आज भारत समेत संपूर्ण विश्व की जनसंख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है और बढ़ती हुई जनसंख्या के बीच आज के इस आधुनिक समाज की अधिकांश गतिविधियों के लिये ऊर्जा अत्यंत आवश्यक है। इसके पीछे कारण यह है कि ऊर्जा के उपयोग या उपभोग को सामान्यतः जीवन स्तर के सूचकांक के रूप में लिया जाता है। हम ऊर्जा को जलावन की लकड़ी, जीवाश्म ईंधन, एवं विद्युत के रूप में उपयोग करते हैं जिससे हमारा जीवन आरामदायक और सुविधाजनक व सरल बनता है। ऊर्जा के दो प्रकार के स्रोत हैं जिनमें नवीकरणीय ऊर्जा और अनवीकरणीय ऊर्जा प्रमुख है। नवीकरणीय ऊर्जा के अंतर्गत क्रमशः सौर ऊर्जा, बायोमास, बायोडीजल, जलशक्ति (हाइड्रोपावर), पवन ऊर्जा, तरंग ऊर्जा (वेव एनर्जी), महासागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण, भूतापीय ऊर्जा तथा ईंधन कोष्ठिका तकनीक(फ्यूल सैल टेक्नोलॉजी जो हाइड्रोजन को विद्युत में बदलती है) तथा अनवीकरणीय ऊर्जा के अंतर्गत क्रमशः तेल(पेट्रोलियम), प्राकृतिक गैस, कोयला, न्यूक्लियर एनर्जी आदि आते हैं। वास्तव में नवीकरणीय ऊर्जा का मतलब ऐसी ऊर्जा से है जो ऐसे स्रोतों से आती है जिनकी आपूर्ति कभी भी खत्म नहीं होती है और इन्हें बार-बार उत्पन्न किया जा सकता है। नवीकरणीय स्रोतों को कुछ ही समय के भीतर फिर से तैयार किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का भंडार सीमित मात्रा में उपलब्ध है। इनके पुनरुत्पादन की दर, खपत की अपेक्षा नगण्य(न के बराबर )है अर्थात अनवीकरणीय ऊर्जा जिसका हम इस्तेमाल कर रहे हैं, थोड़े समय में ही पुनरुत्पादित नहीं की जा सकती है या कम से कम हमारे जीवन काल में तो उसे फिर से नहीं बनाया जा सकता है। बहरहाल, आज हमारा देश भारत क्लीन और ग्रीन एनर्जी की ओर लगातार अपने कदम बढ़ा रहा है। सच तो यह है कि आज हमारा देश भारत पवन और सौर ऊर्जा में एक नेतृत्वकर्ता देश के रूप में इस विश्व पटल पर उभरता चला जा रहा है और भारत में पवन और सौर ऊर्जा की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो आज के समय में हम सौर और पवन ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका में हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि हाल ही में 22 जुलाई 2023 को गोवा में आयोजित जी-20 ऊर्जा मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए(विडियो संदेश के माध्यम से)भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कही है कि आज भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन फिर भी वह अपनी जलवायु संबंधी प्रतिबद्धताओं की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने यह बात कही है कि भारत ने गैर-जीवाश्म स्थापित विद्युत क्षमता के अपने लक्ष्य को निर्धारित समय से नौ साल पहले ही प्राप्त कर लिया है और उसने अपने लिए एक ऊंचा लक्ष्य निर्धारित किया है।उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि देश 2030 तक 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म स्थापित क्षमता हासिल करने की योजना बना रहा है। आज भारत लगातार समावेशी, सुदृढ़, न्यायसंगत और स्थायी ऊर्जा की दिशा में काम कर रहा है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और यह बहुत ही सुखद है कि आज कृषि पंपों में सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जा रहा है। कुसुम योजना एक ऐसी ही योजना है। सच तो यह है कि कुसुम योजना किसानों की बिजली सम्बन्धी सभी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है, जिसका उद्देश्य भारत के किसानों को सोलर पंप लगाकर उनकी कृषि को बेहतर बनाना है, कुसुम योजना में किसान सोलर पंप के कुल लागत का मात्र 10% प्रतिशत भुगतान कर अपनी आवयश्कता के अनुसार सोलर प्लांट लगा सकते हैं। जानकारी मिलती है कि किसानों को सोलर पंप लगवाने के लिए इस योजना के तहत 90% तक सब्सिडी दी जाती है।