#कांग्रेस_अध्यक्ष
राजनैतिक गलियारों में बड़ी गूंजती थी यह कहावत; न खाता न बही जो सीताराम केसरी बोले सो सही। सीताराम जी गांधी परिवार के पीढ़ीगत विश्वसनीय थे। अति भरोसे के आदमी थे। इंदिराजी की रसोई तक उनकी पहुंच थी। राजीव जी उन्हें पितातुल्य आदर देते थे, सो, सोनिया जी भी उन्हें पितातूल्य ही मानती होंगी, ऐसा मुझे लगता है।
दिन फिरे और यही केसरी जी इटली को खलनायक नजर आने लगे। अब आई बारी केसरी जी को अध्यक्ष पद से हटाने के अभियान की। इटली के किसी राजप्रासाद में इस सीताराम नामक भूमिपुत्र को अध्यक्ष पद से भगाने की कूटरचना लिखी गई। इसके बाद जो हुआ वह बड़ा ही मार्मिक, दुखद व स्मरणीय है।
मल्लिकार्जुन खड़गे बड़ी ही कलात्मक शैली से धोती पहनते है। अच्छे लगते हैं। अब आप सोचेंगे की यह खड़गे जी धोती कहां से बीच में आ गई? तो उत्तर है – #खयाल_आया की केसरी जी भी धोती पहनते थे। कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद सीताराम जी केसरी ने रोते हुए बताया था कि कांग्रेस अध्यक्ष पद से दबावपूर्वक उनका त्यागपत्र लिया गया।
उन्होंने प्रेस से यह भी कहा था की त्यागपत्र देने के बाद उनकी धोती खींचकर, उन्हे बाथरूम में बंद कर दिया गया और फिर बाद में उन्हे कांग्रेस मुख्यालय से अपमानपूर्वक बाहर निकाला गया था। उनकी धोती के कुछ टुकड़े बाद में इटली की गलियों तक फैले हुए मिले थे।
वैसे गांधी परिवार द्वारा घोर अपमान किए जाने की एक कथा धोती पहनने वाले स्व. प्रधानमंत्री नरसिंहाराव जी की भी है। उनके शव को कांग्रेस कार्यालय के बाहर घंटो प्रतीक्षा करनी पड़ी थी। उनका अंतिम संस्कार जबरिया ढंग से दिल्ली के राजघाट पर नहीं होने दिया गया था। जबकि पूर्व प्रधानमंत्री की अंत्येष्टि राजघाट पर होगी यह परंपरा है।
बाद में नरसिंहा जी की बेटी फूट फूटकर रोते हुए अपने पिता के शव को आंध्र के अपने गृहग्राम ले गई थी।
भगवान करे पुनरावृत्ति न हो..
वैसे खड़गे जी यथार्थपरक व्यक्ति हैं। उन्होंने कह भी दिया है, बकरा बकरीद में काटे जाने से बचेगा तब ही तो मुहर्रम में नाचेगा!!
शेष शुभ है…
प्रवीण गुगनानी..