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Anti-national slogans and activities must not be tolerated at JNU-Film on inauguration of statue of Swamy Vivekanand-Celebrity having joined JNU students on 07.01.2020 should have joined the function on 12.11.2020

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It refers to some students of Jawahar Lal Nehru University (JNU) in New Delhi led by President of JNU Students Union protesting stalling statue of great internationally renowned personality Swamy Vivekanand in the university-campus on 12.11.2020 by Prime Minister Narender Modi through video-conferencing. Strict-most action is necessary against those raising highly objectionable slogans like Modi-Murdabad without even understanding meaning of the slogan.   Highly renowned lady film-personality having specially visited JNU campus New from Bollywood on 07.01.2020 to express solidarity with JNU students should have exhibited her impartiality by attending the function held for inaugurating statue of Swamy Vivekanand.   JNU has gained notoriety for regular and frequent anti-n...

Rupees 2.65 lakh crore extra relief-package for self-dependent India – Funds should be mobilised through long-term bonds for setting up district-wise food-units in country

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It refers to additional rupees 2.65 lakh crore relief-package by Union Finance Minister Nirmala Sitaraman on 12.11.2020 towards mission of self-dependent India. But all such relief-packages will require fund-mobilisation by central government either through tax-dose or deficit-financing both of which will result in price-rise adversely affecting common people. Central government should instead revive public-sector Modern Bakeries (on lines of Mother Dairy) to set up big food-processing and bakery units in each district of the country for producing packaged food to be served in trains and for mid-day meal-scheme programme feeding 12 crore children in schools. Even airlines can be approached to acquire packaged food to be served in flights apart from sale in open market to make private pl...

बिहार में राम मंदिर-सुशासन भारी पड़ा सब पर

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बिहार में राष्ट्रीय जनतात्रिक गठबंधन (एनडीए) को विधान सभा चुनावों में मिली सफलता ने तो यह सिद्ध कर ही दिया कि अब बिहार की 12 करोड़ प्रबुद्ध जनता लालू-राब़ड़ी देवी के जंगलराज में फिर से वापस जाने के लिए तैयार नहीं है। उस दौर की दहशत तो अभी भी औसत मेहनतकश बिहारी के जेहन में जीवित ही है। बिहार के मतदाताओं को लगा कि लालू-राबड़ी राज के पंद्रह सालों की अराजकता की तुलना में नीतीश कुमार-भाजपा अपने शासन के पंद्रह सालों में बिहार की रसातल में गई तस्वीर बहुत हद तक बदलने में सफल रहे। यह भी याद रखा जाना चाहिए कि मतदाताओं ने इस चुनाव में केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियों के प्रति भी अपना गहरा विश्वास जताया। मोदी जी ही इस चुनाव की बाजी पलटने का असली काम किया I जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने और राम मंदिर निर्माण का अपना सपना पूरा होने के चलते भी जनता ने एनडीए को खुलकर समर्थन दिया। बिहार के म...

दुष्काल : अच्छी बुरी खबरें और टीके की बातें

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कोरोना को लेकर दो महत्वपूर्ण खबरें है इनमें एक चौंकाने वाली है  और दूसरी राहत देनेवाली है | चौंकाने वाली खबर है, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स ने एक स्टडी के आधार पर बताया कि कोरोना से ठीक होने वाले हर ५  में से १  मरीज को ९० दिनों के अंदर मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे लोगों को दिमाग से जुड़ी अलग-अलग तरह की बीमारी हो रही है।राहत देने वाली खबर में एक बड़ी औषधि निर्माता कंपनी ने कहा है कि उसने कोविड-१९  महामारी का टीका बना लिया है जो ९० प्रतिशत तक प्रभावी है कोरोना से ठीक होने वाले कई लोगों पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा शोध किया गया। इसमें पाया गया कि२० प्रतिशत लोगों में ठीक होने के बाद दिमाग से जुड़ी समस्याएं उभरने लगी हैं। ज्यादातर लोगों को एन्जायटी, डिप्रेशन और इनसोम्निया की प्रॉब्लम है। एक बड़ी औषधि निर्माता कंपनी फाइजर ने कहा है कि उसने कोविड-19 महामारी का टीका बन...
राजनीतिक बोझ बनती काग्रेस

