Shadow

सरयू का भाग्य देखिए…

प्रभु श्रीराम के इक्ष्वाकु वंश के महाप्रतापी पूर्वजों का तर्पण यहीं हुआ। कौशल्या के महल में शिशु रूप में राम के प्रथम स्नान का जल यहीं से गया। राम सरयू की गोद में ही पले-बढ़े। सरयू साक्षी है कि राजतिलक होते-होते 14 वर्ष का वास्तविक वनवास क्या होता है और यह भी कि उस वनवास ने कैसे अयोध्या के एक राजकुमार को सच्चा जननायक बना दिया था। सीता के प्रथम अयोध्या प्रवेश पर सरयू का जल ही कलश में छलछला रहा था। चित्रकूट से खाली हाथ लौटे भरत की आँखों से झरे हरेक आंसू का हिसाब आज केवल सरयू के पास है। लंका से सीता सहित लौट रहे श्रीराम का पुष्पक विमान अयोध्या के आकाश में देखकर सरयू कैसे मचल उठी होगी? महर्षि वाल्मीकि से लेकर गोस्वामी तुलसीदास तक युगों का अंतराल है। इन दो महापुरुषों को श्रीराम की महिमा शब्दबद्ध कर संसार की स्मृतियों में गहरे तक उतारने का श्रेय है। सरयू के तट इनके चरणों से भी पवित्र हुए हैं। राम से बड़ा राम का नाम यूँ ही नहीं हो गया!

सरयू का दुर्भाग्य देखिए…

वह भारत के हर उत्थान और पतन की गवाह है। मध्यकाल की सात-आठ सदियों के उत्पाती और अभिशप्त कालखंड में भी वह मौनपूर्वक बहती रही। उस विकट समय में राम की स्मृतियाँ ही उसका संबल बनी होंगी। दिल्ली पर बारहवीं सदी में तुर्कों के कब्जे के बाद लुटेरों के झुंड अवध और बिहार होकर ही बंगाल तक अंधड़ों की तरह झपटते रहे थे। बीच में सरयू आती थी, जिसकी धाराओं को घाघरा और घघ्घर भी दस्तावेजों में लिखा गया। वे अंधड़ उधार के विचार पर सवार होकर आए थे। कनक भवन को मिट्‌टी में मिलाने वाला मसूद सरयू किनारे ही श्रावस्ती की ओर गया था। नालंदा को जलाकर राख करने वाला बख्तियार सबसे पहले अवध में रोटियाँ तोड़ रहा था। मीर बाकी ताशकंदी तक सरयू की आहत स्मृतियों में किस्से तमाम हैं!

चार्ली चैप्लिन से किसी ने पूछा कि उन्हें सबसे अधिक कौन सा मौसम प्रिय है? जीवनपर्यंत संसार भर को हँसाने वाले उस महान् अभिनेता का उत्तर था- बारिश, क्योंकि उसमें मनुष्य के आँसू नजर नहीं आते। सरयू तो स्वयं जलराशि ही है। भारत भूषण जैसा कोई संवेदनशील विरला कवि ही अनुभव कर सकता है कि रामलला के आने की आहट सुनकर सरयू के नेत्रों में आज क्या दृष्टिगोचर होगा?

धर्म के वेश में कोई विचार दशकों-शताब्दियों में कहीं भी फैल-पसर सकता है, लेकिन सनातन के विकास की साक्षी सरयू बता रही है कि संस्कृतियों को आकार लेने में युगों की प्रतीक्षा, परीक्षा और धैर्य अनिवार्य है। अनंत पीढ़ियाँ खपती हैं। कोई राम यूँ ही संसार का आदर्श और प्रेरणा नहीं बन जाता। मर्यादा पुरुषोत्तम का किसी भाषा में कोई अनुवाद है?

भारत के संघर्ष की साक्षी सरयू आज नवनिर्माण की साक्षी बन रही है। अयोध्या तो निमित्त है।

#विजयमनोहरतिवारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *