Shadow

कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज में फायदेमंद हो सकती है लौंग

नई दिल्ली, 09 दिसंबर (इंडिया साइंस वायर):हृदय और रक्तवाहिकाओं संबंधी बीमारियों और टाइप-2 डायबिटीज जैसे चयापचय विकारों के उपचार के लिए शरीर में स्वाभाविक रूप से पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट ग्लूटाथियोन को बढ़ाना प्रभावी रणनीति माना जाता है। लेकिन, सिंथेटिक ग्लूटाथियोन अस्थिर है और जैविक उपलब्धता भी सीमित है।

भारतीय मसालों के एक महत्वपूर्ण घटक लौंग को स्वाभाविक रूप से चयापचय संबंधी विकारों को कम करने के लिए जाना जाता है। एक नये अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने लौंग के गुणों को बारीकी से समझने का प्रयास किया है। उनका यह प्रयास यह पता लगाने पर केंद्रित है कि शरीर में प्राकृतिक ग्लूटाथियोन का स्तर बढ़ाने में लौंग कितनी प्रभावी हो सकती है।

सेंट थॉमस कॉलेज, कोट्टयम, केरल के शोधकर्ताओं द्वारा किये गए इस अध्ययन के दौरान लौंग के जलीय अर्क के संभावित सक्रिय घटक क्लोविनॉल के गुणों की पड़ताल की गई है। इस अध्ययन में, ग्लूटाथियोन का स्तर बढ़ाने के लिए चयापचय विकारों से ग्रस्त रोगियों के दो अलग-अलग समूहों को क्रमशः क्लोविनॉल और सिंथेटिक ग्लूटाथियोन की नियंत्रित मात्रा दी गई और फिर दोनों के प्रभावों की तुलना की गई है।

अध्ययन में ऐसे प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनमें प्री-डायबिटिक स्थितियों और चयापचय संबंधी विकारों का निदान किया गया था। इन प्रतिभागियों के नमूने आनंद मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल, वडोदरा, गुजरात से प्राप्त किए गए हैं, जिन्हें दो समूहों में बाँटा गया है। एक समूह को क्लोविनॉल और दूसरे समूह को सिंथेटिक ग्लूटाथियोन कैपसूल की डोज 12 सप्ताह तक दी गई है। दोनों समूहों को सिंथेटिक ग्लूटाथियोन और क्लोविनोल के 250 मिलीग्राम प्रत्येक के खाद्य-ग्रेड कैप्सूल दिये गए हैं।

12 सप्ताह के बाद प्रतिभागियों ने 10 घंटे का उपवास किया। इसके बाद, प्रतिभागियों से प्राप्त रक्त के नमूनों में, शोधकर्ताओं ने एंटीऑक्सिडेंट परीक्षण किट के उपयोग से एंटीऑक्सिडेंट मार्करों की मात्रा का अनुमान लगाया है। सिंथेटिक ग्लूटाथियोन लेने वाले समूह की तुलना में क्लोविनोल कैप्सूल का सेवन करने वाले समूह में एंटीऑक्सिडेंट के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।

शोधकर्ता रतीश मोहनन कहते हैं – “क्लोविनोल से उपचारित प्रतिभागियों में एंटीऑक्सिडेंट का स्तर दूसरे समूह के प्रतिभागियों के मुकाबले लगभग 46% अधिक पाया गया है।”

एक स्वचालित जैव रासायनिक विश्लेषक का उपयोग करते हुए फास्टिंग ब्लड शुगर, इंसुलिन के स्तर और लिपिड प्रोफाइल सहित कई अन्य मापदंडों का भी विश्लेषण किया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिदिन 250 मिलीग्राम क्लोविनोल ने कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को उल्लेखनीय रूप से कम किया और रक्त शर्करा को भी नियंत्रित किया। हालांकि, सिंथेटिक ग्लूटाथियोन का रक्त शर्करा और लिपिड चयापचय पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा।

शोधकर्ताओं का कहना है कि चयापचय विकारों वाले रोगिओं के उपचार में तेजी लाने के लिए क्लोविनोल के सेवन की रणनीति  आजमाई जा सकती है। चयापचय संबंधी विकारों से ग्रस्त लोग एंटीऑक्सिडेंट स्तर को बनाये रखने और स्वस्थ रहने के लिए ऐसे न्यूट्रास्यूटिकल उत्पाद का संतुलित सेवन कर सकते हैं। हालांकि, लौंग की अधिक मात्रा आयरन के अवशोषण में हस्तक्षेप कर सकती है और एनीमिया का कारण बन सकती है। इसीलिए, सेवन से पहले डॉक्टर से मशविरा लेना और मानक मात्रा का निर्धारण आवश्यक है।

इस अध्ययन में, सेंट थॉमस कॉलेज, कोट्टयम, केरल के रतीश मोहनन के अलावा, लीड्स क्लीनिकल रिसर्च ऐंड बायो सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरू के जस्टिन थॉमस; आनंद मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वड़ोदरा के आनंद पाटिल; एके नेचुरल इन्ग्रेडिएंट्स, कोचीन, केरल के श्याम दास शिवदासन एवं कृष्णकुमार इलाथु माधवमेनन; और सेंट थॉमस कॉलेज, कोट्टयम, केरल की शोधकर्ता शीतल श्रीवल्लभन शामिल हैं। उनका यह अध्ययन शोध पत्रिका जर्नल ऑफ फंक्शनल फूड्स में प्रकाशित किया गया है। (इंडिया साइंस वायर)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *