब उससे भी बड़ी और अच्छी खबर आई है। वह यह है कि यह संगठन आयुर्वेद का एक विश्व केंद्र भारत में स्थापित करेगा। इस विश्व केंद्र में अन्य पारंपरिक चिकित्सा-पद्धतियों की शाखाएं भी खुलेंगी। इस समय देश में 5 लाख वैद्य हैं और 10 लाख एलोपेथिक डाॅक्टर है। लेकिन आज भी देश के लगभग 80 प्रतिशत लोगों का इलाज वैद्य, हकीम और घरेलू चिकित्सक ही करते हैं, क्योंकि देश के गरीब, ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रहनेवाले लोगों के लिए मेडिकल इलाज दुर्लभ और बहुत मंहगा पड़ता है। आजकल कोरोना के कुछ मरीज़ मित्रों ने बताया कि अस्पतालों ने उनसे एक-एक लाख रु. रोज तक झटक लिये। इसके अलावा मेडिकल की पढ़ाई भी बेहद मंहगी है। उसी में छात्र इतने ठगा जाते हैं कि वे उस पैसे को बाद में अपनी मरीजों से कई गुना करके वसूलते हैं। इसके बावजूद डाक्टरों की संख्या देश में ब...