इसमें केंद्र और राज्य सरकारें 30-30% सब्सिडी और देती हैं और बाकी 30% बैंकों द्वारा लोन लिया जा सकता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत ने कृषि पंपों में सौर ऊर्जा के प्रयोग से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी पहल शुरू की है। इतना ही नहीं,यह बहुत ही काबिलेतारिफ है कि इस साल भारत द्वारा 20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल का रोलआउट शुरू किया गया है, और सरकार का लक्ष्य 2025 तक पूरे देश को कवर करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कही है कि आज हमें प्रौद्योगिकी अंतराल को पाटने, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने और आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाने के तरीकों को खोजने की जरूरत है। यहां कहना ग़लत नहीं होगा कि वर्तमान में रूस यूक्रेन युद्ध का संपूर्ण विश्व पर बहुत ही बुरा असर पड़ा है। युद्ध से अर्थव्यवस्थाओं पर बहुत गहरा और बुरा असर पड़ा है। इससे विकास कहीं न कहीं पर बाधित हुआ है।मुद्रास्फीति की दर में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी देखने को मिली है, आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित हुई हैं। यहां तक कि युद्ध से ऊर्जा और खाद्य असुरक्षा बढ़ी है, और वित्तीय स्थिरता का जोखिम तो बढ़ा ही है। बहरहाल, आज भारत सौर ऊर्जा के सर्वोत्तम दोहन की राह पर चल रहा है और हमारे देश की सौर नीति घरेलू स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा पैदा करने पर केंद्रित है। आज धीरे-धीरे जीवाश्म ईंधन के बेरोकटोक इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम किया जा रहा है और इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। आज गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोतों जैसे कि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोगैस और परमाणु ऊर्जा पर लगातार ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और परम्परागत ऊर्जा के स्त्रोतों जैसे कि जलावन,उपले, कोयला, पेट्रोलियम का उपयोग कम किए जाने की ओर ध्यान दिया जा रहा है ताकि प्रकृति का भी संरक्षण हो सके। आज भविष्य के ईंधन पर लगातार काम किया जा रहा है। जानकारी देना चाहूंगा कि वर्ष 2015 में, भारत ने एलईडी लाइट के उपयोग के लिए एक योजना शुरू करके एक छोटा सा आंदोलन शुरू किया था, जो दुनिया का सबसे बड़ा एलईडी वितरण कार्यक्रम बन गया, जिससे हमारे देश में प्रति वर्ष 45 बिलियन यूनिट से अधिक ऊर्जा की बचत हुई। हाल ही में हुई बैठक में हमारे देश के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2030 तक भारत के इलेक्ट्रिक वाहनों के घरेलू बाजार में 10 मिलियन की वार्षिक बिक्री के अनुमान के बारे में भी चर्चा की है। इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से जीवाश्म ईंधन का प्रयोग कहीं न कहीं कम हुआ है। प्रधानमंत्री ने इस साल यानी कि वर्ष 2023 में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की आपूर्ति की शुरुआत पर भी प्रकाश डाला, जिसका लक्ष्य 2025 तक पूरे देश को कवर करना है। उन्होंने कहा है कि देश एक विकल्प के रूप में हरित हाइड्रोजन पर मिशन मोड में काम कर रहा है और इसका लक्ष्य भारत को हरित हाइड्रोजन एवं इसके यौगिकों के उत्पादन, उपयोग एवं निर्यात के एक वैश्विक केंद्र में बदलना है।उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय ग्रिड इंटरकनेक्शन ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं और भारत अपने पड़ोसियों के साथ इस पारस्परिक लाभकारी सहयोग को बढ़ावा दे रहा है। हाल फिलहाल, पवन ऊर्जा , ऊर्जा का एक अपरंपरागत स्त्रोत है और इसे अक्षय ऊर्जा का नाम भी दिया गया है। यहां जानकारी देना चाहूंगा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विंड एनर्जी (एन आई डब्ल्यू ई) की एक रिपोर्ट 2020 के अनुसार तमिलनाडु भारत में पवन ऊर्जा का सबसे बड़ा उत्पादक है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राजस्थान को उच्चतम पवन क्षमता वृद्धि हासिल करने के लिए, गुजरात को खुली पहुंच के माध्यम से उच्चतम पवन क्षमता वृद्धि हासिल करने के लिए और तमिलनाडु को पवन टरबाइनों को फिर से चालू करने के लिए सम्मानित किया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राजस्थान सौर ऊर्जा में तो अव्वल है ही, साथ ही वर्ष 2022-23 में देश में सर्वाधिक पवन ऊर्जा परियोजनाएँ स्थापित कर पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।