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इंटरनेट क्रांति से भारत का नये दौर में प्रवेश !

इंडिया आज डिजीटल हो रहा है। सच तो यह है कि 5जी इंटरनेट सेवाओं की दिशा में भारत इतिहास रच रहा है। इंटरनेट क्रांति से आज भारत एक नये दौर में प्रवेश कर गया है। सच तो यह है कि आज इंडिया ‘डिजिटल इंडिया’ बन चुका है और यहां अधिकतर काम इंटरनेट की सहायता से बखूबी हो रहे हैं। आज इंडिया में हाई स्पीड मोबाइल इंटरनेट 5जी सर्विस काम करने लगी है और आज हम डिजीटल दुनिया के नये दौर में सांस ले रहे हैं। पिछले साल एक अक्टूबर 2022 को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा 5जी क्रांति का तोहफा भारतीयों को दिया गया था। वास्तव में प्रधानमंत्री जी ने उस समय बिल्कुल ठीक ही कहा था कि वास्तव में यह शुरुआत ‘अवसरों के अनंत आकाश’ की शुरुआत है। उल्लेखनीय है कि 1 अगस्त को 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सफलता के साथ पूरी हुई थी और इस ऑक्शन(नीलामी) में डॉट(डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस)  ने 1,50,173 करोड़ रुपये का रेवेन्यू बनाया था। टेलीकॉम कंपनियों को 51,236 मेगाहर्ट्ज अलॉट किया गया था। इंडिया मोबाइल कांग्रेस को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (डॉट) और सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) मिलकर आयोजित करते हैं। इसे एशिया में सबसे बड़ा टेलीकॉम, मीडिया और टेक्नोलॉजी फोरम माना जाता है। शुरू में दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, बेंगलुरु समेत देश के आठ शहरों में 5 जी सेवाओं को शुरू किया गया था और अब धीरे धीरे इनका विस्तार पूरे देश में हो रहा है। आज भारत विश्व में सबसे तेजी से 5जी सेवाएं प्रदान करने वाला देश बन चुका है। इससे भारत को विश्व में नया आयाम मिल रहा है। वास्तव में, 5जी प्राइस की कीमत 4 जी के मुकाबले 20 से 25 फीसद ज्यादा होती है और स्पीड लगभग 10 गुना ज्यादा होती है, जिसका फायदा आज देश के लोगों को मिल रहा है। इंटरनेट स्पीड बढ़ने से इंटरनेट से जुड़े सभी काम तेजी से होते हैं और इससे देश की उत्पादकता बढ़ती है, समय बचता है। आज इंटरनेट स्पीड बढ़ने से बिना किसी देरी के वीडियो गेमिंग की जा सकती है, इंटरनेट पर वीडियो को बिना बफर देख सकते हैं, इंटरनेट कॉलिंग के दौरान बिल्कुल साफ आवाज और पिक्चर आती है। सबसे बड़ी बात यह है कि 2 से 4 जीबी की मूवी को डाउनलोड होने में महज 10 से 20 सेकेंड का समय ही आज लग रहा है। दरअसल, 5जी नेटवर्क 4जी की तुलना में बहुत तेज नेटवर्क है। जहां 4 जी नेटवर्क में औसतन इंटरनेट स्पीड 45 एमबीपीएस होती है वहीं 5जी में यह स्पीड बढ़कर 1000 एमबीपीएस तक पहुंच जाती है। आज इंटरनेट के कारण ड्रोन और रोबोट से खेती हो पा रही है। कोरोना काल से ही ऑनलाइन क्लासेस का दौर शुरू हो चुका है और इसमें इंटरनेट की स्पीड के कारण आज इजाफा हुआ है। यदि हम यहाँ आंकड़़ों की बात करें तो वर्ष 2025 तक देश में सौ करोड़ इंटरनेट यूजर होंगे। ट्राई की एक रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर, 2022 में देश में 78.91 करोड़ लोग मोबाइल इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे थे। दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बनने के बाद भारत आज इंटरनेट के क्षेत्र में दुनिया में रिकॉर्ड बनाने की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स के मामले में भारत बस कुछ ही पायदान पीछे है।