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भोपाल में आठवें भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का भव्य शुभारंभ

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने शनिवार को भोपाल में संयुक्त रूप से इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ-2022) का उद्घाटन किया। विज्ञान के महाकुंभ के नाम से विख्यात इस महोत्सव की थीम “विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार के साथ अमृतकाल की ओर अग्रसर” है।

ओम प्रकाश सखलेचा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, मध्य प्रदेश सरकार, प्रोफेसर अजय कुमार सूद, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, भारत सरकार, डॉ राजेश गोखले, सचिव जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, डॉ एन. कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर एवं सचिव, डीएसआईआर, डॉ सुधीर भदौरिया, महासचिव, विज्ञान भारती, डॉ संजय मिश्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, निकुंज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, मध्य प्रदेश, और भारत सरकार तथा मध्य प्रदेश सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि अकेले मध्य प्रदेश में एक साल में 2600 स्टार्ट-अप शुरू हुए और यह केवल इंदौर शहर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी सफल स्टार्ट-अप की भरमार है। उन्होंने मध्य प्रदेश के विद्यार्थियों और उद्यमियों से नवाचार के प्रति उत्साह विकसित करने का आह्वान किया।

अपने वक्तव्य में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत क्वांटम टेक्नोलॉजी में एक बड़ी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है, जो भविष्य के विज्ञान को दुनिया की प्रमुख समस्याओं के व्यावहारिक समाधान के साथ परिभाषित करेगा। डॉ सिंह ने कहा कि आईआईएसएफ-2022 का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत ने 2023 में जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की है। यह न केवल बहुआयामी विकासात्मक आयामों को प्रदर्शित करेगा, बल्कि भारत की सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त क्षमता को भी प्रदर्शित करेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किया है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि भारत 2023 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक की भी अध्यक्षता करेगा, इस प्रकार यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के बढ़ते कद को प्रदर्शित करेगा।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जून 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को अनलॉक करने, ड्रोन प्रौद्योगिकियों के उदारीकरण, भू-स्थानिक दिशानिर्देशों के लिए कैबिनेट की मंजूरी और हाल ही में 20000 करोड़ रुपये के हरित हाइड्रोजन मिशन जैसे ऐतिहासिक फैसलों ने भारत के तेजी से विकास के लिए नए रास्ते खोले हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “प्रौद्योगिकी और नवाचार” भारत की 2047 की अर्थव्यवस्था के पथप्रदर्शक होने जा रहे हैं, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएगा।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जून 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोले जाने के बाद, दो वर्षों में लगभग 120 डीप टेक अंतरिक्ष स्टार्ट-अप भारत में आए हैं। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष स्टार्ट-अप न केवल अंतरिक्ष में रॉकेट भेज रहे हैं, बल्कि उपग्रह निर्माण, कचरा प्रबंधन और कई अन्य दैनिक जीवन से जुड़े क्षेत्रों में भी स्टार्ट-अप शामिल हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज विज्ञान जीवन के हर क्षेत्र  में प्रवेश कर चुका है  और यह न केवल भारत की अर्थव्यवस्था या युवाओं से संबंधित है, बल्कि भारत के भविष्य के साथ भी गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने समावेशी जुड़ाव को भी रेखांकित किया और गर्व के साथ कहा कि महिला वैज्ञानिक गगनयान परियोजना सहित प्रमुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी मिशनों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

मध्य प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा ने बताया कि भोपाल में चार दिवसीय विज्ञान महोत्सव में स्टूडेंट साइंस विलेज की तरह 15 महत्वपूर्ण आयोजन होंगे, जिसमें 2500 छात्र भाग लेंगे और नई तकनीकों और नवाचारों से रूबरू होंगे। उन्होंने कहा कि मेगा स्टार्ट-अप एक्सपो के अलावा 1500 युवा वैज्ञानिक जैव प्रौद्योगिकी सहित सभी क्षेत्रों में उभरती प्रौद्योगिकी पर मंथन करेंगे। श्री सखलेचा ने कहा कि अमृतकाल में नवाचार नए भारत को परिभाषित करेंगे और स्टार्ट-अप और उद्योगों को आगे बढ़ने के लिए भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार दोनों ही भरपूर सहयोग दे रही हैं।

