विदेशी भूमि पर षड्यंत्र
जैसा कि मैं पहले भी कई बार लिख चुका हूं कि पूरा विश्व इस समय भारत की ओर शंका की निगाहों से देख रहा है. विकसित देशों को यह अच्छे से समझ आ गया है कि जिस स्पीड से भारत तरक्की कर रहा है बहुत जल्द वह उन सबको पीछे छोड़ देगा. अपनी इस तरक्की का 2040 तक का जो अनुमान था उसको भारत 2030 तक ही पूरा करता हुआ नजर आ रहा है. भारत पहले ही विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था बन चुका है और जल्द ही जर्मनी को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था बनने वाला है इन सब बातों से सशंकित होकर इन विकसित देशों ने भारत के अंदर वही 100 साल पुराना हथकंडा अपनाना शुरू कर दिया है. बांटो और राज करो?
जी हां
इस समय भारत के अंदर बहुत बड़े पैमाने पर शांति दूतों को आर्थिक सहायता दी जा रही है और भारत में गृह युद्ध के आसार बनाए जा रहे हैं. इस बारे में विकसित देशों का एजेंडा यह है कि भारत में बड़े पैमाने पर गृह युद्ध हो और भारत अपनी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से चौपट कर दे.
विदेशों में भी हिंदुओं पर अटैक होने का सिलसिला जारी है कभी कनाडा, कभी अमेरिका और अभी हाल ही में ग्रेट ब्रिटेन में इन शांति दूतों ने हिंदुओं पर जानलेवा हमले किए और मजे की बात यह है कि यह सब वहां की पुलिस के सामने किया गया. और पुलिस निष्क्रिय होकर यह सब देखती रही. अपने को ह्यूमन राइट्स का रखवाला समझने वाले यह देश जब इस तरह का व्यवहार करेंगे तो वह भारत से क्या अपेक्षा रखते हैं मैं समझता हूं कि कल UNGA में भारतीय विदेश मंत्री श्री जय शंकर जी वीटो पावर परमानेंट सीट के साथ साथ इस बारे में जरूर कुछ ना कुछ बोलेंगे.
मेरा ऐसा मानना इसलिए भी बहुत आवश्यक हो गया है क्योंकि यूके में जो कुछ भी हुआ वह पूरी प्लानिंग के साथ हुआ.
विदेशो मे रहने वाले सभी पारिवारिक सदस्यों के लिए:
यूके में हिन्दू मंदिरों और हिंदुओं के घरों पर जिहादी भीड़ के हमले जारी हैं. पर कुछ और भी है जो इससे अधिक खतरनाक और दूरगामी है.
एकाएक पूरी प्लानिंग के साथ बर्मिंघम और लंदन से उठकर आए हुए जिहादी इन हमलों में भाग ले रहे हैं, और आइसिस से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर उनके प्रवक्ता बने हुए हैं. उससे भी अधिक चौंकाने वाली बात है कि साथ ही इस पूरे मामले का दोष हिंदुओं पर, राइट विंग एक्सट्रेमिस हिंदुत्व पर, संघ पर और भारत में मोदी सरकार के आने से उपजी हुई कट्टरता पर डालने की पूरी तैयारी है. यह पूरा मामला स्क्रैच से बिल्कुल यहां के कुछ कट्टर वामपंथी भारत विरोधी पत्रकारों द्वारा फैलाए गए झूठे अफवाहों से उपजा है. इन अफवाहों की खास बात यह होती है कि इनपर विश्वास करना या इनका विश्वसनीय प्रतीत होना भी जरूरी नहीं है, सिर्फ इनके होने भर से उन्हें हिंसा का बहाना मिल जाता है.
पहले भारत पाकिस्तान के क्रिकेट मैच के बाद भारतीय फैन्स के हाथ से भारत का राष्ट्रीय ध्वज छीन कर फाड़ने की कोशिश से उपजी हाथापाई को बहाना बना कर यहां के कुछ ट्विटर हैंडल, एक वामपंथी पत्रकार और कुछ आइसिस समर्थकों ने मस्जिद पर हमले और एक मुस्लिम लड़की के अपहरण के प्रयास का झूठ फैलाया. यहां के बीबीसी और गार्डियन जैसे मीडिया संस्थानों ने उन लोगों को कवरेज दिया. अब जब ये झूठ बेनकाब हो गए हैं तो वे इसे साध्वी रितंभरा के यूके आगमन के कार्यक्रम की प्रतिक्रिया बता रहे हैं, जो कहीं से भी इस मामले से दूर दूर तक नहीं जुड़ा है.
आपको अगर याद हो, पिछले वर्ष सितंबर में यूएस में “डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व” पर एक वर्कशॉप हुई थी. यह पूरा मामला इसी टूलकिट की उपज है. यह सिर्फ एक देश में, एक शहर में कुछ हिंदुओं पर हुआ हमला नहीं है, “हिंदुत्व” के ऊपर एक मीडिया ब्लिट्ज है. ये दंगे तो सिर्फ उसे खबर बनाने का बहाना भर हैं.
हमारे ऊपर सिर्फ फिजिकल हिंसा नहीं की जा रही है, साथ ही साथ हमें ही उसके लिए दोषी घोषित करके उस हिंसा को जस्टिफाई भी किया जा रहा है. वामियों के लिए किसी को भी “राइट विंग एक्सट्रेमिस्ट” घोषित करना उसे एक लेजिटिमेट टारगेट घोषित करना होता है. यह हिंदुओं के जेनोसाइड की योजना को ग्लोबल वैधता देने की कोशिश है, जिससे कि जब कहीं भी कोई भी जिहादी किसी भी हिन्दू की हत्या करे तो उसके लिए पहले से “हिंदुत्व की दक्षिणपंथी विचारधारा” को दोषी घोषित किया जा सके.
पर शायद यह विदेशी लोग यह नहीं जानते कि हिंदुओं को खत्म कर कर यह जिन का साथ देना चाह रहे हैं अंत में वही इन के अंत का कारण बनेंगे. पूरे विश्व का अगर कोई कल्याण कर सकता है तो वह सिर्फ हिंदू ही है क्योंकि हिंदू ही पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है.
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Anuj Agrawal, Group Editor
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