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“आलेखों से निकलती राहें” नामक पुस्तक का प्रकाशन

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डॉ. शंकर सुवन सिंह की प्रकाशित पुस्तक "आलेखों से निकलती राहें" शिक्षा, संस्कृति, प्रकृति, विज्ञान और राष्ट्र के विकास पर आधारित है। शिक्षा, संस्कृति, प्रकृति, विज्ञान और राष्ट्र का विकास जीवन को बल देता है। यही बल आत्म बल कहलाता है। हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ भगवद्गीता में कहा गया है ""नायं आत्मा बल हीनेंन लभ्यः"" अर्थात यह आत्मा बलहीनो को नहीं प्राप्त होती है ।" शिक्षा, संस्कृति, प्रकृति, विज्ञान और राष्ट्र का विकास जीवन को बल देता है। यही बल आत्म बल कहलाता है। इस पुस्तक में कुल २० चैप्टर हैं | पुस्तक के प्रकाशित होने के उपलक्ष्य में विधान सभा अध्यक्ष (उत्तर प्रदेश) ओर से पी. आर. ओ. पंकज मिश्रा ने शंकर सुवन सिंह को सुभकामनाएँ दी | डॉ शंकर सुवन सिंह की छोटी बहन अपर सिविल जज(उत्तर प्रदेश) चारु सिंह ने पुस्तक की सराहना की ...

ओवैसी जी ! राम का नाम तो लेगा ही भारतवासी

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  अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास क्या हो गया कि असदुद्दीन ओवैसी तथा आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की छाती पर सांप लोटने लगा। ये तब से ही यह कहने लग रहे हैं कि भारत में धर्मनिरपेक्षता खतरे में है। ओवैसी को तो मानो एक बड़ा मौका ही मिल गया है हिन्दुओं को उकसाने  और मुसलमानों को भड़काने का। असदुद्दीन ओवैसी तथा  आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जिस बेशर्मी से राम मंदिर के भूमि पूजन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ज़रिये उसकी आधारशिला रखे जाने पर अनाप-शनाप बोला उससे तो कुछ न कुछ समाज बंटेगा ही। ओवैसी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने घोर गैर-जिम्मेदारी का परिचय दिया है। ये नहीं चाहते कि भारत विकसित हो और एक विश्व गुरु बने।  भविष्य में क्या होगा इसका दावा तो कोई नहीं कर सकता I लेकिन, अब अगर बाबरी पर प्रश्न उठेगा तो साफ है कि मुसलमान समाज अपने वादे से मुकर रहे हैं कि वे पूरी तौर प...

Declining number of successful Hindi medium aspirants in Civil Services

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Union Public Service commission (UPSC) has declared the results of 2019 exam. 829 candidates have been selected. These selected candidates will hold senior  positions in the government machinery, as senior administrators, diplomats, senior police officials etc. These are backbone of the government and was termed steel frame of India by Sardar Patel. Everything is upto the mark till here. But the worrying trend witnessed by past few years, also continued this year. Actually, number of students excelling in this exam taking hindi as a medium of examination is declining. This time highest ranker with hindi medium secured 317th rank. Means upto rank 316th  was dominated by the students of english medium. There may be a few exceptions also.   For the person securing 317th rank, getti...

ये स्कूल हैं या शोषण के शिकंजे

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सरकार तो सरकार अदालत के आदेश को अंगूठा बताते स्कूलों के बारे में क्या कहा जाये ? ये शोषण के शिकंजे अपने ब्रांड बन चुके नाम के आधार पर कोरोना काल में भी शोषण का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं | मनमानी फीस वसूलने के आदी हो चुके इन नामी स्कूलों ने ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर उन्होंने अपने विद्यार्थियों को स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि के जरिये पढ़ाई कराने की राह तलाश ली है। इसके साथ ही उन्होंने फीस वसूलने का आधार भी तय कर लिया है। बस अंतर यह है कि वे कहने को ट्यूशन फीस ही वसूल रहे हैं। कुछ राज्य सरकारों  जैसे गुजरात ने  गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के बाद कड़ा कदम उठाते हुए राज्य में स्कूलों पर बच्चों से स्कूल बंदी के दौर में किसी भी तरह की फीस लेने पर रोक लगा दी है। गुजरात सरकार ने इस सिलसिले में अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसके तहत अगर बंदी के दौरान कोई स्कूल फीस लेता भी है तो उसे या तो अगले महीने की फीस में सम...

श्रीलंका में हुआ भाई-भाई राज

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श्रीलंका में हुए संसदीय चुनाव में वहां भाई-भाई राज कायम कर दिया है। अब उस पर मोहर लगा दी है। बड़े भाई महिंद राजपक्ष तो होंगे प्रधानमंत्री और छोटे भाई गोटाबया राजपक्ष होंगे राष्ट्रपति ! इनकी पार्टी का नाम है- ‘श्रीलंका पोदुजन पेरामून’। यह नई पार्टी है। जिन दो बड़ी पार्टियों के नाम हम दशकों से सुनते आ रहे थे—— श्रीलंका फ्रीडम पार्टी और युनाइटेड नेशनल पार्टी— वे लगभग शून्य हो गई हैं। इन पार्टियों के नेताओं— श्रीमावो भंडारनायक, चंद्रिका कुमारतुंग, जयवर्द्धन, प्रेमदास आदि से मैं कई बार मिलता रहा हूं, उनके साथ यात्राएं और प्रीति-भोज भी होते रहे हैं। इनमें से ज्यादातर दिवंगत हो गए हैं, जो बचे हैं, उन्हें श्रीलंका के लोगों ने घर बिठा दिया है। पिछली सरकार में राष्ट्रपति थे मैत्रीपाल श्रीसेन और प्रधानमंत्री थे- रनिल विक्रमसिंघ। इन दोनों ने गठबंधन करके सरकार बनाई थी लेकिन दोनों की आपसी खींचातानी और भ्र...

