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मणिपुर समस्या…

वो लोग जो मणिपुर का रास्ता नहीं जानते…* पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरा शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके ज्ञान वर्धन के लिए पोस्ट…

क्योंकि फ्रांस वीडियो चर्चा के बाद इनको बहुत पेट में मरोड़ उठा था मणिपुर को लेकर…

एक इतिहास: जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर के ओर भी कदम बढ़ाए जहाँ उनको चाय के साथ तेल मिला… उनको इस पर डाका डालना था…
उन्होंने वहां पाया कि यहाँ के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं… परन्तु जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है… अतः अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यहाँ के लोगों को देश के अन्य भूभाग से पूरी तरह काटने को सोचा… इसके लिए अंग्रेज लोग ले आए इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था… इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवाएगा और एक समय सीमा से आगे नहीं रह सकता… परन्तु इसके उलट अंग्रेजों ने अपने भवन बनवाए और अँगरेज़ अफसरों को रखा जो चाय की पत्ती उगाने और उसको बेचने का काम करते थे… इसके साथ अंग्रेज़ों ने देखा कि इस इलाके में ईसाई नहीं हैं… अतः इन्होने ईसाई मिशनरी को उठा उठा के भेजा… इस मिशनरी ने इलाके के लोगों को आसानी से इससे धर्म में परिवर्तित करने का काम शुरू किया… जब खूब लोग ईसाई में परिवर्तित हो गए तो अँगरेज़ इनको ईसाई राज्य बनाने का सपना देखने लगे… साथ ही उनका आशय था कि पूर्वोत्तर से चीन भारत तथा पूर्वी एशिया पर नजर बना के रखेंगे…

अंग्रेज़ों ने एक चाल और चली… उन्होंने धर्म परिवर्तित करके ईसाई बने लोगों को ST का दर्जा दिया तथा उनको कई सरकारी सुविधाएं दी… धर्म परिवर्तित करने वालों को कुकी जनजाति और वहां के वैष्णव लोगों को मैती समाज कहा जाता है… तब इतने अलग राज्य नहीं थे और बहुत सरे नगा लोग भी धर्म परिवर्तित करके ईसाई बन गए… धीरे धीरे ईसाई पंथ मानने वालों की संख्या वैष्णव लोगों से अधिक या बराबर हो गयी… मूल लोग सदा अंग्रेजों से लड़ते रहे जिसके कारण अंग्रेज इस इलाके का भारत से विभाजन करने में नाकाम रहे… परन्तु वो मैती की संख्या कम करने और परिवर्तित लोगों को अधिक करने में कामयाब रहे… मणिपुर के 90% भूभाग पर कुकी और नगा का कब्जा हो गया जबकि 10% पर ही मैती रह गए… अंग्रेजों ने इस इलाके में अफीम की खेती को भी बढ़ावा दिया और उस पर ईसाई कुकी लोगों को कब्जा करने दिया..

आज़ादी के बाद:

आज़ादी के समय वहां के राजा थे बोध चंद्र सिंह और उन्होंने भारत में विलय किया… 1949 में उन्होंने नेहरू को बोला कि मूल वैष्णव जो कि 10% भूभाग में रह गए है उनको ST का दर्जा दिया जाए जाए… नेहरू ने उनको जाने को कह दिया… फिर 1950 में संविधान अस्तित्व में आया तो नेहरू ने मैती समाज को कोई छूट नहीं दी… 1960 में नेहरू सरकार द्वारा लैंड रिफार्म एक्ट लाया जिसमे 90% भूभाग वाले कुकी और नगा ईसाईयों को ST में डाल दिया गया… इस एक्ट में ये भी आया जिसमे 90% कुकी नगा वाले कहीं भी जा, रह सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं परन्तु 10 % के इलाके में रहने वाले मैती को ये सब अधिकार नहीं था… यहीं से मैती लोगों का दिल्ली से विरोध शुरू हो गया… नेहरू एक बार भी पूर्वोत्तर के हालत को ठीक करने नहीं गए…

उधर ब्रिटैन की MI6 और पाकिस्तान की ISI मिलकर कुकी और नगा को हथियार देने लगी जिसका उपयोग वो भारत विरुद्ध तथा मैती वैष्णवों को भगाने के लिए करते थे… उनका जम कर बिना दिल्ली के समर्थन के मुकाबला किया मैतियों ने… सदा से इस इलाके में कांग्रेस और कम्युनिस्ट लोगों की सरकार रही और वो कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थन में रहे… चूँकि लड़ाई पूर्वोत्तर में ट्राइबल जनजातियों के अपने अस्तित्व की थी तो अलग अलग फ्रंट बनाकर सबने हथियार उठा लिया… पूरा पूर्वोत्तर ISI के द्वारा एक लड़ाई का मैदान बना दिया गया… जिसके कारण मिज़ो जनजातियों में सशत्र विद्रोह शुरू हुआ… बिन दिल्ली के समर्थन जनजातियों ने ISI समर्थित कुकी, नगा और म्यांमार से भारत में अनधिकृत रूप से आये चिन जनजातियों से लड़ाई करते रहे… जानकारी के लिए बताते चलें कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट ने मिशनरी के साथ मिलकर म्यांमार से आये इन चिन जनजातियों को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों और जंगलों की नागरिकता देकर बसा दिया… ये चिन लोग ISI के पाले कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थक थे तथा वैष्णव मैतियों से लड़ते थे… पूर्वोत्तर का हाल ख़राब था जिसका राजनीतिक समाधान नहीं निकला गया और एक दिन इन्दिरा गाँधी ने आदिवासी इलाकों में हवाई हमलें का आदेश दे दिया जिसका आर्मी तथा वायुसेना ने विरोध किया परन्तु राजेश पायलट तथा सुरेश कलमाड़ी ने हवाई हमला किया और अपने लोगों की जाने ली… इसके बाद विद्रोह और खुनी तथा सशत्र हो गया…

