भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति में जितना योगदान राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का रहा है, पाकिस्तान की स्वतंत्रता प्राप्ति में उसी स्तर का योगदान कायदे आजम अर्थात् मौहम्मद अली जिन्ना रहा है, यही कारण है कि दोनों ही व्यक्तित्व को अपने-अपने देश में सर्वौच्च सम्मान प्राप्त है। दोनो ही महानुभावों ने अंग्रेजो के विरूद्ध संघर्ष में अपनी सम्पूर्ण सामर्थ्य का प्रयोग किया। पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के पश्चात, जनता का पाकिस्तानी फौज के विरूद्ध जो आक्रोश हुआ, वह अचम्भित करने वाला था। जनता के इस विद्रोह से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जनता फौज को तनिक भी क्षमा करने पक्ष में नहीं है। अपने इसी आक्रोश में उसने अपने जन्मदाता, मौहम्मद अली जिन्ना का घर अग्नि में स्वाहा कर दिया।
सम्भवतया पाकिस्तान के आर्मी कमाण्डर, असीम मुनीर ने यही सोचा था कि इमरान को बंदी बनाने से जनता का आक्रोश एक-दो दिन के पश्चात शीघ्र ही समाप्त हो जायेगा। तत्पश्चात वे इमरान के विरुद्ध जो 100 से ज्यादा वाद विभिन्न न्यायालयों में दायर किए हैं, उनमें से किसी में भी सजा के पश्चात इमरान की पार्टी पर प्रतिबन्ध लगाकर इमरान का अस्तित्व समाप्त कर देंगे, परन्तु असीम मुनीर की नीति उनकी योजना के विपरीत परिणाम लेकर आई। सम्भवतया इमरान और उनके अधिकारियों ने भी आर्मी कमाण्डर की योजना को भांप लिया था, जिस कारण इमरान समर्थक और सेना के मध्य विरोध बढ़ता चला गया।
पाकिस्तान का सर्वौच्च न्यायालय जो प्रारम्भ से ही इमरान खान के समर्थन में है, उसने, सरकार को आदेश दिया कि वह 11.05.2023 को इमरान को न्यायालय में उपस्थित करे। इमरान के न्यायालय में उपस्थित होने पर कुछ कानूनी कार्यवाही के पश्चात, उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया। उनके बंदीगृह से मुक्ति के पश्चात आशा यह थी कि जनता का आन्दोलन समाप्त हो जायेगा, परन्तु फौज और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के विरूद्ध यह आन्दोलन और भी तीव्र गति से प्रारम्भ हो गया और सम्पूर्ण पाकिस्तान अपने इतिहास में प्रथम बार आग कि लपटों में जलने के लिए विवश हो गया। स्थिति इतनी भवावह हो गई है कि जनता, आर्मी कमाण्डर और शहबाज शरीफ के सहयोगियों के घरों को चुन-चुनकर आग हवाले कर रही है और वहाँ पर सिविल वार की उपस्थिति उत्पन्न हो गई है।
शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के पश्चात पाकिस्तान की स्थिति पूर्व की अपेक्षा अत्यधिक निम्न स्तर की हो चुकी है। आवश्यक खाद्य वस्तुओं की पूर्ति बाधित हो रही है। पश्चिमी देश तथा अरब देशों से भी सहायता नहीं मिल पा रही है, अमेरिका से भी मिलने वाली सहायता बंद हो गई है और चीन भी अपनी भावी योजनाओं पर पैसा लगा रहा है, अतः वह किसी की भी मदद करने का इच्छुक नहीं है। इस प्रकार पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति अत्यधिक दयनीय हो गई है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की गिरती स्थिति से, भारत को अत्यधिक सचेत रहने की आवश्यकता है। यदि पाकिस्तान में हालात शीघ्र ही नहीं सुधरे तो, पाकिस्तानी फौज के पास एक ही मार्ग शेष रहेगा कि वो भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ दे और अपनी जनता को युद्ध के नाम पर भ्रमित कर शांत रहने और आपसी भेदभाव भुलाकर भारत के समकक्ष विकास के लिए प्रार्थना करें।
योगेश मोहन