उदारता की बजाय पड़ोस में सजगता की जरूरत है।
पड़ोस में शांति हो, तो इन्सान चैन की नींद सोता है, लेकिन यह शांति तभी बनी रह सकती है, जब पड़ोसी के साथ-साथ हम भी शांति के पक्षधर हों और ये समझ आ जाये कि क्या पडोसी शांति के लायक है? वर्चस्व की जंग हमेशा शांति को मारने का काम करती है। फिजूल के झगड़ों को दरकिनार कर ‘गुट निरपेक्ष’ रहना शांति का पहला कदम है। मगर जब पानी नाक से गुजर जाए तो हम तटस्थ भी नहीं रह सकते। सही समय पर सिखाया गया सबक लम्बे समय तक शांति का नया रास्ता भी खोल सकता है। आजादी से लेकर आज तक भारत की विदेश नीति में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। आइये जानने का प्रयास करें कि वास्तव में भारत कैसा पड़ोसी है ?
खासकर चीन और नेपाल के साथ "क्षेत्रीय विवाद" के चलते अपने पड़ोस के साथ भारत की विदेश नीति अब बहस का एक सक्रिय विषय है। दक्षिण एशियाई क्षेत्र, जो आठ देशों का घर है, और हिंद महासागर क्षेत्र (समुद्री हिंद महासागर क्षेत...