1971 में पाकिस्तान विभाजन और बांग्ला देश अस्तित्व आने ISI के एक्शन को झटका लगा परन्तु म्यांमार उसका एक खुला एरिया था… उसने म्यांमार के चिन लोगों का मणिपुर में प्रवेश कराया जिसका कांग्रेस तथा उधर म्यांमार के अवैध चिन लोगों ने जंगलों में डेरा बनाया और वहां ओपियम यानि अफीम की खेती शुरू कर दिया… पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड दशकों तक कुकियों और चीन लोगों के अफीम की खेती तथा तस्करी का खुला खेल का मैदान बन गया… मयंमार से ISI तथा MI6 इस अफीम की तस्करी के साथ हथियारों की तस्करी का एक पूरी अर्थव्यवस्था खड़ी कर दी… जिसके कारण पूर्वोत्तर के इन राज्यों की बड़ी जनसँख्या नशे की भी आदी हो गयी… नशे के साथ हथियार उठाकर भारत के विरुद्ध युद्ध फलता फूलता रहा…

2014 के बाद की परिस्थिति…

मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट के पालिसी के अंतर्गत पूर्वोत्तर पर ध्यान देना शुरू किया, NSCN तथा भारत सरकार के बीच हुए नागा एकॉर्ड के बाद हिंसा में कमी आई… भारत के सेना पर आक्रमण बंद हुए… भारत सरकार ने अभूतपूर्व विकास किया जिससे वहां के लोगों को दिल्ली के करीब आने का मौका मिला… धीरे धीरे पूर्वोत्तर से हथियार आंदोलन समाप्त हुए… भारत के प्रति यहाँ के लोगों का दुराव कम हुआ… रणनीति के अंतर्गत पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकार आई… वहां से कांग्रेस और कम्युनिस्ट का लगभग समापन हुआ… इसके कारण इन पार्टियों का एक प्रमुख धन का श्रोत जो कि अफीम तथा हथियारों की तस्करी था वो चला गया… इसके कारण इन लोगों में किसी भी तरह पूर्वोत्तर में हिंसा और अशांति फैलाना जरूरी हो गया था… जिसका ये लोग बहुत समय से इंतजार कर रहे थे…

दो घटनाए घटीं…

१. मणिपुर उच्च न्यायालय ने फैसला किया कि अब मैती जनजाति को ST का स्टेटस मिलेगा… इसका परिणाम ये होगा कि नेहरू के बनाए फार्मूला का अंत हो जाएगा जिससे मैती लोग भी 10% के सिकुड़े हुए भूभाग के जगह पर पूरे मणिपुर में नहीं भी रह बस और जमीन से सकेंगे… ये कुकी और नगा को मंजूर नहीं…

२. मणिपुर के मुख्य मंत्री बिरेन सिंह ने कहा कि वो पहचान करके म्यांमार से आए अवैद्य चिन लोगों को बाहर निकालेगी और अफीम की खेती को समाप्त करेगी… इसके कारण तस्करों का गैंग सदमे में आ गया…

इसके बाद ईसाई कुकियों और नगाओं ने अपने दिल्ली बैठे आकाओं, कम्युनिस्ट लुटियन मीडिया को जागृत किया… पहले इन लोगों ने अख़बारों और मैगजीन में लेख गलत लिखकर और उलटी जानकारी देकर शेष भारत के लोगों को बरगलाने का काम शुरू किया… उसके बाद दिल्ली से सिग्नल मिलते ही कुकियों और नगाओं ने मैती वैष्णव लोगों पर हमला बोल दिया… जिसका जवाब मैतियों ने दुगुना वेग से दिया और इन लोगों को बुरी तरह कुचल दिया जो कि कुकी नगा के साथ दिल्ली में बैठे इनके आकाओं के लिए भी अप्रत्याशित था… लात खाने के बाद ये लोग आदतानुसार विक्टिम कार्ड खेलकर रोने लगे…

अभी भारत की भांड मीडिया का गैंग जो कम्युनिस्ट तथा कांग्रेस का पालतू कुत्ता है और भौंकेगा… क्योंकि पूर्वतर में मिशनरी, अवैध घुसपैठियों और तस्करों के बिल में मणिपुर तथा केंद्र सरकार ने खौलता तेल डाल दिया हुआ है…

साभार नेट

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