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विश्व शांति के लिए बमों की बजाय समन्वयक विचारों पर बल देने की ज्यादा जरूरत

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( क्षेत्रीय परमाणु चुनौतियों के साथ-साथ साइबर सुरक्षा, आर्टिफ़िशियल इंटैलीजेंस और अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक हथियारों से पैदा हो रहे ख़तरों को भी समझा जाए. )   ----प्रियंका सौरभ  विश्व शांति के लिए बमों की बजाय समन्वयक विचारों पर बल देने की ज्यादा जरूरत है. पूरी दुनिया में आज आज ऐसे-ऐसे हथियार मौजूद है जो पालक झपकते ही इनको खत्म कर सकते है. यही नहीं दुनिया को भी सैंकड़ों बार खत्म कर सकते है. आज अधिकांश सदस्य देश इनजनसंहार के हथियारों का ख़ात्मा चाहते हैं लेकिन फिर भी निरस्त्रीकरण सम्मेलनों में पिछले दो दशकों से इस पर बातचीत नहीं हुई है. इसके चलते हथियारों पर नियंत्रण के मुद्दों पर वार्ता हो रही है.  इसके अलावा हथियारों के क्षेत्र में नई तकनीकें इन जोखिमों को ऐसे बढ़ा रही हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. परमाणु हथियारों ने मानव सृष्टि को जितना नुकस...

हिंदी ही क्यों

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अभी सोशल मीडिया पर मेरे आदर्श साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की 140वीं पुण्यतिथि पर तमाम लोगों ने श्रद्धांजलि सुमन अर्पित किया था। *मैंने नहीं किया। क्यों?* क्योंकि मैंने ये व्रत ले रखा है कि *जब तक उच्चतम न्यायालय में हिंदी को मान्यता नहीं मिल जाती तब तक देश,काल की सीमाओं से परे,हिंदी को जन जन का कंठाहार बनाने वाले मुंशीजी ही नहीं हिंदी के किसी भी साहित्यकार  को श्रद्धांजलि सुमन अर्पित करने का कोई  औचित्य नहीं है वो भी खानापूर्ति के लिए।* आज भारत ऐसे भाषाई संक्रमण काल से गुजर रहा है जिसमें हिंदी तो छोड़िए तमाम उत्तर भारतीय भाषाएं व साहित्य यथा-कश्मीरी, डोगरी,पंजाबी,कुमाउँनी, गढ़वाली,ब्रजभाषा,अवधी,भोजपुरी, मैथिली कुछ कुछ विलुप्तावस्था के कगार पर ही हैं। *आज आप अपने बच्चों से शुद्ध हिंदी अथवा अपने मातृभाषा में बात करके देखिए,व्याकरण तो छोड़िए उच्चारण व शब्दार्थ ही उनके प्राण खींचने के लिए काफी हैं।...

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरणों में अब कम हो जाएगी ऊर्जा की खपत

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उमाशंकर मिश्र Twitter handle: @usm_1984 नई दिल्ली, 7 अगस्त (इंडिया साइंस वायर): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद के शोधकर्ता अगली पीढ़ी के मैग्नेटिक क्वांटम डॉट सेलुलर ऑटोमेशन आधारित नैनो-मैग्नेटिक कंप्यूटिंग चिप विकसित कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि क्वांटम डॉट्स नैनोमीटर आकार के छोटे अर्धचालक कण होते हैं, जिनमें ऑप्टिकल और इलेक्ट्रॉनिक गुण होते हैं। यह कंप्यूटिंग चिप डिजाइन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नई पीढ़ी के उपकरणों के विकास में उपयोगी हो सकती है। इसके साथ ही, शोधकर्ता बाइनरी योजक (Binary Adder), जो सभी तरह के डिजिटल लॉजिक सर्किट का एक प्रमुख घटक होता है, के उपयोग के लिए नैनो-मैग्नेटिक कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर की डिजाइन पद्धति भी विकसित कर रहे हैं। यहां बाइनरी योजक से तात्पर्य एक प्रकार के डिजिटल सर्किट से है, जिसका संबंध संख्याओं को जोड़ने से है। परंपरा...

उच्च शिक्षा कॉन्क्लेव में प्रधानमंत्री के सम्‍बोधन का मूल पाठ

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नमस्कार! मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्रीमान रमेश पोखरियाल निशंक जी, श्रीमान संजय धोत्रे जी, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले देश के जाने- माने वैज्ञानिक डॉ कस्तूरी रंगन जी और उनकी टीम, इस सम्मलेन में भाग ले रहे वाइस चांसलर्स, अन्य सभी शिक्षाविद, सभी महानुभाव, आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन। National Education Policy- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में आज का ये event बहुत महत्वपूर्ण है। इस कॉन्क्लेव से भारत के Education World को National Education Policy- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी। जितनी ज्यादा जानकारी स्पष्ट होगी फिर उतना ही आसान इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का Implementation भी होगा। साथियों, 3-4 साल के व्यापक विचार-विमर्श के बाद, लाखों सुझावों पर लंबे मंथन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्...

Shinier, robust and pinchpenny LEDs

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India Science Wire New Delhi, Aug 07 (India Science Wire): Light-emitting diodes (LEDs) have replaced the ordinary bulbs and they can further reduce the energy needs on large scale. Researchers from the Indian Institute of Technology (IIT), Guwahati and Imperial College London, UK, have developed a tailored ‘meta-grid’ of nanoparticles that could make light-emitting diodes (LEDs) even brighter, energy- efficient and durable. 'Meta-grid' or ‘metamaterial grid’ is a specifically patterned array (grid) of nanoparticles acting as metamaterials, capable of exhibiting extraordinary optical properties. Over the years, a significant research drive towards this objective is in exploring new materials for LED-chip encapsulation, mostly by deploying either higher refractive in...

