~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल
23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चन्द्रयान 3 ने जैसे ही चन्द्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की। सम्पूर्ण देश अपने वैज्ञानिकों एवं राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति कृतज्ञता से भर गया। भारत विश्व का पहला देश है जिसने चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखे हैं। और चन्द्रयान 3 अभियान की शुरुआत से लेकर ही जो बहुप्रतीक्षित घड़ी थी, वह जब साकार हुई तो भारतमाता का ललाट प्रखर प्रकाश पुञ्ज से चमकने लगा। चन्द्रयान ने इसरो को जैसे ही सन्देश भेजा – “भारत, मैं अपने गन्तव्य पर पहुंच गया हूँ और आप भी ’ , चंद्रयान-3 ने चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। बधाई हो, भारत ।”
यह सुनते ही राष्ट्र एवं भारतवंशियों की प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं रहा। और चन्द्रमा पर भारत का विश्वविजयी प्रतीक तिरंगा लहराने लगा। इसी के साथ अमेरिका, रुस ,चीन के बाद चन्द्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश भारत बन गया है। लेकिन इन सबसे महत्वपूर्ण जो बात है वह यह कि चन्द्रयान 3 की कुल लागत मात्र 615 करोड़ रुपये के लगभग है, जो किसी भी देश के अभियान से बहुत कम है। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन ( इसरो) के भारतीय ऋषि परम्परा के संवाहक वैज्ञानिकों ने जिस प्रकार से राष्ट्र के गौरव को बढ़ाया है, वह कोटिश: अभिनंदनीय है। वहीं 14 जुलाई 2023 को चन्द्रयान अभियान की शुरुआत के साथ ही भारतवर्ष में श्रीरामजन्मभूमि निर्माण के निर्णय के समान ही उत्साह एवं मङ्गल की भावना दृष्टव्य होती दिखाई दे रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसरो के सजीव प्रसारण के साथ जोहानिसबर्ग से जुड़े और उन्होंने इसरो को बधाई देते हुए सम्पूर्ण राष्ट्र को सम्बोधित किया। उन्होंने भारत की जी – 20 की की अध्यक्षता के ध्येय वाक्य ‘ एक पृथ्वी- एक परिवार – एक भविष्य’ से भी इस अभियान को जोड़ते हुए वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा पर पुनश्च बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता सम्हालते ही भारत के ज्ञान – विज्ञान – अनुसंधान एवं नवाचारों को लेकर जिस प्रकार से प्रतिबध्दता व्यक्त की है। वह सशक्त नेतृत्व का परिचायक है। वे जिस प्रकार से चन्द्रयान 2 अभियान के समय इसरो के पूर्व प्रमुख के.सिवन के गले लगकर रोये थे, और सभी वैज्ञानिकों का साहस बढ़ाया था। यह उनकी उसी दृष्टि और वैज्ञानिकों की राष्ट्रनिष्ठा – ध्येयनिष्ठा का ही परिचायक है कि अब चन्द्रयान 3 ने विश्व इतिहास रच दिया है। उन्होंने इसरो प्रमुख डॉ. एस .सोमनाथ से फोन पर कहा- “सोमनाथ जी! आपका तो नाम सोमनाथ, और ये नाम चंद्र से जुड़ा हुआ है। इसीलिए आज आपके परिवार जन भी बहुत खुश होंगे। मेरी तरफ से आपको, आपकी टीम को बहुत-बहुत बधाई। ”
और जब देश का नेतृत्व इस प्रकार से अपने वैज्ञानिकों के साथ खड़ा होता है, तो उसके सकारात्मक परिणामों से सृजन का अमृतकुम्भ ही प्रकट होता है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स समिट के दौरान भारत की वैश्विक दृष्टि को प्रस्तुत करते हुए कहा — “भारत के लिए बहुत गर्व की बात है कि उसकी उपलब्धि को पूरी मानवता की उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है।ऐतिहासिक मौके पर भारत के लोगों और वैज्ञानिकों की तरफ से दुनिया के अन्य वैज्ञानिकों और विश्व के वैज्ञानिक समुदाय को उनकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद देता हूं।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अपने शुभकामना संदेश में बधाई देते हुए कहा – “चंद्रयान-3 की लैंडिंग एक महत्वपूर्ण अवसर, एक ऐसी घटना जो जीवनकाल में एक बार होती है। इस उपलब्धि ने भारत को गौरवान्वित किया। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के साथ वैज्ञानिकों ने इतिहास रच दिया है। मैं इसरो, चंद्रयान-3 मिशन में शामिल सभी लोगों को बधाई देती हूं और उन्हें आगे और बड़ी उपलब्धियां हासिल करने की शुभकामनाएं देती हूं।”
वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बधाई देते हुए कहा कि –
“अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कोई नहीं उतरा था, हमारे वैज्ञानिकों ने लंबे परिश्रम के पश्चात वहां उतरने का पहला मान प्राप्त किया है। संपूर्ण देश के लिए ही नहीं, सारे विश्व की मानवता के लिए।सारे विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् की अपने स्नेह से आलोड़ित करने वाली दृष्टि को लेकर भारत अब शांति और समृद्धि विश्व को प्रदान करने वाला भारत बनने की दिशा में अग्रसर हुआ है। इसका प्रतीक आज का हम सबके आनंद का यह क्षण है। हमारे वैज्ञानिक कठोर परिश्रम से यह जो धन्यता का क्षण हमारे लिए खींच कर लाए हैं, उसके लिए हम उनके कृतज्ञ हैं और सारे वैज्ञानिकों का, उनको प्रोत्साहन देने वाले शासन-प्रशासन, सबका हम धन्यवाद करते हैं, हम उन सबका अभिनंदन करते हैं। भारत उठेगा और सारी दुनिया के लिए उठेगा। भारत विश्व को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की प्रगति की राह पर अग्रसर करेगा, यह बात अब सत्य होने जा रही है। ”
