Zayed Award: इंडोनेशिया का नहदलातुल उलमा दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामी संगठन है. ये संगठन इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए शांतिपूर्वक ठंग से पिछले सौ सालों से काम कर रहा है. इंडोनेशिया को कट्टर इस्लाम से बचाए रखने में इस संगठन ने अहम रोल निभाया है. अब यूएई में संगठन को अवॉर्ड दिया गया है.
इस्लामिक संगठन नहदलातुल उलमा (Nahdlatul Ulama) को उसके सामाजिक कामों, शिक्षा, शांति और धार्मिक सहिष्णुता के लिए UAE के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. जायद अवॉर्ड (Zayed Award) मिलने के बाद नहदलातुल उलमा के स्कॉलर उलिल अबशार-अब्दल्ला ने कहा, “शांति और धार्मिक सहिष्णुता के लिए नहदलातुल उलमा एक शानदार इंडोनेशियाई मॉडल है. हमारा संगठन 121 मिलियन सदस्यों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामी संगठन है.” अपने प्रयासों से ये संगठन इंडोनेशियाई फिलॉसफी पेनकासिला (Pancasila) को देश में बनाए रखने में कामयाब हुआ है, इस फिलॉसफी का फोकस शिक्षा पर होता है.
नहदलातुल उलमा इंडोनेशिया का एक इस्लामिक संगठन है. इसकी स्थापना 1926 में इंडोनेशिया के अंदर इस्लामिक तौर तरीकों से समाज का सुधार करने के लिए की गई थी. नहदलातुल उलमा के पास शांति, सहिष्णुता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने का एक लंबा और गौरवपूर्ण इतिहास है. यह संगठन इस्लाम के उदारवादी विचारों का हिमायती रहा है. इसने इंडोनेशिया में इस्लामिक कट्टरपंथ को रोकने के लिए कई मुहिम चलाई है और माना जाता है कट्टरवादी इस्लाम से इंडोनेशिया को बचाए रखने में इस संगठन का बड़ा योगदान है.
इस्लामिक स्टेट से कैसे लड़ी लड़ाई?
उलिल अबशार-अब्दल्ला ने ‘खलीज टाइम्स’ को बताया दूसरे मुस्लिम देशों की तरह हमें भी इस्लामी अतिवाद और कट्टरपंथ की समस्या का सामना करना पड़ा. सबसे बड़ी चुनौतियों में इंडोनेशिया में इस्लामिक राज्य की स्थापना का विचार रहा है. उन्होंने कहा कुछ आंदोलन ऐसे उठे जो इंडोनेशिया में इस्लामी राज्य बनाना चाहते थे, क्योंकि इंडोनेशिया सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश है और इस विचार के प्रति देश के युवाओं में कुछ सहानभूति भी थी. उन्होंने आगे कहा “इंडोनेशिया एक सेक्यूलर देश है, जहां कई धर्म, तबकों के लोग रहते हैं और हमारा देश एक बहु-सांस्कृतिक देश. हमें इसकी इसी विभन्नता को कायम रखना है. हमारी चुनौती इस्लामी तरीके से इंडोनेशिया की वैधता की रक्षा करना है.”
बता दें इंडोनेशिया पेनकासिला पर आधारित एक देश है, पेनकासिला के पांच सिद्धांत हैं- एक ईश्वर (एक ईश्वर में विश्वास), सभ्य मानवता, राष्ट्रीय एकता, विचारशील लोकतंत्र और सामाजिक न्याय. देश के इसी मिजाज को बचाने के लिए नहदलातुल उलमा ने काम किया और इस्लामी शिक्षा को फैलाते हुए देश को कट्टरवाद से भी दूर रखा है.
शिक्षा पर खास ध्यान
अबशार-अब्दल्ला ने बताया कि नहदलातुल उलमा देश भर में हजारों मदरसे और इस्लामिक स्कूल चलाता है. इन मदरसों में बहुत ही कम फीस के साथ स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाता है. उन्होंने आगे कहा, हम ऐसी शिक्षा दे रहे हैं जो संयम पर आधारित है. ये शिक्षा, बहुलता, विविधता और अन्य धर्मों का सम्मान करना सिखाती है. इसके अलावा हम देश में कई जागरुक अभियान भी चलाते हैं जिनमें युवाओं को इस्लाम में दूसरे धर्म के सम्मान की अहमियत के बारे में बताया जाता है l
साभार: टीवी 9 भारतवर्ष 29.02.2024
उपरोक्त समाचार जैसा प्राप्त हुआ है वैसा ही मैं इस आशय से प्रेषित कर रहा हूं कि आप इस समाचार को अधिक से अधिक अपने नियमों के अनुसार प्रसारित करके सर्व समाज में परस्पर घृणा को दूर करके उनमें सौहार्द्र बनाने के लिए एक बड़े अभियान के सहभागी बनें l इस्लामिक जिहाद की गंदगी और दरिंदगी को मिटा कर समस्त वैश्विक समाज में परस्पर प्रेम, सहयोग और सुरक्षा के लिए सक्रिय इस संगठन के अत्यंत सार्थक एवं सकरात्मक उद्देश्यों की प्रशंसा करनी चाहिए l वैश्विक जिहाद को मिटा कर वैश्विक शांति के लिए इस्लामिक शिक्षाओं के उन विवादित बिन्दुओं को जो समाज को उनकी सभ्यताओं और संस्कृतियों के आधार पर विभाजित करके उनमें वैमनस्य फैला कर हिंसक और अहिंसक आपराधिक कृत्यों के लिए उकसाती हो के विरुद्ध यह संगठन मुस्लिम समाज को जागरुक करके उनमें मानवतावादी भावना का संचार कर रहा है l यह भी सम्भव है कि “पेनकासिला” का सिद्धांत हमारी भारतीय संस्कृति के “पंचशील” पर भी आधारित हो l
प्रेषक
विनोद कुमार सर्वोदय
(राष्ट्रवादी चिंतक एवं लेखक