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Inoperative and matured accounts in post-offices

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There is huge unclaimed money lying deposited in post-offices with even many account-holders and depositors died without having informed their legal heirs. There are always chances of frauds (like in banks) that some mischievous persons in connivance with certain postal-employees may try to grab such unknown deposits. Department of Posts should send letters by registered post in name of such account-holders and depositors not having operated their accounts and claimed for maturity-amounts of deposits in last say three years giving them a reasonable period of say three months to either renew their accounts or deposits. Otherwise all such unclaimed money may be frozen in some fixed account, which may be allowed to be withdrawn only after careful verification. Details of all such accounts the...

पूर्वजों की खोज है चूड़ियाँ

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अधिकतर महिलायें चूड़ियाँ या कंगन अवश्य पहनती हैं। चूड़ियाँ और कंगन शादी शुदा महिला के लिए ख़ासा महत्व रखती हैं। कई प्रान्तों में तो इतना महत्व है की सोना नहीं तो कांच की चूड़ियाँ पहनना जरुरी होता है। बंगाल में शंका-पोला तो पंजाब में चूङे... अलग अलग प्रान्तों में अलग अलग चलन है। कहा जाता है की नई नवेली दुल्हन की कलाई चूड़ियों से भरी होती है। आमतौर पर इस सम्बन्ध में यही मान्यता है की चूड़ियाँ सुहाग की निशानी होती है और इसी कारण से पहनी जाती है। चूड़ियों की पहनने के पीछे सुहाग की निशानी के आलावा कई अन्य महत्वपूर्ण कारण भी हैं। 1- चिकत्सा के आधार पर चूड़ियों का महत्व 2- वैज्ञानिकता के आधार पर चूड़ियों का महत्व 3-मान्यता के आधार पर चूड़ियों का महत्व 1- चिकत्सा के आधार पर चूड़ियों का महत्व- चूड़ियों के हिलने और बजने से जो मधुर ध्वनि निकलती है, उस संगीत से मनुष्य को शारीरिक और मानसिक तोर पर बहु...

हिन्दू शौर्य दिवस

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11 अगस्त 1757, यह मुगलो की अंतिम सुबह थी इसके बाद सल्तनत ने ना सूर्योदय देखा न ही सूर्यास्त। लाल किले में भयंकर चिंता पसरी हुई थी मुगलो का वजीर ईमाद उल मुल्क पेशवा की शरण मे पुणे जा चुका था और पेशवा ने 30 हजार मराठो की फौज अपने भाई राघोबा के नेतृत्व में दिल्ली भेज दी। राघोबा ने लाल किले को घेरकर आग के गोले बरसाने शुरू कर दिए और लाहौर दरवाजे को ध्वस्त कर दिया। दूसरी ओर मल्हार राव होल्कर ने भी लाल किले की मजबूती को खत्म कर दिया और देखते ही देखते मराठा सेना दिल्ली में प्रवेश कर गयी। राघोबा ने सभी मराठो में जोश भरते समय छत्रपति संभाजी महाराज के साथ की गयी ज्यादती याद दिला दी थी। जिसके कारण मराठा सैनिक बहुत गुस्से में थे और क्रूर हो चुके थे, दिल्ली में प्रवेश करते ही लूट का एक भयंकर बवंडर मच गया। दिल्ली बाहर से खूबसूरत थी मगर अंदर से पांडवों की नगरी नही बल्कि अफगानिस्तान का इलाका जान पड़ती थी।...

