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मौलाना मदनी ने तुर्की की मदद करने के लिए भारत की खूब तारीफ की और इजराइल से संबंध ना रखने की बात कही

उन्होंने कहा कि मैं भारत सरकार से यही अपील करूंगा कि वह इजराइल के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करें और इजरायल के साथ संबंध तोड़ कर मुस्लिम देशों के साथ बेहतर संबंध रखें

सोचिए इस कौम की सोच कितनी घटिया है तुर्की ने आज तक किसी भी मंच पर भारत का साथ नहीं है तुर्की के मन में आज भी वही टीस है कि जब अंग्रेजों ने अविभाजित भारत में भारतीय सेना की बहादुरी से ऑटोमन साम्राज्य का तख्तापलट कर दिया था और लाल टोपी लगाए तुर्कों को जोकर बना दिया था

यह तुर्क यानी ऑटोमन साम्राज्य शान से कहता था कि वह पैगंबर के बनाए गए नक्शे के मुताबिक पूरी दुनिया में इस्लाम का राज लाएगा और फिर ऑटोमन की वहशी दरिंदा सेना कई दिशाओं में निकल पड़ी और उनका काम फसलों को जलाना लोगों का कत्ल करना था

ब्रिटेन आयरलैंड छोड़कर लगभग पूरा यूरोप इनके कब्जे में आ गया अफ्रीका में यह हॉर्न ऑफ अफ्रीका तक बढ़ गए थे यानी इजिप्ट लीबिया मोरक्को अल्जीरिया सब कुछ कब्जा कर लिया

इनके पास इतने संसाधन नहीं थे कि यह दक्षिण अमेरिका और उत्तर अमेरिका की तरफ बढ़े फिर इन्होंने सपना देखा कि अविभाजित भारत वर्मा थाईलैंड इंडोनेशिया मलेशिया जापान आस्ट्रेलिया पर भी कब्जा करो

और मैं इतिहास में जो कुछ पढ़ा हूं उसके हिसाब से कह सकता हूं यदि उस दौर में भारत पर अंग्रेजों का कब्जा नहीं होता तो आज भारत ऑटोमन साम्राज्य का गुलाम होता अंग्रेज तुर्की के खलीफा यानी ऑटोमन एंपायर के सामने ढाल बनकर खड़े हो गए और उन्होंने कई मोर्चों पर ऑटोमन सेना को फंसा दिया उन्होंने अरब के तमाम देशों को भड़का कर अरबी लोगों को ही खलीफा के खिलाफ कर दिया और एक मोर्चा सऊदी अरब में एक मोर्चा गैलिपोली में एक मोर्चा अफ़गानिस्तान बॉर्डर पर एक मोर्चा जिब्राल्टर में ऐसे 8 से ज्यादा मोर्चों पर ब्रिटिश सेना और ऑटोमन साम्राज्य की सेना में भीषण युद्ध हुई

सबसे भीषण लड़ाई आज के इजिप्ट में हुई.. अंग्रेजों ने खलीफा को बंदी बना लिया और निर्वासित कर दिया फिर सऊदी अरब यानी कुल 30 नए देश बने खलीफा को निर्वासित कर दिया गया

अंग्रेज जनरल ने खलीफा की लाल टोपी उसके सर से उठाकर अपने पैरों में मसल दिया था और अंग्रेजों की इस जीत में भारत की 8 रेजीमेंट यानी गोरखा रेजीमेंट राजपूत रेजीमेंट सिख रेजीमेंट गढ़वाल रेजीमेंट सब का बहुत बड़ा रोल था

1857 में अपनी दिल्ली मुगल सल्तनत और अपनी रियासत बचाने के लिए कुछ मुगल नवाब अंग्रेजो के खिलाफ लड़े थे और जब अंग्रेजों ने 1857 की बगावत दबा दिया फिर उसके बाद सर सैयद अहमद खान ने जगह-जगह मुसलमानों के बीच में भाषण देते हुए कहा यह अंग्रेज हमारे दुश्मन नहीं है हमें भारत की आजादी की बात भुला कर अपनी पढ़ाई लिखाई और शिक्षा में ध्यान देना चाहिए अपने व्यापार में ध्यान देना चाहिए क्योंकि यदि अंग्रेज भारत से चले जाएंगे तो फिर हम हिंदुओं के गुलाम हो जाएंगे