प्रोफेसर अजय सूद, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, भारत सरकार ने बताया कि विज्ञान एक स्थिर विषय नहीं है, बल्कि हर दिन नई सफलता के साथ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हर प्रगति में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचारों का योगदान होता है। प्रोफेसर सूद ने कहा कि भारत बहुत कम समय में इनोवेशन इंडेक्स में 86 से 41वीं रैंक पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि सेमी-कंडक्टर मिशन शुरू होने से भारत की अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज मिलने जा रहा है। उन्होंने रेखांकित किया कि हमें सर्कुलर इकोनॉमी को रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बनाने के लिए प्रयास करने होंगे और वेस्ट टू वेल्थ कार्यक्रम की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रयास करने होंगे।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भविष्य की सभी चुनौतियों से सार्वभौमिक वैज्ञानिक हस्तक्षेप से ही निपटा जा सकता है, जिसे कोविड संकट ने काफी हद तक प्रदर्शित किया है। उन्होंने कहा कि डीबीटी वैश्विक प्रभाव के साथ भारत में बायोटेक स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है।

विज्ञान भारती के महासचिव डॉ सुधीर भदौरिया ने कहा कि योग हो, आयुर्वेद हो, वास्तुकला हो या खगोल विज्ञान; भारत की वैज्ञानिक शक्ति को दुनिया ने पहचाना है। उन्होंने कहा कि विज्ञान भारती देश और पूरी मानवता के लाभ के लिए आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सोच को बढ़ावा देने के लिए भारत में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों, विज्ञान मंत्रालयों और विज्ञान विभाग के साथ काम कर रहा है। डॉ भदौरिया ने कहा कि दुनिया हैरानी से देख रही है कि भारत कैसे एक बार में 104 सैटेलाइट भेज रहा है या सबसे सस्ता मंगल मिशन लॉन्च कर रहा है।

कार्यक्रम के अन्य महत्वपूर्ण वक्ता और विशेषज्ञ, जो आईआईएसएफ-2022 में भाग ले रहे हैं, में डॉ कृष्णा एल्ला, सीएमडी, भारत बायोटेक, डॉ अर्चना शर्मा, वैज्ञानिक, सर्न, जिनेवा, एस. सोमनाथ, अध्यक्ष, इसरो, परसिस्टेंट सिस्टम्स के संस्थापक और सीएमडी आनंद देशपांडे, डीएसटी-आईआईजी के निदेशक प्रोफेसर ए.पी. डिमरी, पीआरएल के निदेशक डॉ अनिल भारद्वाज, आईएनएसटी, मोहाली के निदेशक प्रोफेसर अमिताभ पात्रा, और आईएसीएस के निदेशक प्रोफेसर तापस चक्रवर्ती शामिल हैं।

आईआईएसएफ-2022 के दौरान फेस-टू-फेस इन न्यू फ्रंटियर्स ऑफ साइंस, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट लोगों के साथ छात्रों/शोधकर्ताओं के साथ संवाद और लघु चर्चा-आधारित सत्रों का एक मंच होगा। यह छात्रों को अपने करियर में विज्ञान और अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा।

डॉ कृष्णा एल्ला, सीएमडी, भारत बायोटेक, “विज्ञान और उद्यमिता के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत को सशक्त बनाना” शीर्षक वाले सत्र का नेतृत्व करेंगे, जबकि आनंद देशपांडे, संस्थापक और सीएमडी परसिस्टेंट सिस्टम्स “डेटा साइंस में तकनीकी प्रगति और डिजिटल परिवर्तन में भारत के नेतृत्व” पर सत्र की अध्यक्षता करेंगे। डॉ अर्चना शर्मा, “ब्रह्मांड के रहस्यों को खोलने में एक वैज्ञानिक यात्रा” पर मुख्य वक्ता होंगी, जबकि इसरो के अध्यक्ष “अंतरिक्ष की सीमाओं में तकनीकी प्रगति के साथ अमृतकाल की ओर अग्रसर” सत्र की अध्यक्षता करेंगे। विज्ञान महोत्सव के दौरान आयोजित युवा वैज्ञानिक सम्मेलन के विषयों में विज्ञान अनुसंधान, महामारी की चुनौतियां, टीका विकास में प्रभाव और अनुसंधान, जल संसाधन, संरक्षण, पुनर्चक्रण और शुद्धिकरण, जैव विविधता, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, आत्मनिर्भर भारत के लिए खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। इसी प्रकार, न्यू एज टेक्नोलॉजीज शो (22-24 जनवरी) के आयोजन का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग, साइबर सिक्योरिटी, ब्लॉक चेन, डिजिटल करेंसी इंडस्ट्री, 5G/6G, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन, ग्रीन एनर्जी, स्पेस टेक्नोलॉजीज, सेंसर टेक्नोलॉजीज, सिस्टम्स एवं सिंथेटिक बायोलॉजी, और ड्रोन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में नवाचार को बढ़ावा देना है। (

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