आज बहुत दिनों बाद… रक्षा क्षेत्र से जुड़े एक महत्वपूर्ण ओर बड़ी पोस्ट लिख रहा हूं, आप लोगों के मन में हर वक्त एक ही सवाल मंडराता होगा कि, चीन की रॉकेट फोर्स के सामने अब भारत कहां खड़ा है..!? सत्य यह है कि भारत पिछले 8 सालों से, युद्धक स्तर पर चीन के खिलाफ रॉकेट फोर्स का गठन कर रहा है, इसलिए भारी संख्या में सुरंगों का काम शुरू कर चुका है. अब चलिए जानते हैं.
चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए, भारत कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों “SRBMs” को, स्टोर करने के लिए सीमावर्ती राज्यों में युद्धक स्तर पर, मल्टी फंक्शनल भंडारण सुरंगों का निर्माण कर रहा है !! और भारत बहुत जल्द ही कम दूरी तक सटीक मार करने वाली प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल के तैनाती करने वाला है. भारत इस तरह उन ‘सुरंगों’ का निर्माण कर रहा है, जो किसी भी हमले की स्थिति में, हमारे मिसाइलों को सुरक्षित रखेंगी और इन ‘सुरंगों’ के जरिए भारत सटीकता के साथ फौरन दुश्मन को अपना निशाना बना सकता है. केन्द्र की मोदी सरकार ने प्रलय मिसाइल का इस्तेमाल चीन के साथ साथ पाकिस्तान से लगते सीमा रेखा पर भी करने का फैसला लिया है ! जिसका मुख्य लक्ष्य दुश्मन की सैन्य भंडारन क्षमता को नष्ट करना है… दरअसल, भारत को मिसाइल फोर्स बनाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्यों कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स, जिसे पहले सेकेंड आर्टिलरी फोर्स के रूप में जाना जाता था, उसके पास “दुनिया’ की सबसे बड़ी जमीन आधारित पारंपरिक मिसाइल फोर्स है.. जिसे चीन अब अपनी नौसेना,वायुसेना व थलसेना के जरिए इस्तेमाल कर सकता है.
चीन.. साल 2017 से 2019 के बीच के तीन सालों में अपनी मिसाइल क्षमता में 33 प्रतिशत का इजाफा किया है ! जिससे रॉकेट पर चीन की बढ़ती निर्भरता का पता चलता है ! मिलिट्री विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत के साथ युद्ध के स्थिति बनती है तो युद्धके प्रारंभिक चरण में ही चीन अपने मिसाइलों के जरिए भारत के कमान सेंटर्स,नियंत्रण केन्द्रों,हवाई ठिकानों मिलिट्री फोर्स ठिकानों,रसद सामग्री ठिकानों व अन्य बुनियादी ठिकानों को नष्ट करने की कोशिश करेगा !? ताकि..युद्ध शुरू होते ही भारत को बैकफुट पर धकेला जा सके !! परंतु, भारत इसका किस तरह मुंहतोड़ जवाब देगा..भारत के पास भी इस तरह के हमले का जवाब देने के लिए “जमीन” से लॉन्च करने वाली मिसाइलें हैं, लेकिन अगर चीन से तुलना किया जाए तो, भारत के पास, सीमित विकल्प फिलहाल मौजूद हैं !! भारतीय थल सेना ओर वायु सेना के पास, जमीन पर आधारित ब्रह्मोस मिसाइलें हैं.. लेकिन संयुक्त अभियान या संयुक्त क्षमताओं की कमी का मतलब यह है कि उनका ‘बेहतर उपयोग’ नहीं किया जा सकता है. लिहाजा, भारत के मिलिट्री एक्सपर्ट्स लगातार रॉकेट फोर्स के गठन की मांग करते आ रहे थे !? जिसपर अब भारत ने काफी तेजी से काम करना शुरू कर दिया है !! भारत के पूर्व सैन्य प्रमुख जनरल मनोज नरवणे भी कह चुके हैं, कि भविष्य में सैन्य संघर्ष के स्वरूप पूरी तरह से अलग होने वाले है. रिपोर्ट है कि चीन भी काफी तेजी से ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास कर रहा है जिसमें सैन्य अड्डों के अलावा रेलवे लाइन्स भी शामिल हैं, जिनके जरिए हथियारों का ट्रांसपोर्टेशन काफी आसानी से किया जा सके…. ऐसे में भारत भी काफी तेजी से अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरंगों का निर्माण कर रहा है.
भारत ने भी पिछले नौ सालों से अपनी मिसाइलों का तेजी से विकास करना शुरू कर दिया है !! और भारत ने चीन के साथ ताजा सीमा तनाव के बीच अपने परमाणु अस्त्र ले जाने सक्षम अग्नि-5 मिसाइल का रात्रि परीक्षण किया है. अग्नि-5 भारत की सबसे दुर्जेय मिसाइलों में से एक है, जो अनकही दूरी तक मार करने में सक्षम है और चीन के पूरे हिस्सों में, मार करने में सक्षम है..!! भारत ओर अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के रिपोर्ट का कहना है कि.. चीनी घुसपैठ का मतलब चाइना एकतरफा तरीके से सीमा की यथास्थिति को बदलना चाहता है !? इसमें पिछले आक्रमणों का भी उल्लेख किये गये है, जिसमें 2020 का गलवान संघर्ष, 2016 में इसी तरह की एक घटना हुई थी जिसमें 250 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ किया था ! लेकिन कोई झड़प नहीं हुई थी. अब फिलहाल तवांग की झड़प आप लोगों के सामने हैं ! चीन के रॉकेट फोर्स के पास अनुमानित तौर पर “300” के करीब परमाणु बम, और करीब 2500 बैलिस्टिक मिसाइलें हो सकती हैं,इसके साथ ही चीन के पास करीब 90 इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें भी हो सकती हैं ! इसके साथ ही चाइना के रॉकेट फोर्स में करीब, डेढ़ लाख जवान हो सकते हैं, जो चाइना की अपार क्षमता को दर्शाता है !! चीन के मिसाइल फोर्स का मुख्यालय हैदान जिले के किंघाई में है और चीनी मिसाइलें सेकंड्स में अपने टारगेट को तबाह कर सकती हैं… भारत भी कम दूरी से लंबी दूरी तक मार करने वाली कई बैलिस्टिक ओर क्रूज मिसाइलों का विकास युद्धक स्तर पे कर रहा है.. कइयों की विकास ओर परिक्षण भी पूरे कर लिए गए हैं. ओर ‘कई मिसाइलों’ को भारतीय बेड़े में शामिल भी किया जा चुका है… कई घातक मिसाइलों का अभी विकास के साथ साथ उनका परिक्षण भी चल रही है… यदि पिछली सरकार ने अपने 10 साल की कार्यकाल में, इस पर थोड़ी भी ध्यान देती तो आज भारत कुछ हालातों में चीन से पिछड़ेपन का एहसास नहीं होता….!? फिर भी अभी जो हो रहा है, वह जोरदार और जबर्दस्त तरीके से हो रहा है. इसलिए चीन घबराया हुआ है…
जय भारत
फोटो में दीख रहा मिसाइल का नाम “ब्रह्मास्त्र” है.