और 1857 के बाद किसी भी मुसलमान ने अंग्रेजो के खिलाफ कोई भी क्रांति में हिस्सा नहीं लिया लेकिन जब अंग्रेजों ने तुर्की के खलीफा के खिलाफ युद्ध छेड़ा क्योंकि तुर्की का खलीफा भारत को अपना गुलाम बनाना चाहता था तब भारत के मुसलमानों ने अपने खलीफा को बचाने के लिए भारत में खिलाफत आंदोलन चलाया कई मुस्लिम मौलाना अंग्रेजो के खिलाफ सड़कों पर उतर आए और यह लड़ाई भारत की आजादी के लिए नहीं थी बल्कि तुर्की के खलीफा को बचाने के लिए थी

बहुत से मुस्लिम लोगों को जो अंग्रेजो के खिलाफ लड़े थे उनकी लड़ाई को यह कहकर चित्रित किया गया कि उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी यह आधा सच है पूरा सच यह है कि उन्होंने भारत से अंग्रेजों को भगाने के लिए नहीं भारत की आजादी के लिए नहीं बल्कि अपने तुर्की के खलीफा को मदद करने के लिए अंग्रेजो के खिलाफ बगावत किया था और सबसे बड़ा अफसोस है महात्मा गांधी ने मुसलमानों की इसमें इस खिलाफत आंदोलन में मदद किया था

ऑटोमन साम्राज्य के खिलाफ यह लड़ाई भारतीय सेना के बगैर अंग्रेज नहीं जीत सकते थे तब से लेकर आज तक तुर्की भारत से नफरत करता है और हर एक इंटरनेशनल मंच पर पाकिस्तान का समर्थन करता है भारत के खिलाफ जहर उगलता है और भारत के विकास में तुर्की का एक पैसे का रोल नहीं है

लेकिन किसी भी प्राकृतिक आपदा से पीड़ित देश की मानवता के आधार पर मदद करनी चाहिए इसमें कोई गलत नहीं है लेकिन हम यह सोच लें कि घायल सांप को पानी पिलाने दूध पिलाने उसका इलाज करने से वह अपनी प्रवृत्ति भूल जाएगा यह भी हमारी गलतफहमी है

वही हम इजराइल पर आते हैं इजरायल के साथ नीच गांधी खानदान ने एक अछूत जैसा बर्ताव किया उन्हें लग रहा था कि यदि हम इजरायल के साथ राजनयिक संबंध रखेंगे तो भारत के मुसलमान हमें वोट नहीं देंगे

फिर जब कुछ वर्षों के लिए कांग्रेस पार्टी इस नीच खानदान के खूनी पंजे से आजाद हुई थी तब प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने 1992 में पहली बार इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किया इजराइल ने हर एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का पूरा साथ दिया है भारत के विकास में खासकर कृषि, डेयरी में इजराइल का बहुत बड़ा रोल है आज जो भारत में कृषि क्रांति आई है यह ड्रिप इरिगेशन हो चाहे हाइड्रोपोनिक एग्रीकल्चर हो या पालीहाउस एग्रीकल्चर हो इस सब टेक्नोलॉजी में इजरायल ने भारत की बहुत मदद किया है

इसके अलावा खजूर से लेकर तमाम तरह के फल की भारतीय माहौल में विकास के लिए इजरायल ने बड़ा रोल दिया है अभी इजरायल सरकार एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है जिसमें कच्छ के रेगिस्तान में ऑलिव की खेती की जा सके इसके अलावा भारत में रक्षा क्षेत्र में भी भारत की बहुत सहायता की है भारत को कई हथियार दिए हैं और कई तरह के हथियार बनाने में भारत का मदद किया है

इजराइल के लोग भारत को अपना नेचुरल दोस्त समझते हैं लेकिन यह कौम चाहती है कि भारत सरकार अपना अंतरराष्ट्रीय रिश्ता धर्म के आधार पर रखें न की देशों के रुख के हिसाब से रखें मतलब यदि कोई मुस्लिम देश भारत का दुश्मन भी है तो भी भारत उसके कदमों में झुक जाए लेकिन यदि कोई गैर मुस्लिम देश भारत का दोस्त भी है तो भी भारत उसे रिश्ता ना रखें

मुझे जनरल बिपिन रावत की बात याद आ गई जब वह हर मंच पर कहते थे कि हमें भारतीय सेना को इतना ताकतवर बनाना पड़ेगा कि वह मुसीबत में एक साथ ढाई मोर्चे पर रह सकें यानी एक मोर्चा पाकिस्तान एक मोर्चा चीन और आधा मोर्चा यह मदनी जैसे दोगले लोग

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