रामजन्म भूमि आंदोलन के चीफ आर्किटेट थे अशोक सिंघल

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हिन्दू आस्था और अस्मिता के प्रतिमान प्रभु राम के अयोध्या में मंदिर निर्माण की प्रक्रिया गतिशील है, भूमि पूजन के साथ ही साथ हिन्दू आस्था और अस्मिता का प्रत्याशित आशा पूरी गयी। देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में उत्साह और हर्ष का विषय बन गया। दुनिया भर में रहने वाले हिन्दू, भूमि पूजन समारोह को अपने-अपने ढंग से मनाने और याद रखने की कोशिश काफी समय से कर रहे हैं। अयोध्या नगरी और प्रभु राम हिन्दू संघर्ष और बलिदान के भी प्रतीक बन गये हैं। कोई एक-दो साल का संघर्ष नहीं रहा है, पूरे पांच सौ साल का संघर्ष रहा है। तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार द्वारा कारसेवकों पर बर्बर गोलियां चलवाने और कोठारी बंधुओं सहित दर्जनों कारसेवकों की हत्या कराने से लेकर जिहादियों द्वारा गोधरा कांड में लगभग एक सौ से अधिक कारसेवकों को जला कर मार डालने जैसे सैकड़ों बर्बर घटनाओं की याद ताजा हो रही है। कोई भी बड़ा आंदोलन और अभिय...

कोरोना और आयुर्वेद : राजीव कुमार

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अगर हैंड सैनिटाइजर के अतिरिक्त भारत सरकार लोगों को  गिलोय ,तुलसी ,अदरक ,हल्दी आदि युक्त आयुर्वेदिक काढ़ा वितरित करती । तो कम्युनिस्ट वायरस को काफी हद तक काबू किया जा सकता है । लेकिन भारत सरकार को केवल एलोपैथी पर विश्वास है । सरकार अपने हेल्थ बजट का 98% एलोपैथी पर खर्च करती है और आयुर्वेद को समाप्त करने के लिये नए नए हथकण्डे अपनाये जाते हैं । नीम पीपल और अन्य औषधि पेड़ों के स्थान पर विदेशी गुणरहित पेडों को बीजा जाता है । आयुर्वेद को झोला छाप की संज्ञा दी जाती है । आयुर्वेद के लिये आवश्यक संस्कृत का मजाक उड़ाया जाता है । जिस एलोपैथी पर सरकार को पूरा विश्वास था अब उसने हाथ खड़े कर दिए हैं । ले देकर मुश्किल से एक दवा HCQ ढूंढ़ी गई है जो मलेरिया की दवा है । इसका क्या कुछ प्रभाव होता है या नही अभी पता नहीं । अन्धेरे में तीर छोड़े जा रहें हैं । एलोपैथी में अधिकतर वायरस जनित बीमारी की कोई दवा नही ...

Public being looted for useless outdated formality of notarization of documents

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System allows a fixed fees for getting any document notarized by authorized Notary-Public, by recording complete details in the registers required to be maintained by them. Similar may be system for Oath-Commissioners. But it is common practice that many persons charge fees as Notary-Public by simply putting a round rubber-stamp on documents without even having a register where complete details about documents are to be recorded and numbered to be endorsed on notarized documents also. There is no provision to check authenticity of such persons acting as Notary Public. Many authorized Notary Public maintaining proper registers for keeping record of notarized documents charge heavily in tunes of hundreds of rupees in place of fixed charges. Central government should publicly warn through ...

Nominations be made compulsory in all types of assets including property-deals

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Majority of court-cases are over legacy of property or other assets left by the deceased persons. Nominations should be made compulsory in all types of registered assets including property-deals, bank-accounts, shares and other,s so that disputes may not arise on death of asset-holder. Till now nomination is optional even in bank-accounts and Demat accounts for share-holding which should be made mandatory. Nomination should be compulsory even in case of joint-holdings where each of the joint-holder may register nominee for respective holding in the asset jointly held by more than one persons. Nominations can be made mandatory even in assets in hands of private firms or persons including in way of deposits. However suitable precautions are necessary to prevent some miscreant nominee wilf...

