मणिपुर राज्य, हमारे पड़ौसी देश म्यांमार की सीमा से लगा हुआ भारत के उत्तर पूर्व में स्थित एक बहुत ही सुन्दर राज्य है। मणिपुर नाम दो शब्दों के योग से बना है – मणि + पुर, मणि का अर्थ अमूल्य तथा पुर का अर्थ स्थान होता है, अर्थात् मणिपुर का अर्थ है एक ऐसा स्थान जो अमूल्य है। यहाँ की अप्रितम सुन्दरता के कारण ही मणिपुर को ‘भारत का गहना‘ नाम से भी जाना जाता है। यहाँ आयुर्वेदिक औषधियों की प्रचुरता, अथाह शुद्ध जल की उपलब्धता, प्राकृतिक सुन्दरता की असीम कृपा आदि सभी कुछ ईश्वर द्वारा निशुल्क उपलब्ध कराया गया है। जहाँ चहुँ ओर प्राकृतिक संसाधनों का भंडार है, ऐसे प्रदेश में अशान्ति का प्रसार होना सम्पूर्ण भारत देश के लिए अत्यंत दुख का विषय है। दुख इस बात का भी है कि जो निवासी कभी परस्पर भाईचारे के साथ रहते थे, आज वहीं लोग एक-दूसरे को लूट रहे हैं, जला रहे हैं, खून के प्यासे हो गए हैं। हजारों प्रदेश वासी अपने गृह नगर में ही बेघर हो गए हैं और शरणार्थी कैम्पों में एक-एक रोटी की भीख मांगकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
कभी एक खुशहाल प्रदेश के रूप में प्रसिद्ध मणिपुर, आज सम्पूर्ण देश को दया एवं सहायता की दृष्टि से देख रहा है। इस प्रदेश की ऐसी कठिन परिस्थिति में सभी को, चाहें वह राजनीतिक हो, व्यवसायी हो, समाज सेवी हो अथवा अन्य कोई देशभक्त हो, इन सभी का यह कर्तव्य हो जाता है कि मणिपुर की शांति बहाली एवं पुनः खुशहाली लाने में अपना-अपना यथासम्भव सहयोग दें। वहाँ पुनः प्रेम का वातावरण स्थापित हो, भाई-भाई का परस्पर वैमनस्य समाप्त हो। इसके अतिरिक्त जिस किसी ने भी मणिपुर जैसे खुशहाल राज्य को कलंकित करने में अपना योगदान दिया है, उसको सख्त से सख्त सजा मिले।
यह उत्तर पूर्व की सात बहनो का प्रदेश है, जिसे दक्षिण एशिया का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यहाँ के प्राकृतिक संसाधन के भंडार पर चीन अपनी कुटिल दृष्टि जमाए बैठा है। यह स्थान आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से जितना अधिक अस्थिर होगा उतना ही चीन के लिए लाभकारी होगा। चीन की कुटिल नीति सदैव से इसको अपने अधिकार में लेने के लिए लगी है। चीन का प्रयास मणिपुर में अस्थिरता उत्पन्न कर भारत के लिए कष्टप्रद स्थिति बनाने का रहा है, जिससे परेशान होकर वहाँ की जनता का रुझान चीन की ओर हो जाए और जब चीन उस पर अपना अधिकार स्थापित करना चाहें तो वहाँ की जनता विरोध न करें। इसलिए वहाँ पर शीघ्रातिशीघ्र शांति स्थापित करने की आवश्यकता है। यह हिंसात्मक वातावरण जितना अधिक वृहद होगा, उतना ही भारत के लिए अहितकर होगा।
इसलिए मेरी सभी से करबद्ध प्रार्थना है कि पूरा भारत शांति के लिए आगे बड़े, वहाँ की जनता खुशहाल रहे, प्रसन्न रहे, इसी में भारत की खुशहाली निहित है।
*योगेश मोहन*