दुनियाभर में सबसे ज्यादा 102 करोड़ इंटरनेट यूजर्स चीन में हैं। भारत इसमें दूसरे पायदान पर बताया जा रहा है। वर्ष 2018 तक एक भारतीय प्रतिमाह करीब 3.2 जीबी डाटा का इस्‍तेमाल कर रहा था और 2019 में तेजी से इंटरनेट डाटा का इस्‍तेमाल बढ़ा और 2021 तक आंकड़ा 17 जीबी प्रति माह तक पहुंच गया और वर्तमान में यह और भी अधिक बढ़ा है।दुनिया भर में 503 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं, इनमें से 470 करोड़ यूजर्स सोशल मीडिया पर भी हैं। बहरहाल, कहना गलत नहीं होगा कि आज 5जी तकनीक की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। फाइव जी के सभी टेस्टिंग, परीक्षण पूरे हो चुके हैं और अब धीरे धीरे पूरे देश में फाइव-जी सेवाओं का विस्तार हो रहा है। गांव भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। कुछ जगह पर अभी काम बाकी है लेकिन पूरे देश में 5जी लागू होने के बाद मोबाइल की दुनिया में हमें और भी अधिक क्रांतिकारी परिवर्तन निश्चित रूप से देखने को मिलेंगे। निश्चित ही देश में 5 जी क्रांति से हरेक व्यवसाय में ऑटोमेशन बढ़ेगा तथा इससे शिक्षा, आईटी, रोबोटिक तकनीक एवं कृषि क्षेत्रों के अलावा भी विभिन्न क्षेत्रों में इसका प्रत्यक्ष लाभ हम सभी को देखने को मिलेगा। आज भी भारत में डाटा की कीमत पूरी दुनिया में काफी कम है और भारत स्मार्टफोन का सबसे बड़ा बाजार भी है। वर्ष 2023 तक भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या होगी 90 करोड़ के पार होने की संभावनाएं हैं और यह संभावनाएं जताई गई हैं कि 2023 तक ही देश में 6.72 करोड़ 5 जी यूजर्स होंगे। कुल मिलाकर, 2023 तक देश की 64 फीसदी आबादी इंटरनेट से कनेक्टेड होगी। आंकड़़े बताते हैं कि साल 2018 में भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 763 मिलियन यानी 76.3 करोड़ थी जो कि इस वर्ष यानी कि 2023 तक 90 करोड़ के पार पहुंचने वाली है। इसका दावा सिस्को ने अपनी सिस्को एनुअल इंटरनेट रिपोर्ट 2018-2023 में किया है। इंटरनेट यूजर्स की इस संख्या में 38 फीसदी मोबाइल और 12 फीसदी टीवी यूजर्स शामिल बताए जा रहे हैं। वर्ष 2023 तक देश में 2.1 अरब डिवाइसेज इंटरनेट से कनेक्ट होंगी, जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी संख्या है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल 2023 तक देश में 67.2 मिलियन यानी 6.72 करोड़ 5-जी यूजर्स हो जाएंगे। बहरहाल, इंटरनेट आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग हो गया है और इंटरनेट के बिना आज का जीवन जैसे ठप सा ही हो जाता है। कोरोना काल में हमें इंटरनेट की उपयोगिता अधिक समझ में आई। घर बैठे चिकित्सकों से चिकित्सकीय सलाह से बहुत सी जानें बचीं, रूपये-पैसों का डिजीटल ट्रांजेक्शन संभव हुआ। ऑनलाइन खरीदारी को बल मिला। कुल मिलाकर हम यहाँ यह बात कह सकते हैं कि एक विकसित समाज की दिशा में इंटरनेट सेवाओं की आज बहुत ही अहम और महत्वपूर्ण भूमिका है। आज इंटरनेट के कारण से संचार, खरीदारी, बुकिंग, शोध और अध्ययन आसानी से संभव हो पा रहे हैं। 