“आलेखों से निकलती राहें” नामक पुस्तक का प्रकाशन
डॉ. शंकर सुवन सिंह की प्रकाशित पुस्तक "आलेखों से निकलती राहें" शिक्षा, संस्कृति,
प्रकृति, विज्ञान और राष्ट्र के विकास पर आधारित है। शिक्षा, संस्कृति, प्रकृति, विज्ञान
और राष्ट्र का विकास जीवन को बल देता है। यही बल आत्म बल कहलाता है। हिन्दुओं के
पवित्र ग्रन्थ भगवद्गीता में कहा गया है ""नायं आत्मा बल हीनेंन लभ्यः"" अर्थात यह
आत्मा बलहीनो को नहीं प्राप्त होती है ।" शिक्षा, संस्कृति, प्रकृति, विज्ञान और राष्ट्र का
विकास जीवन को बल देता है। यही बल आत्म बल कहलाता है। इस पुस्तक में कुल २०
चैप्टर हैं | पुस्तक के प्रकाशित होने के उपलक्ष्य में विधान सभा अध्यक्ष (उत्तर प्रदेश) ओर
से पी. आर. ओ. पंकज मिश्रा ने शंकर सुवन सिंह को सुभकामनाएँ दी | डॉ शंकर सुवन
सिंह की छोटी बहन अपर सिविल जज(उत्तर प्रदेश) चारु सिंह ने पुस्तक की सराहना की
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