मैप को देखिए, इसमें न्यूयॉर्क से मॉस्को के बीच का दो रास्ता दिखाया गया है, एक रास्ता सीधा है उसमे दूरी ज्यादा है, दूसरा रास्ता घुमावदार है उसमें दूरी कम है।
क्या ये अजीब बात नहीं है कि घुमावदार रास्ते की दूरी ज्यादा होनी चाहिए थी मगर वो कम है !!
इस सवाल आसान जवाब यह है कि मैप दरअसल पृथ्वी के शेप के अनुपात से नहीं बनाई गई है अर्थात पृथ्वी पर हम जैसे जैसे equater से pole की तरफ जाएंगे वैसे वैसे देशांतर (Longitude) के बीच की दूरी घटती जाती है और इस अनुपात में मैप को ऊपर बढ़ते हुए सिकुड़ते हुए बनाया जाना चाहिए था ताकि मैप में दूरी को सही तौर से रिप्रेजेंट किया जा सके,
लेकिन मैप वैसा नही बनाया जाता, ऐसा क्यों होता है.?
“पश्चिम ने जितना बड़ा बौद्धिक घोटाला कर रखा है, बेइमानी की सरहदें उतनी बार लांग रखी हैं अगर उसपर लिखा जाएगा तो उन घोटाले के ऊपर सैंकड़ों किताबों की एक लाइब्रेरी तैयार हो जाएगी।
लेकिन जब वेस्टर्न सभ्यता के बेइमानी की आलोचना की जाती है तो यहाँ बैठे हुए पश्चिम के मानसिक गुलाम ‘काले अंग्रेज़’ ही सबसे ज़्यादा तिलमिलाने और छटपटाने लगते हैं |
फिलोसॉफी, साइकोलोजी, इकोनॉमिक्स, फिजिक्स. केमिस्ट्री, बायोलॉजी, हिस्ट्री, लिटरेचर से लेकर लगभग प्रत्येक सब्जेक्ट् में वेस्ट के बुद्धिजीवियों ने बड़े बड़े घोटाले कर रखे हैं लेकिन आज हम जियोग्राफी(भूगोल) में हुए एक बड़े घोटाले की तरफ़ आपका ध्यान दिलाना चाहेंगे। आज जर्मन न्यूज़ वेबसाइट के एक लिंक पर नज़र गयी तो पुरानी बातें ताज़ा हो गयी। घोटाला यह है कि दुनिया भर में जो वर्ल्ड मैप पढाया जाता है वो बिलकुल उल्टा और ग़लत मैप है, इस मैप में यूरोप और अमेरिका को ज़्यादा ही बड़ा बनाकर दिखाया जाता है और एशिया तथा अफ्रीका के देशों को ज्यादा ही छोटा बनाकर दिखाया जाता है, जैसे ग्रीनलैंड जिसका क्षेत्रफल लगभग 2 मिलियन वर्ग किलोमीटर है जो कि चाइना के क्षेत्रफल लगभग 9 मिलियन वर्ग किलोमीटर के एक चौथाई से भी कम है, उस ग्रीनलैंड को वर्ल्ड मैप में चाइना से दो गुणा बड़ा बनाकर दिखाया जाता है।
पूरे अफ्रीका महाद्वीप का क्षेत्रफल लगभग 30 मिलियन वर्ग किलोमीटर हैं जो रूस के क्षेत्रफल 17 मिलियन वर्ग किलोमीटर से लगभग दो गुणा ज़्यादा के क़रीब है, लेकिन वर्ल्ड मैप में रूस को अफ्रीका महाद्वीप से तीन गुणा बड़ा बनाकर दिखाया जाता है।
मैप में यह उलटी गंगा क्यों बहाई जा रही है। पिछले चार सौ साल से क्षेत्रफल और आकार में छोटे यूरोप और अमेरिका के देशों को एशिया और अफ्रीका के देशों से दोगुणा, तीन गुणा, चार गुणा तक बड़ा बनाकर क्यों दिखाया जा रहा है और ये गलत जानकारी स्कूल-कालेज के बच्चे बच्चे तक को क्यों पढाया जा रहा, उनके ज़हन में ऐसी तस्वीर क्यों बिठाई जा रही है.?
दरअसल ये बेइमानी जानबूझ कर की जा रही है और इस बेइमानी के पीछे साम्राज्यवादी ताक़तों का अपना हित है। अपनी सत्ता को स्थापित किए रहने का उनका बुना हुआ जाल है, साम्राज्यवादी ताक़तों के हित पर फिर किसी दुसरे दिन विस्तृत चर्चा करेंगे अभी इस पोस्ट को लिखने का ख़याल मुझे एक न्यूज़ पढने के बाद आया जिसमे ये ख़बर थी के बोस्टन के एक स्कूल में नए मैप से पढाया गया है।
मैप में की गयी इस बेइमानी को समझना तो लगभग सबके लिए आसान है इसलिए आप इसे आसानी से पकड़ भी लेंगे लेकिन यूरोप और अमेरिका के बुद्धिजीवियों द्वारा जो बेइमानी बहुत ही महीन तरीकों से और भी कई विषयों में की गयी है उसे पकड़ना और दुनिया को समझाना तो और भी ज़्यादा मुश्किल और परेशानियों से भरा हुआ है।