5 जी सेवाओं के आने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को लगातार मजबूती मिल रही है और विभिन्न क्षेत्रों जैसे ई-कॉमर्स, स्वास्थ्य केंद्र, दुकानदार, स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थी और शिक्षक वर्ग और किसान तक सभी इससे लाभान्वित हो रहे हैं। इंटरनेट ने हमारे जीवन को कहीं न कहीं सरल बनाया है, हमें बहुत से लाभों से लाभान्वित किया है। वास्तव में, इंटरनेट के उपयोग से हम नए क्षेत्रों में लगातार प्रगति कर रहे हैं। हमें यह बात अच्छी तरह से पता है कि हमारी अर्थव्यवस्था अथवा बैंकों के डॉक्यूमेंट्री प्रोसेस से जुड़े हुए तमाम कार्यों की सुलभता के पीछे इंटरनेट ही है। आज ई-कॉमर्स के क्षेत्र में भी नए विकास हुए हैं। ई-ट्रेडिंग ने हमारे रोजमर्रा के कार्यों को हाई स्पीड इंटरनेट ने और भी सरल बना दिया है। न केवल शिक्षा और अर्थव्यवस्था में बल्कि आज स्वास्थ्य, संचार, यातायात, पर्यटन, कृषि और अन्य क्षेत्रों में भी नए-नए विकास करने के लिए इंटरनेट किसी वरदान से कम नहीं है। आज फाइव-जी नेटवर्क से इंटरनेट की रफ्तार 20 से 100 गुना तेज ( यानी कि 1000 एमबीपीएस तक) हो चुकी है। फाइव-जी नेटवर्क से डाटा अपलोड और डाउनलोड का काम तेज स्पीड से हो रहा है। इससे कई सुविधाएं तेजी से मिलनी शुरू हो चुकी हैं। हाल फिलहाल यह भी बताया जा रहा है कि दशक के अंत तक भारत 6जी नेटवर्क के लक्ष्य को भी हासिल कर लेगा, इस दिशा में काम किया जा रहा है, इससे अल्ट्रा हाई स्पीड इंटरनेट, हाई कनेक्टिविटी का लक्ष्य साकार हो सकेगा। वास्तव में,सिक्स-जी नेटवर्क सेवा शुरू होने के बाद इंटरनेट की स्पीड मौजूदा फाइव-जी नेटवर्क के मुकाबले करीब 100 गुना तक ज्यादा होगी। आसान भाषा में यह बात कही जा सकती है कि  6-जी इंटरनेट की रफ्तार 100 जीबीपीएस तक होगी। वास्तव में, 6-जी नेटवर्क 5जी नेटवर्क की तुलना में तेज गति, कम विलंबता और अधिक विश्वसनीय कनेक्शन प्रदान कर सकेगा। इसका मतलब है कि उपयोगकर्ता/उपभोक्ता कम देरी के साथ डेटा को तेज़ी से एक्सेस कर पाएंगे।इंटरनेट की ज्‍यादा रफ्तार का असर ऑनलाइन मीटिंग्‍स से लेकर, ऑनलाइन ट्रेडिंग, बाजार, शिक्षा, स्वास्थ्य, मूवी एक्‍सपीरिएंस तक में नजर आएगा। जानकारी देना चाहूंगा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 6-जी नेटवर्क सेवा को शुरू करने की समयसीमा भी तय कर चुके हैं और इस हेतु भारत में एक टास्क फोर्स बनाई जा चुकी है, जो लगातार काम कर रही है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि वर्ष 2030 तक देश में 6-जी नेटवर्क सेवा शुरू कर दी जाएगी। हाल फिलहाल, 5जी नेटवर्क के आने से भारतीय अर्थव्यवस्था को 450 बिलियन डॉलर का फायदा होने को उम्मीद जताई जा रही है। कुल मिलाकर यह बात कही जा सकती है कि भारत जैसे विशाल देश में 5जी से डिजिटलीकरण की क्रांति को नया व अभूतपूर्व आयाम मिला है। इससे डिजिटल क्षेत्र, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, उद्योग के क्षेत्र में नवीन आयाम मिल सकेंगे और साथ ही यह आत्मनिर्भर भारत के क्षेत्र में भी एक मील का पत्थर साबित होगा।पांचवीं पीढ़ी की तकनीक या 5जी भारतीय अर्थव्यवस्था को 2023 और 2040 के बीच 36.4 ट्रिलियन ($455 बिलियन) का लाभ दे सकती है।

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

सुनील कुमार महला,

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