ट्राइबल डे पर विशेष

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प्रवीण शुक्ल संस्थापक, सेंटर फॉर सिविलाइजेशनल स्टडीज, दिल्ली आज आदिवासियों- मूलनिवासियों का दिवस है सो आज के दिन उपरोक्त विषय पर चर्चा बड़ी ही उपयुक्त है। भारत मे करीब 400 वर्षों से यह सिद्ध करने की कोशिश की जा रही थी भारत की अधिकांश धन-भूमि संपन्न जातियां विदेशी हैं। दुनिया भर के अभिजात्य वर्ग (इलीट) सदैव से अपने को सामान्य वर्ग से अलग दिखाते रहै है हमारे देश में भी वे कोई अलग नहीं थे, अलग दिखने के लिए खुद को सवर्ण और अन्यों को अवर्ण मानते थे। जब अंग्रेज और अन्य यूरोपीय भारत आए तो उन्होंने अपनी विजय के लिए भारत की फॉल्टलाइन यानी खामियों को ढूंढना शुरू किया। इसी क्रम में उन्होंने भारत की सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था पर शोध किया, मैक्सम्युलर जर्मनी से आ गए व से। उन्होंने पाया कि भारत की एलीट बिरादरी सुविधा संपन्न होने के साथ-साथ सत्ता पर भी आसीन थी, ऐसा नहीं है कि दलित पिछड़ी जातियों के...

आत्मनिर्भर भारत की ओर

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सरकार ने स्वदेशी को बढ़ावा। देने के लिये 52000 करोड़ का अलग रक्षा फण्ड देश में निर्मित हथियारों के लिये दिया । इससे टाटा drdo द्वारा विकसित WHAP KESTRAL ,SSS डिफेंस की रईफल ,कल्याणी ग्रुप की आर्टिलरी तोप आदि की खरीद का रास्ता साफ हो गया । डिफेंस में 101 वस्तुओं की सूची जारी की गई है जिसका इम्पोर्ट नहीं हो सकता । इसमें SMALL TRASPORT AIRCRAFT भी शमिल है । NAL जो कि सरकारी कंपनी है एयरफोर्स को अब उसका बनाया SARAS हवाई जहाज खरीदना पड़ेगा । इसी तरह HAL का अटैक हेलीकॉप्टर LCH भी अब आर्मी को खरीदना ही पड़ेगा क्योंकि यह भी बाहर से IMPORT नहीं हो सकता  । मोदी जी अब दिशा सही पकड़ ली है । GLOBALIZATION का रास्ता छोड़कर अब LOCALIZATION यानि स्वदेशी की राह पकड़ ली है । मोदी जी आजकल जो भी उदबोधन हैं उनमें आत्मनिर्भर भारत को प्रमुखता से रखा जाता है । सरकार की तरफ से लगातार स्वदेशी की औऱ चरणबद्ध तरीके से प्रया...

श्रीकृष्ण मोहिनी मूरत के बहुआयामी नायक

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-ललित गर्ग - श्रीकृष्ण का चरित्र अत्यन्त दिव्य, अलौकिक एवं विलक्षण है और उनका जन्मोत्सव का पर्व उससे भी अधिक दिव्य एवं विलक्षण है। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव-जन्माष्टमी पर हमें उनसे प्रेरणा लेकर जीवन को जटिल नहीं, सरल और सहज बनाते हुए मानवता के अभ्युदय के लिये पुरुषार्थी प्रयत्न करने चाहिए, तभी इस पर्व को मनाने की सार्थकता है। श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व एवं कृतित्व बहुआयामी एवं बहुरंगी हंै, देश ही नहीं दुनिया के लिये वे एक महान् क्रांतिकारी महानायक एवं युगावतार हंै, उनमें बुद्धिमत्ता, चातुर्य, युद्धनीति, आकर्षण, प्रेमभाव, गुरुत्व, सुख, दुख और न जाने कितनी विशेषताओं एवं विलक्षणताओं को स्वयं में समेटे हैं। एक भक्त के लिए श्रीकृष्ण भगवान तो हैं ही, साथ में गुरु भी हैं जो जीवन जीने की कला सिखाते है। उन्होंने अपने व्यक्तित्व की विविध विशेषताओं से भारतीय-संस्कृति में महानायक का पद प्राप्त किया। ...