वर्ष 2022-23 में राजस्थान प्रदेश में 867 मेगावाट क्षमता की नई पवन ऊर्जा परियोजनाएँ स्थापित की गई जो कि अन्य राज्यों की अपेक्षा सर्वाधिक है। वहीं दूसरी ओर वर्ष 2022 में प्रदेश में 4337 मेगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई थी जो कि मार्च 2023 तक बढ़कर 5204 मेगावाट हो गई। यहां पाठकों को यह भी बताता चलूं कि राजस्थान का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा संयंत्र सोढ़ा-बंधन (जैसलमेर) 25 मेगावाट का है। यदि हम आंकड़ों पर नजर डालें तो विश्व में सबसे अधिक पवन ऊर्जा के उत्पादन में भारत तीसरा स्थान रखता है। सच तो यह है कि भारत में सम्पूर्ण ऊर्जा के उत्पादन में पवन ऊर्जा का उत्पादन लगभग 10% है। एक उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारत का लक्ष्य 2030 तक 140 गीगावाट (जीडब्ल्यू) पवन क्षमता का निर्माण करना है , जो लगभग 100 मिलियन घरों को बिजली दे सकती है – जो दशक के अंत तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने के उसके व्यापक लक्ष्य का हिस्सा है। 31 मार्च 2023 को भारत में पवन ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 42.633 जीगावाट थी।पवन ऊर्जा ही नहीं भारत समृद्ध सौर ऊर्जा संसाधनों वाला देश है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर प्रयास किये हैं और उन्ही प्रयासों के तहत कुछ समय पहले प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के रीवा में स्थापित 750 मेगावाट की ‘रीवा सौर परियोजना’ को राष्ट्र को समर्पित किया था। यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि यह सौर परियोजना ‘ग्रिड समता अवरोध’ (Grid Parity Barrier) को तोड़ने वाली देश की पहली सौर परियोजना थी, जिससे लाखों टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है। भारत में यदि हम सौर ऊर्जा की स्थिति की बात करें तो हम यह पाते हैं कि भारत एक उष्ण-कटिबंधीय देश है। उष्ण- कटिबंधीय देश होने के कारण हमारे यहाँ वर्ष भर सौर विकिरण प्राप्त होती है, जिसमें सूर्य प्रकाश के लगभग 3000 घंटे शामिल हैं। वास्तव में,भारतीय भू-भाग पर पाँच हज़ार लाख किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर के बराबर सौर ऊर्जा आती है। आंकड़े बताते हैं कि सौर ऊर्जा उत्पादन में सर्वाधिक योगदान रूफटॉप सौर उर्जा (40 प्रतिशत) और सोलर पार्क (40 प्रतिशत) का है। यह देश में बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता का 16 प्रतिशत है। सरकार का लक्ष्य इसे बढ़ाकर स्थापित क्षमता का 60 प्रतिशत करना है।वर्ष 2035 तक देश में सौर ऊर्जा की मांग सात गुना तक बढ़ने की संभावना है।सौर ऊर्जा कभी खत्म न होने वाला संसाधन है और यह नवीकरणीय संसाधनों का सबसे बेहतर विकल्प है। सौर ऊर्जा वातावरण के लिये भी लाभकारी है। जब इसे उपयोग किया जाता है, तो यह वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें नहीं छोड़ती, जिससे वातावरण प्रदूषित नहीं होता। यहां जानकारी देना चाहूंगा कि भारत में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता में राजस्थान 7737.95 मेगावाट [नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई)] के साथ शीर्ष पर है। पाठकों को जानकारी प्राप्त करके हैरानी होगी कि 2245 मेगावाट क्षमता का करीब 14,000 एकड़ क्षेत्र में फैला, भारत में भड़ला सोलर पार्क को दुनिया के सबसे बड़े सौर संयंत्र का दर्जा प्राप्त है। यह राजस्थान में जोधपुर जिले के भड़ला गांव में स्थित है। राजस्थान के बाद गुजरात, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र,उत्तर प्रदेश, पंजाब और छत्तीसगढ़ राज्य सौर ऊर्जा के मामले में अग्रणी हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि भारत सौर क्रांति के शिखर पर है, सरकार ने पहले से ही वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट (जीडब्ल्यू) हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था। अंत में यही कहूंगा कि भारत में पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा दोनों की ही अपार संभावनाएं हैं। भारत पवन और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नित नवीन प्रतिमान गढ़ रहा है और यदि भविष्य में दोनों प्रकार की ऊर्जाओं में और अधिक बढ़ोत्तरी होती है तो इससे देश की जीडीपी में भी अभूतपूर्व वृद्धि होनी निश्चित है और जीडीपी में वृद्धि से देश प्रगति के नये सोपानों और नई ऊंचाइयों को छू सकेगा। आज बढ़ते प्रदूषण ,बढ़ती आबादी और निरंतर विकास के बीच देश को नवीकरणीय ऊर्जा की बहुत अधिक जरूरत है और यह हम सभी के लिए गौरवान्वित करने वाली बात है कि पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हमारा देश लगातार बेहतरी की ओर अपने कदम बढ़ाता चला जा रहा है।
– सुनील कुमार महला