और इसरो प्रमुख डॉ.सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता इसरो नेतृत्व और वैज्ञानिकों की कई पीढ़ियों की मेहनत का परिणाम है। यह सफलता ‘बहुत बड़ी’ और ‘प्रोत्साहित करने वाली’ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दक्षिण अफ्रीका से ऑनलाइन माध्यम से इस अभियान के साक्षी बने। और उन्होंने वैज्ञानिकों के प्रयासों की प्रशंसा की। यह वह यात्रा है जो चंद्रयान-1 से शुरू हुई थी, जो चंद्रयान-2 में भी जारी रही और चंद्रयान-2 अब भी काम कर रहा है और तीव्र गति से संदेश भेज रहा है ।”
प्रधानमंत्री मोदी जब चन्द्रयान 3 की सफलता के के साथ ही इसरो के सजीव प्रसारण के माध्यम से सम्बोधित कर रहे थे । उस समय भारत सहित समूचा विश्व भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा था। क्योंकि विश्वजगत यह जानता है कि भारत की प्रगति विश्व कल्याण का पथ प्रशस्त करने वाली है और भारत यानि विश्वमानवता का संवाहक है। भारत यानि प्रकृति के साथ तादात्म्य स्थापित कर तन्मे मन: शिवसंकल्पमस्तु और सर्वे भवन्तु सुखिनः को चरितार्थ करने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी का यह वक्तव्य उसी भावभूमि को निरुपित करता है —
“जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं, तो जीवन धन्य हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं, राष्ट्र जीवन की चिरंजीव चेतना बन जाती है। ये क्षण अभूतपूर्व है. ये क्षण विकसित भारत के शंखनाद का है। ये क्षण नए भारत के जयघोष का है। ये क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है।ये क्षण जीत के चंद्रपट पर चलने का है। ये क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है
ये क्षण भारत में नई ऊर्जा, नया विश्वास, नई चेतना का है।ये क्षण भारत के उदयमान भाग्य के आह्वान का है। अमृतकाल के प्रथम प्रभा में सफलता की ये अमृतवर्षा हुई है।हमने धरती पर संकल्प लिया, और उसे चांद पर साकार किया
हमारे वैज्ञानिक साथियों ने भी कहा, भारत अब चांद पर पहुंच गया है।आज हम अंतरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं।”
वहीं प्रधानमंत्री मोदी विदेश यात्रा के बाद भारत आने पर सीधे बेंगलुरु में इसरो के वैज्ञानिकों के बीच पहुंचे। उन्होंने वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए कहा — “मैं आपसे जल्द से जल्द मिलना चाहता था और आपको सलाम करना चाहता था… आपके प्रयासों को सलाम।”
और प्रधानमंत्री चन्द्रयान – 3 की सफलता के दिवस यानि 23 अगस्त को राष्ट्रीय अन्तरिक्ष दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने भारत की सांस्कृतिक पहचान की कीर्ति पताका को फहराने की दृष्टि से जिस प्रकार से घोषणा की वह सभी को गौरवबोध से भरने वाली है। उन्होंने वैज्ञानिकों के मध्य कहा –
“ हम वहां पहुंचे जहां कोई नहीं पहुँचा था। हमने वो किया जो पहले कभी किसी ने नहीं किया।मेरी आँखों के सामने 23 अगस्त का वह दिन, वह एक-एक सेकंड , बार-बार घूम रहा है। जब टच डाउन कन्फर्म हुआ तो जिस तरह यहां इसरो सेंटर में, पूरे देश में लोग उछल पड़े, वह दृश्य कौन भूल सकता है। कुछ स्मृतियाँ अमर हो जाती हैं। वह पल अमर हो गया। चन्द्रमा के जिस हिस्से पर हमारा चन्द्रयान उतरा है, भारत ने उस स्थान के भी नामकरण का फैसला लिया है। जिस स्थान पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा है, अब उस प्वाइंट को ‘शिवशक्ति’ के नाम से जाना जाएगा। और चंद्रमा के जिस स्थान पर चंद्रयान-2 अपने पदचिन्ह छोड़े हैं, वह प्वाइंट अब ‘तिरंगा’ कहलाएगा। ये तिरंगा प्वाइंट भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा, ये तिरंगा प्वाइंट हमें सीख देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती है। साथ भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को भी विशेष रूप से उल्लेखित किया — ‘एक समय था जब हमारी गिनती थर्ड रो में होती थी। आज ट्रेड से लेकर टेक्नोलॉजी तक, भारत की गिनती पहली पँक्ति यानी ‘फर्स्ट रो’ में खड़े देशों में हो रही है। ‘थर्ड रो’ से ‘फर्स्ट रो तक की इस यात्रा में हमारे ‘इसरो’ जैसे संस्थानों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।”
और इस प्रकार से चन्द्रयान 3 की सफलता के साथ ही भारत ने विश्व के समक्ष एक अमिट लकीर खींच दी है। बस चारो ओर वन्दे मातरम् , भारतमाता की जयका उद्-घोष सुनाई दे रहा है। साथ ही आगामी समय में चन्द्रयान से आने वाले वैज्ञानिक निष्कर्षों ने नए भारत का भवितव्य प्रकट होगा और विश्वगुरु भारत के संदेश से समूची दुनिया लाभान्वित होगी । भारत की प्रगति विश्वमानवता और कृण्वन्तो विश्वमार्यम को चरितार्थ करेगी।
~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल
(कवि, लेखक, स्तम्भकार पत्रकार)