चुनोतीपूर्ण समय और ये किंतु परंतु
जैसा कि मैंने पूर्व में अनुमान व्यक्त किया था उसी अनुरूप अमेरिका में जो बाइडन द्वारा राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने के साथ ही अमेरिका की दक्षिण एशिया नीति में आए बदलावों व भारत की कूटनीतिक सक्रियता के कारण एक ओर जहाँ चीन और फिर पाकिस्तान ने भारत से संबंध सुधारने व सीमा पर तनाव कम करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी वहीं भारत में लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन व उसको मिल रहे खालिस्तानी समर्थक प्रवासी भारतीयों व कनाडा आदि की सरकारों के समर्थन में ख़ासी कमी आने लगी। यह ज़रूरी नहीं क़ि सब कुछ पूर्णत: शांत हो जाए व स्थितियाँ पहले जैसी हो जाए, मगर कुल मिलाकर नियंत्रण से नहीं निकलेंगी। सरकार व भाजपा के संकटमोचक भी पर्दे के पीछे सक्रिय हैं और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गयी समिति भी पूर्णरूप से सक्रिय है जिस कारण फ़िलहाल तो आंदोलन की धार कुंद हो ही गयी। आंदोलन की समाप्ति हेतु सरकार समाधान की इच्छुक ह...