Indian researchers take a step towards improving wave forecasts

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New Delhi, Aug 07 (India Science Wire): Researchers at the Indian National Centre for Ocean Information Services (INCOIS), Hyderabad have found a method of improving wave forecasts. They have ascertained that certain phases of boreal summer intra seasonal oscillation or BSISO induce high wave activity in the northern Indian Ocean and Arabian Sea. The finding will help to improve wave forecasts in the Indian coastal region and help mitigate the adverse impacts of high waves such as coastal flooding and erosion. It will also aid better planning of sea navigation routes in the northern Indian Ocean waters. Boreal Summer Intra-Seasonal Oscillation (BSISO) is the movement of convection (heat) from the Indian Ocean to the western Pacific in roughly every 10–50 days of the monsoon season f...

विश्व शांति के लिए बमों की बजाय समन्वयक विचारों पर बल देने की ज्यादा जरूरत

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 ( क्षेत्रीय परमाणु चुनौतियों के साथ-साथ साइबर सुरक्षा, आर्टिफ़िशियल इंटैलीजेंस और अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक हथियारों से पैदा हो रहे ख़तरों को भी समझा जाए. )    विश्व शांति के लिए बमों की बजाय समन्वयक विचारों पर बल देने की ज्यादा जरूरत है. पूरी दुनिया में आज आज ऐसे-ऐसे हथियार मौजूद है जो पालक झपकते ही इनको खत्म कर सकते है. यही नहीं दुनिया को भी सैंकड़ों बार खत्म कर सकते है. आज अधिकांश सदस्य देश इनजनसंहार के हथियारों का ख़ात्मा चाहते हैं लेकिन फिर भी निरस्त्रीकरण सम्मेलनों में पिछले दो दशकों से इस पर बातचीत नहीं हुई है. इसके चलते हथियारों पर नियंत्रण के मुद्दों पर वार्ता हो रही है.  इसके अलावा हथियारों के क्षेत्र में नई तकनीकें इन जोखिमों को ऐसे बढ़ा रही हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. परमाणु हथियारों ने मानव सृष्टि को जितना नुकसान पहुँचाया है...

बड़ी खबर- भारत के 100 करोड़ हिंदुओं के लिए आई बड़ी खबर।

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भगवान राम की पवन जन्मस्थली अयोध्या को उसका वाजिब हक दिलाने के बाद अब भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा को भी मुगलिया शासकों द्वारा जबरन बनाई गई  मस्जिद से पूरी तरह आजाद कराने की महामंडलेश्वर संतो ने की तैयारी* *मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट स्थापित: 14 राज्यों के 80 संत-महामंडलेश्वर जुड़े, आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए शुरू होगा हस्ताक्षर अभियान* *अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर भूमिपूजन के साथ ही अब मथुरा में 14 राज्यों के 80 संतों के साथ श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास की स्थापना की गई है। अयोध्या के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए आंदोलन की रणनीति पर चर्चा जोरों पर है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रस्ट के प्रमुख आचार्य देवमुरारी बापू ने कहा, “हमने 23 जुलाई को ‘हरियाली तीज’ के अवसर पर पंजीकरण कराया और वृंदावन से 11 संत आए, जो ट्रस्ट का हिस्सा हैं।”* *आचार्...

Union Corporate Affairs Ministry should arrange common and simple procedure for DEMAT and other requirements about shares

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Union Ministry for Corporate Affairs should have a complete and thorough study of different types of procedures adopted by different companies in respect of shares-certificates still held in physical form by large number of share-holders. Many aged share-holders because of non-awareness or death of spouses or relations have not been able to get their decades-old share-certificates dematerialized. There are also cases where due to some reasons, premises registered with companies locked with companies now requiring latest share-certificates issued after premises being locked for dematerialization. It is quite common that signatures of share-holders differ after decades. Many companies require signature-verifications according to their own format but on letter-heads of banks. But banks pro...

भांग के औषधीय गुणों की खोज में मददगार हो सकती है नई शोध परियोजना

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नई दिल्ली, 6 अगस्त (इंडिया साइंस वायर): वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला केंद्रीय सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के वैज्ञानिकों द्वारा संचालित एक शोध परियोजना के तहत कैनाबिडिओल (सीबीडी), टेट्राहाइड्रोकैन्नाबिनॉल (टीएचसी) और कैनबिनोइड्स टरपीन से युक्त भांग की प्रजातियों की पहचान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये तत्व अवसाद, घबराहट और दौरे जैसी स्थिति के उपचार में प्रभावी हो सकते हैं। मुख्य शोधकर्ता डॉ. बिरेन्द्र कुमार ने बताया कि इस परियोजना के तहत गंभीर दुष्प्रभाव पैदा करने वाली सिंथेटिक और रासायनिक दवाओं के प्राकृतिक विकल्प के रूप में भांग के अर्क की उपयोगिता का वैज्ञानिक परीक्षण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ महीनों में टीएचसी, सीबीडी, टीएचसी-ए और कैनबिनोइड्स टरपीन के विभिन्न स्तरों वाले भांग के कई रूपों की खोज की गई है, ...