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भारत में फैल रहा एच3एन2 इन्फ्लूएंजा, क्या है संक्रमण से बचने के उपाय?

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा तब फैलता है जब संक्रमित व्यक्ति दूसरे से बात करता है, खांसता है या छींकता है

By Dayanidhi

मौसम में अचानक आ रहे बदलाव और अत्यधिक ठंड से गर्म तापमान में बदलाव के कारण लोगों में फ्लू के लक्षण अधिक दिखाई दे रहे हैं। जहां मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है, वहीं एक नया वायरस एच3एन2 पूरे भारत में फैल रहा है। एच3एन2 वायरस चिंता का कारण बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि एच3एन2 इन्फ्लूएंजा अत्यधिक संक्रामक है।

क्या है एच 3 एन 2 इन्फ्लुएंजा?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक 2009 के एच1एन1 महामारी वायरस से मैट्रिक्स (एम) जीन के साथ इन्फ्लुएंजा ए एच3एन2 वेरिएंट वायरस जिसे “एच3एन2वी” वायरस के रूप में भी जाना जाता है, यह पहली बार जुलाई 2011 में लोगों में पाए गए थे। वायरस को पहली बार 2010 में अमेरिका में  सूअरों में पहचान की गई थी।

2011 के दौरान, एच3एन2वी से 12 लोगों के संक्रमित होने का पता चला था। 2012 के दौरान, एच3एन2वी के कई प्रकोप हुए जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका में 309 मामले सामने आए।

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा कैसे फैलता है?

विशेषज्ञों के मुताबिक कि एच3एन2 इन्फ्लूएंजा एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है। यह तब फैलता है जब संक्रमित व्यक्ति दूसरे से बात करता है, खांसता है या छींकता है। वायरस से दूषित सतह को छूने और फिर किसी के मुंह या नाक को छूने से भी फैल सकता है।

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा से किसको खतरा हैं?

विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे, बड़े वयस्क और जिनका इलाज चल रहा हो, ऐसे लोगों को फ्लू संबंधित जटिलताओं के विकास के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के लक्षण

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा से प्रभावित लोगों को बुखार, खांसी, गले में खराश, बहती या भरी हुई नाक, शरीर में दर्द, सिरदर्द, ठंड लगना और थकान जैसे लक्षण दिखाई दिए जा सकते हैं। कुछ मामलों में लोगों को उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। ये लक्षण आमतौर पर लगभग एक सप्ताह तक रह सकते हैं। विशेषज्ञों ने कहा, हालांकि कुछ लोगों में लक्षण अधिक समय तक भी रह सकते हैं।

संक्रमण से बचने के उपाय

 एच3एन2 वायरस का तेजी से फैलना लोगों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। विशेषज्ञ कहते है कि, लोगों को होली मनानी चाहिए, लेकिन उन्हें विशेष रूप से बुजुर्गों और उन लोगों से सावधान रहना चाहिए, जो सांस संबंधी पुरानी बीमारियों, हृदय की समस्याएं, किडनी के रोगी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। समस्याएं या डायलिसिस, उन्हें भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने के बारे में सावधान रहने की जरूरत है।

फ्लू को नियंत्रण में रखने के उपाय

अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धो कर साफ रखना चाहिए

बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।

छींकते या खांसते समय अपने मुंह या नाक को टिश्यू या अपनी कोहनी से ढक लेना चाहिए।

अपने चेहरे को अनावश्यक रूप से छूने से बचें, खासकर आंख, नाक और मुंह।

लोगों से मिलने जाते समय या किसी भी भीड़भाड़ वाली जगह जैसे शॉपिंग सेंटर या अस्पताल में जाते समय, कृपया फेस मास्क का उपयोग करना चाहिए।

वायरस से दूषित सतह को न छुएं और फिर अपने मुंह या नाक को छूएं।

जो बीमार हैं उनसे दूरी बनाने के लिए भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें। बच्चों  जिसमें 5 वर्ष से कम या 65 या उससे अधिक उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं या अस्थमा जैसी पुरानी बीमारी वाले लोगों को सख्ती से सलाह दी जाती है कि वे भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाएं क्योंकि उन्हें फ्लू की समस्या होने के अधिक आसार हैं।

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