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बड़ी पुरानी युद्ध नीति है कि युद्ध जीतने के लिए, पहले हमला करदो

बड़ी पुरानी युद्ध नीति है कि युद्ध जीतने के लिए, पहले हमला करदो और इससे पहले कि सामनेवाला सम्भले दूसरा हमला और लगातार पहल अपने हाथ में रखो।
विरोधी दल जो स्वयं आकंठ भ्रष्टाचार की दल दल में डूबे हुऐ हैं, यही े्््करना चाह रहे हैं। अड़ानी के मामले में और तो कुछ मिला नहीं, बस शेयर मंदी होने पर चिल्लाहट मचाये हुऐ हैं और जो बेईमानियाँ खुद की हैं, इससे पहले कि आरोप इन पर आये, मोदीजी को आरोपित कर रहे हैं।
भारत में १९४७ से २००७ तक के वर्षों में कुल बैंक क़र्ज़ा १६ बिलियन का था। जब सोनिया की सरपस्ती में मन मोहन सिंह की हुकूमत आयी तो २०१४ तक( मोदीजी के समय आने से पहले तक) केवल ७ वर्ष में बढ़ कर ५२ लाख करोड़ हो गया। ६० वर्ष में १८ लाख करोड़ और केवल ८ वर्ष में ३४ लाख करोड़ बढ़ गया। सोनिया का हुक्म होता था और चिदंबरम वित्त मंत्री जी का फ़ोन पर हुक्म जाता था और लोन बढ़ जाता था। मेहुल चौकसी, ललित मोदी और नीरव मोदी उसी समय के क़र्ज़ से बचने के लिये मोदीजी के आते ही और इससे पहले कि कोई कार्रवाई हो, देश छोड़ कर भाग खड़े हुऐ। अब उनको वापस देश लाने के लिये ऐडी चोटी का ज़ोर लगाना पड़ रहा है।इस तरह से अनाप-शनाप क़र्ज़ बाँटने से हुऐ गुनाह को छुपाने के लिये ये अब ये पहले से ही आक्रामक हो कर अपने को पाक साफ़ करने की कोशिश में अड़ानी अड़ानी चिल्ला रहे हैं। कहते हैं कि मोदी सरकार ने इसे क़र्ज़ देने कि लिये LIC औरState Bank of India को डुबा दिया । वास्तविकता ये है कि ऐक का तो कुल .८८% तथा दूसरे का १% से कुछ कम पैसा , अड़ानी में लगा है।EPFO ( Employee Providend Fund) का भी मुश्किल से १% पैसा अड़ानी में लगा है।अगर आँकड़े में देखें तो स्टेट बैंक का २७००० करोड़ और जीवन बीमा निगम का कुल ३६, ४७४ करोड़ रुपये अड़ानी की कम्पनियों में लगे हैं। राहुल और सारे विरोधी दल और ख़ास तौर से केजरीवाल कह रहे हैं कि स्टेट बैंक और जीवन बैंक निगम को डुबो दिया। स्टेट बैंक का इस वर्ष का लाभ ३१, ६०० करोड़ है जो कुल अड़ानी में लगाये २७००० करोड़ से ऊपर है। जीवन बीमा निगम का सितंबर २२ में समाप्त होने वाली *तिमाही* में लाभ १५८५४ करोड़ है। कुल अड़ानी में निवेश ३६४७४ करोड़ और उसका ४०% लाभ केवल ऐक तिमाही में । दोनों संस्थाओं का बयान है कि उनके निवेश ऐसी प्रतिभूतियों पर हैं जो नक़द लाभ कमा रही हैं। (शेयर केवल बढ़ते घटते हैं – नक़द लाभ नहीं कमाते)।
उपरोक्त सारे आँकड़े गुगल से लिये गये हैं।
अब ये जो शोर है, उसकी सच्चाई आप स्वयं परख लें।
मैं बताता हूँ । आपको सबको पता होगा कि राहुल पिछले कुछ समय पूर्व कैलाश दर्शन के बहाने तिब्बत के रास्ते चीन जा कर वहाँ की कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ कांग्रेस पार्टी का समझौता करके आये जिसकी शर्तें आज तक देश और जनता से छुपाया हुई हैं। *पिछले वर्ष अड़ानी नें इस्रायल का मुख्य बन्दरगाह ‘हैफा ‘ चीनी कम्पनी से ज़्यादा बोली लगा कर छीन लिया था।* तब से राहुल को आग लगी हुई है और वो अड़ानी के पीछे लगा है। हिंडनबर्ग ज्योर्ज सोरोस की कम्पनी है(परोक्ष रूप से) । बस अड़ानी को बर्बाद करो। ये वो हालाँकि कर नहीं पायेंगे। लेकिन हाय तोबा और शोर मचा रहे हैं। मोदीजी ऐक देसी कम्पनी को विदेशी भारत विरोधी देशों द्वारा बर्बाद होने नहीं देंगे, विशेषत: जब वो चीनी हो, इसलिये पहले मोदी को रास्ते से हटाना है।
मैं देश वासियों से स्पष्ट पूंछना चाहता हूँ कि क्या वो मूक दर्शक रह कर देश को मोदी को और अपनी मेहनत से खड़ी हुई ऐक शुद्ध देशी कम्पनी को ऐक ग़द्दार और झूठे आदमी द्वारा बर्बाद होने देंगे।
आप कृपया केवल पढ़ कर चुप न रहें वरन खुल कर लिखें, जिधर मर्ज़ी हो। लेकिन लिखें ज़रूर ।
जय सियाराम जी

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