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पक्ष – विपक्ष के झगड़े – अनुज अग्रवाल

Anuj Agarwal

संसद सत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रधानमंत्री मोदी पर अदाणी को लेकर तीखे व अपमानजनक आरोपों के बाद प्रधानमंत्री मोदी पर कांग्रेसी नेताओं की अपमानजनक टिप्पणियों का एक सिलसिला सा चल पड़ा।कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा को जब इसी मामले में पुलिस में धरा तो बड़े हंगामे व नाटकों के बाद उनको माफ़ी माँगनी पड़ी। राहुल गाँधी इधर विदेशों में अपने भाषणों में भारत में लोकतंत्र ख़तरे में है, जाँच एजेंसियों का दुरपयोग हो रहा है व संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता छिन गई है जैसे आरोप लगा अपनी व देश की मज़ाक़ बनवा रहे हैं।इधर कुछ दिन पूर्व एक पूर्व बसपाई व भाजपाई नेता जो अब समाजवादी पार्टी में हैं कि रामचरितमानस को लेकर की गई विवादास्पद टिप्पणी एक घटिया राजनीतिक बहस में बदल गयी और राम व रामचरितमानस पर श्रद्धा व विश्वास करने वाले वोट के इन लालची नेताओं की गिरी हुई हरकतों को देख ठगे से रह गए। बात महाराष्ट्र की करे तो असली – नकली शिवसेना के झगड़े अब गहरी कटुता ले चुके हैं और परस्पर घटिया आरोप व छिछलेपन पर आ गए हैं। बिहार भी कम कहाँ है वहाँ सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों व उनके नेताओं की रार इतनी बढ़ी कि वरिष्ठ नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने अपनी अलग राजनीतिक पार्टी ही बना ली । अपने नेताओं को साथ ले चलने में असफल नीतीश कुमार पूरे विपक्ष को एक कर भाजपा को लोकसभा के चुनावों में सौ सीटों पर पटकने के दावे कर रहे हैं।तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर विपक्ष का नया मोर्चा बनाने निकल पड़े हैं किंतु उनकी बेटी कविता दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के उसी शराब घोटाले में शामिल बताई जा रही हैं जिसमे वहाँ के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सीबीआई की गिरफ्त में हैं।चारा घोटाले में सजा पाए पैरोल पर बाहर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व उनके परिवार को जांच एजेंसी प्लाट आवंटन घोटाले में धरने को तैयार बैठी है तो सपा – बसपा प्रमुखों के ख़ास रहे अतीक अंसारी के बेटे यूपी में खूनी खेल खेल रहे हैं।तृणमूल कांग्रेस की नेता एवं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भाई व अनेक मंत्री दर्जनों घोटालों में जांच के घेरे में हैं तो छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री के ख़ास अफ़सर व नेता खनन घोटाले में घरे जा चुके हैं यही हाल झारखंड की सोरेन सरकार का है जहाँ के बारे में जांच एजेंसियों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वहाँ हर मंत्रालय में किसी भी काम के चालीस प्रतिशत तक कमीशन का चलन आम बात है। केरल की कम्युनिस्ट सरकार का गोल्ड घोटाला भी ख़ासा चर्चा में रहा है और भर्ती घोटालों की तो जैसे देश में बाढ़ आ गई है। कश्मीर के नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी व कांग्रेस नेताओं के हज़ारो करोड़ की लूट व घोटालों की पोल पट्टी पिछले कुछ ही समय में आयी है और उनका आतंक परस्त व कट्टर इस्लामी जिहाद व पाकिस्तान समर्थक चेहरा भी । यही हाल पंजाब का है आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री भगवंत मान पूरी तरह असफल साबित हो रहे हैं और प्रदेश में खालिस्तान हावी हो चुके हैं। कानून व्यवस्था पूरी तरह बेकाबू है और सीमा पार से ड्रोन द्वारा हथियार व ड्रग्स बुरी तरह आ रहे हैं। प्रदेश में ईसाई मिशनरी का धर्मांतरण का खेल भी बुरी तरह चल रहा है। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की गहलोत सरकार बुरी तरह असफल साबित हो रही है आपसी गुटबाजी , भ्रष्टाचार और मुस्लिम परस्ती के कारण जनता त्रस्त है और भय के माहौल में जी रही है।
इन सबके बीच कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में देश को बचाने व केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार की उखाड़ने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों को एक साथ आने का आह्वान किया गया। सभी विपक्षी दलों का एक सुर में आरोप है कि मोदी सरकार उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश के तहत जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और अपनी सरकार के घोटालों पर कुछ नहीं करती व अपने नेताओं के घोटालों को छुपाने व दबाने का काम करती है। हो सकता है इन आरोपों में सच्चाई हो किंतु क्या विपक्षी दलों ने चूड़िया पहन रखी हैं बात बात पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले इनके नेता दिन रात जो भाजपा शासित राज्यों व केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हैं , क्यों उन आरोपों को सबूत सहित सुप्रीम कोर्ट लेकर नहीं जाते? इसी से पता चलता है कि उनकी नीयत में खोट है। वे बस इतना चाहते हैं कि उनके भ्रष्टाचार पर कोई कुछ न बोले और चूँकि वे स्वयं भ्रष्ट हैं तो किस मुँह से कोर्ट का दरवाजा खटखटायें। विपक्ष में एक और कमी है और वो है वैकल्पिक नीतियों व आपसी एकता की। जिस जुनून व ऊर्जा से पिछले नौ सालो में मोदी सरकार ने भारत का विकास किया है व हर क्षेत्र में नए मापदंड स्थापित किए हैं वह आश्चर्यजनक व प्रशंसनीय हैं। आज भारत की प्रतिष्ठा व सराहना पूरी दुनिया में हो रही है किंतु विपक्ष इस पर कान नहीं धरता। बीजेपी का आरोप है कि मोदी सरकार की लोकप्रियता से घबराकर ही विपक्ष बीबीसी डॉक्यूमेंट्री विवाद, अडानी समूह के विरुद्ध हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अमेरिकी उद्योगपति जार्ज सोरेस का इस्तेमाल कर रहा है।विपक्ष शासित राज्यों की सरकारें जाति जनगणना, अल्पसंख्यक तुष्टिकरण, पुरानी पेंशन योजना , राज्यपाल द्वारा ग़ैर ज़रूरी हस्तक्षेप, अडानी- अंबानी को देश बेचने का राग व देश तोड़ने के घिसे पिटे आरोप, चीन के आगे घुटने टेकने जैसे मुद्दे लिए बैठी हैं , जिनमे जनता की कोई रुचि नहीं। सच्चाई यह है कि देश में दस साल शासन करने के बाद भी मोदी सरकार के विरुद्ध कोई एंटी इनकंबेंसी नहीं दिख रही। अगर सच में विपक्षी दलों को केंद्र की सत्ता में आना है तो मोदी जैसा व्यक्तित्व , नीयत, ऊर्जा व वैकल्पिक नीतियों के साथ ताल ठोकने होगी अन्यथा 2024 तो क्या 2029 को भी वो भूल जाए। मोदी सरकार व बीजेपी पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप लगाना भी उचित नहीं क्योंकि घोटाले कर मौके भी विपक्ष ही देता है और अवसरों को भुनाकर सत्ता में आने की कला जिसको आती है वो ही राज करता है। लोकतंत्र की राजनीति का यही सच है।
अनुज अग्रवाल ,संपादक , डायलॉग इंडिया
www.dialogueindia.in
Link of E – edition of Dialogue India political magazine March 2023 – https://dialogueindia.in/wp-content/uploads/2023/03/dialogueindia-march-issue.pdf

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