राजनीतिक बोझ बनती काग्रेस

CURRENT ISSUE, TOP STORIES, Uncategorized, विश्लेषण, सामाजिक
कोरोना संक्रमण की शुरूआत से अब तक जो राजनैतिक पार्टी सबसे ज़्यादा प्रताड़ित है वह कांग्रेस पार्टी है। मार्च में जब कोरोना संक्रमण के मामले आने शुरू ही हुए थे कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता चली गई, जब संक्रमण अपनी चरम पर आया तो राजस्थान में पार्टी में भगदड़ मच गई और अब बिहार चुनाव के साथ अनेक राज्यों में उपचुनाव सम्पन्न हुए, जिसमें पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन जारी है। देश में लगभग साठ वर्षों तक सत्ता सम्हालने वाली पार्टी अब क्षेत्रीय दलों पर भी बोझ हो गई है। बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनाव से भी खराब रहा, 2015 में भी कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में थे और केवल चालीस सीटों पर लड़कर 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में भी महागठबंधन के सहयोगी होकर 70 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन जीतने में सफल केवल 19 सीटों पर मिली। इसका मतलब है कि कांग्रेस पार...

फ्रांस में निर्दोषों का गला काटने वालों का भारत में साथ देनेवाले कौन

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अब यह तो सरासर ज्यादती ही कही जाएगी I कि भारत से हजारों मील दूर फ्रांस में सरकार और कठमुल्लों के बीच चल रही तनातनी के खिलाफ भारत के मुसलमानों का एक वर्ग भी आग बबूला हो उठे । यहाँ के कठमुल्ले भी मुंबई, भोपाल, सहारनपुर वगैरह शहरों में भी फ़्रांस के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि ये प्रदर्शनकारी गला काटने वाले आतंकियों के समर्थन में सड़कों पर उतर आए हैं। सच में यह ग़ज़ब के लोग है। फ्रांस में मासूमों को मारा जा रहा है और भारत में ये विक्षिप्त लोग आंदोलन कर रहे है, वह भी कातिलों के हक में।  इस मसले पर कोई बहस तो नहीं हो सकती कि पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाना सही नहीं है। पर क्या इसका जवाब मासूम लोगों की गर्दन काट कर ही दिया जाए ? गौर करें कि भोपाल में कांग्रेस विधायक के नेतृत्व में फ्रांस के खिलाफ एक रैली निकाली गई, वहीं मुंबई की गलियों को फ्रांसिसी राष्ट्रपति के ...

रात हलाला नेक है, उठते नहीं सवाल !

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(लव जिहाद और राणा जैसे बयान दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करते है। यह किसी एक राज्य, देश या समुदायों तक सीमित नही बल्कि विश्व्यापी समस्या बनता जा रहा है और इस कुचक्र का शिकार मासूम लड़कियां ही नहीं अब हम सब होते जा रहें है। धर्म के ठेकेदार हमेशा ऐसे मौकों को अपना हथियार बनाते है। गंगा जमुनी तहजीब का हवाला देकर ऐसी घटनाएं करवाना इनके नापाक कारनामों का आधार होती है.) --- डॉo सत्यवान सौरभ, रिसर्च स्कॉलर,कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट, वर्तमान दौर में ये बात अक्षरश: सही साबित हो रही है कि कुछ दक्षिणा लेकर भी बदनाम हो गए, कुछ पूरी रात हलाला कर भी नेक निकले. बहुत से कवियों ने, शायरों, साहित्यकारों ने इस देश से पैसे और पहचान कमाई. मगर कुछ लोग साम्प्रदायिकता का जहर घोलकर अपने कद को बड़ा करने की कोशिश में लगे रहते है और जात-पात एवं धर्म के झगड़ों को बढ़ावा देकर कवि धर्...