हर परिस्थिति में अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहने वाले योद्धा का नाम है योगी आदित्यनाथ….

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वे जब नाथ सम्प्रदाय के एक सामान्य सन्यासी थे, तब भी स्पष्ट बोलते थे। जब महन्थ हुए, तब भी स्पष्ट बोलते रहे... भारत की लोकतांत्रिक परम्परा है कि राजनीति में आते ही व्यक्ति की धर्म विषयक प्रखरता समाप्त हो जाती है, पर योगी जी जब सांसद बने तब भी स्पष्ट बोलते रहे। और जब वे देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री हुए तब भी स्पष्ट बोलना नहीं छोड़ा। भारतीय राजनीति में हिन्दू जनभावना के पक्ष में इतनी प्रखरता से बोलने वाला एक भी व्यक्ति नहीं। योगी जी की कई बातों के लिए आलोचना हो सकती है। उनके काम करने के तरीके को लेकर, उनके प्रशासन की अक्षमता-सक्षमता को लेकर, उनकी सरकार की कमियों को लेकर... आलोचनाएं होती हैं, होनी भी चाहिए। हर सरकार की कुछ अच्छाइयां होती हैं, तो कुछ कमजोरियां भी होती हैं। योगी सरकार की भी अनेक कमियां होंगी, उनकी सभ्य आलोचना हो सकती है। पर इतना अवश्य है कि अपने जिस हिंदुत्ववादी विचारधारा...

जिन्ना का द्विराष्ट्रवाद

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अब आप इसे महज एक कोरी धमकी मानें, या फिर एक गंभीर चेतावनी या फिर एक बड़ा खतरा, ये पूरी तरह आप पर है, पर कुछ मान लेने के पहले कुछ जान लेना बेहतर ही होता है। है न? वाकये तलाशे जाएं तो सदियों पीछे तक के दुनिया के इतिहास में तमाम वाकये मिल जाएंगे, पर उतना पीछे, उतना दूर जाने की जरूरत नहीं दिखती। अपना ही मामला, वो भी सौ साल के अंदर का देखें, वही बहुत कुछ साफ कर देगा। आजादी के ऐन पहले यानी 1946 में ब्रिटिश इंडिया की प्रांतीय सभाओं (इसे आज की विधानसभा की तरह समझिये) के लिए कुल 1585 सीटों पर चुनाव हुए। यह चुनाव मुख्यतः काँग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच सिमट आया था। मुस्लिम लीग का मुख्य या यूँ कहें कि अकेला चुनावी मुद्दा पाकिस्तान बनाने की अपील थी, जिन्ना का द्विराष्ट्रवाद का सिद्धांत था, जिसके मुताबिक हिन्दू और मुस्लिम, दो अलग-अलग कौमें हैं, जो एकसाथ नहीं रह सकते, अतः दोनो को जनसंख्या में बाहुल...

CSE welcomes notification of Electric Vehicle Policy by Delhi government

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PRESS RELEASE Aim is to achieve 25 per cent electrification of new vehicle fleet by 2024     Notification gets legal backing for time-bound implementation   Can have a national spin-off as Delhi isa major vehicle market   Transformation of Delhi market can create upward pressure for zero emissions mandate for the automobile industry   Requires disciplined milestones for time-bound implementation to achieve stated targets and raise the level of ambition   Commendable that the COVID-19 related economic crisis has not come in the way of this decision, says CSE         New Delhi August 7, 2020: Centre for Science and Environment (CSE)...

British legacy of bungalow-peons still continues at Railway Ministry

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It refers to shocking news that 9-member committee of Executive Directors of Railway Board had unanimously endorsed continuing of 100-year old British legacy of Telephone Attendant cum Dak Khalasis TADKs (bungalow peons) for railway-officers despite Prime Minister Office having six years ago recommended abolishing of princely facility. Even Seventh Pay Commission left the decision to Railway Board. It is but natural that since decision-takers at Railway Ministry are themselves beneficiary of anti-public practice, they may never decide against retention of the system. Even the appointment-process of TADKs has been controversial with Central Administrative Tribunal questioning the manner of appointment of TADKs at Railways. News-item further exposes orders of Tamil Nadu government wherein...

विश्व शांति के लिए बमों की बजाय समन्वयक विचारों पर बल देने की ज्यादा जरूरत

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( क्षेत्रीय परमाणु चुनौतियों के साथ-साथ साइबर सुरक्षा, आर्टिफ़िशियल इंटैलीजेंस और अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक हथियारों से पैदा हो रहे ख़तरों को भी समझा जाए. )   ----प्रियंका सौरभ  विश्व शांति के लिए बमों की बजाय समन्वयक विचारों पर बल देने की ज्यादा जरूरत है. पूरी दुनिया में आज आज ऐसे-ऐसे हथियार मौजूद है जो पालक झपकते ही इनको खत्म कर सकते है. यही नहीं दुनिया को भी सैंकड़ों बार खत्म कर सकते है. आज अधिकांश सदस्य देश इनजनसंहार के हथियारों का ख़ात्मा चाहते हैं लेकिन फिर भी निरस्त्रीकरण सम्मेलनों में पिछले दो दशकों से इस पर बातचीत नहीं हुई है. इसके चलते हथियारों पर नियंत्रण के मुद्दों पर वार्ता हो रही है.  इसके अलावा हथियारों के क्षेत्र में नई तकनीकें इन जोखिमों को ऐसे बढ़ा रही हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. परमाणु हथियारों ने मानव सृष्टि को जितना नुकस...