निकिता मर्डर केस, आरोपी तौसीफ ने कबूला अपना जुर्म, गृहमंत्री विज ने कांग्रेस पर फोड़ा बम

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बल्लभगढ़ के निकिता तौमर हत्याकांड के मुख्य आरोपी तौसीफ ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। इस प्रकरण की एसआईटी जांच शुरू हो चुकी है, वहीं तौसीफ के कबूलनामे के बाद जिस हथियार से निकिता की हत्या की गई थी, पुलिस ने वह भी बरामद कर लिया है। इसके साथ साथ तौसीफ को हथियार देने वाला आरोपी भी पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है। हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने एक टवीट के जरिए यह जानकारी लोगों को दी है। अनिल विज ने यह भी बताया है कि निकिता मर्डर केस की सुनवाई के लिए विशेष अदालत का गठन किया जा रहा है, ताकि इस केस की जल्द से जल्द सुनवाई हो। इस तरह से हुई निकिता की हत्या- बता दें कि हरियाणा के बल्लभगढ़ में रहने वाली निकिता तौमर की हाल ही में मेवात के रहने वाले तौसीफ नामक युवक ने दिन दहाड़े इसलिए गोली मारकर हत्या कर दी थी कि वह मुस्लमान नहीं बनना चाहती थी। कॉलेज से बाहर निकलकर जब वह अपने घर जा रही थी, तभी तौ...

भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका

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प्राचीन काल से ही हमारा भारत देश संस्कृति, रीति-रिवाजों, परम्पराओं और मूल्यों को महत्व देता रहा है। इसीलिये भारतीय संस्कृति अन्य देशों से पूर्णतया भिन्न है। इसी संस्कृति का अनुपालन करने में एक यह भी तथ्य स्पष्ट है कि देश, राज्य, समुदाय, परिवार, पड़ौस की कड़ी में से विपत्ती के समय सर्वाधिक निकट उपस्थित पड़ौस ही आपकी सर्वप्रथम मदद करता है। अन्य कोई संबंध सहायता हेतु त्वरित उपस्थित नहीं हो सकता है। यही स्थिति देशों की भी होती है। आपदा के समय जितनी त्वरित सहायता पड़ौसी देश कर सकता है, उतनी सहायता सुदूर स्थित मित्र देश भी नहीं कर सकता है। पाकिस्तान से इतर बांग्लादेश व श्रीलंका भारत के निकटस्थ देश हैं। इनमें परस्पर शान्ति, सौहार्द का वातावरण बना रहे अग्रज भ्राता होने के कारण भारत देश की यही कामना व लक्ष्य होना चाहिये, परन्तु, संबंधों में परस्पर सामंजस्य होना अति आवश्यक है। सफलता अथवा उन्नति से अपने ...

उदारता की बजाय पड़ोस में सजगता की जरूरत है।

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पड़ोस में शांति हो, तो इन्सान चैन की नींद सोता है, लेकिन यह शांति तभी बनी रह सकती है, जब पड़ोसी के साथ-साथ हम भी शांति के पक्षधर हों और ये समझ आ जाये कि क्या पडोसी शांति के लायक है?  वर्चस्व की जंग हमेशा शांति को मारने का काम करती है। फिजूल के झगड़ों को दरकिनार कर  ‘गुट निरपेक्ष’ रहना शांति का पहला कदम है।  मगर जब पानी नाक से गुजर जाए तो हम तटस्थ भी नहीं रह सकते। सही समय पर सिखाया गया सबक लम्बे समय तक शांति का नया रास्ता भी खोल सकता है। आजादी से लेकर आज तक भारत की विदेश नीति में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। आइये जानने का प्रयास करें कि वास्तव में भारत कैसा पड़ोसी है ? खासकर चीन और नेपाल के साथ "क्षेत्रीय विवाद" के चलते अपने पड़ोस के साथ भारत की विदेश नीति  अब बहस का एक सक्रिय विषय है। दक्षिण एशियाई क्षेत्र, जो आठ देशों का घर है, और हिंद महासागर क्षेत्र (समुद्री हिंद महासागर क्षेत...