नेहरू चाचा ने इतना सशक्त भारत बनाया था कि 1984 में जब इंदिरा जी मरीं और राजीव जी प्रधानमंत्री बने तो देश मे आम नागरिक को दो बोरी सिमेन्ट लेने के लिये तहसीलदार से परमिट लेना पड़ता था। एक किलो चीनी खरीदने के लिये भी परमिट लगता था। शादी विवाह में एक क्विंटल चीनी लेने के लिये तो लोग महीनों पहले से जुगाड़ सोर्स सिफारिश खोजने लगते थे। 1978 में हम लोग गैंगटॉक सिक्किम में रहते थे। 1975 में ही ताजा ताजा सिक्किम का भारत मे विलय हुआ था। सो भारत सरकार ने सिक्किम राज्य को कुछ सहूलियत सुविधा दे रखी थी। शेष भारत में जहां कि LPG के कनेक्शन के लिये 10 से 15 साल की प्रतीक्षा थी, सिक्किम में तुरंत मिल जाता था। सो हमारे पिता जी ने भी एक LPG कनेक्सन ले लिया… दो साल बाद हम ट्रांसफर हो कर कोटा राजस्थान चले आये… यकीन मानिए कि पूरी कालोनी में हमारा एकमात्र घर था जहाँ LPG थी, पर हमारी माँ फिर भी स्टोव ही जलाती थीं क्योंकि उन्हें चिंता रहती थी कि अगर गैस खत्म हो गयी तो सिलेंडर कैसे भरायेगा? वहीं गैंगटॉक में हमारे एक गुरु जी थे, हिंदी पढ़ाते थे, श्री संत शरण शर्मा जी… उन्होंने न जाने कैसे जुगाड़ बैठा के एक नया नकोर लम्ब्रेटा स्कूटर खरीद लिया और उसे रेल में बुक करा के आगरा ले आये… ये वो ज़माना था जब कि देश मे बजाज के स्कूटर प्रीमियम पर बिकते थे मतलब 5000 का स्कूटर और 5000 ब्लैक दो तब 10,000 में स्कूटर मिलेगा… आधुनिक भारत के निर्माता नेहरू चिचा कितने बड़े युगद्रष्टा थे इसका एक और क़िस्सा सुनिये… नेहरू चिचा ने 1957 में राजधानी दिल्ली के विकास के लिए DDA मतलब Delhi Development Authority की स्थापना की… ऐसी एजेंसियां जो मास्टर प्लान बनाती हैं उसमे अगले 50 वर्षों की प्लानिंग करती हैं कि 50 साल बाद ये कैसा शहर होगा उसकी प्लानिंग करके शहर बसाया जाता है… उसकी सड़कें, पुल, सार्वजनिक परिवहन, रेलवे स्टेशन, बिजली पानी की व्यवस्था सब 50 साल का सोच कर की जाती है… नेहरू चिचा कहते थे, मेरे सपनों का भारत… चिचा ने सपने में भी कभी नही सोचा था कि साले दिल्ली वाले जिंदगी में कभी कार तो छोड़ स्कूटर भी खरीद पाएंगे… इसलिये 60 और 70 के दशक में बने दिल्ली के DDA फ्लैट्स देख लीजिये… किसी फ्लैट में कार तो छोड़ो स्कूटर तक खड़ा करने की जगह नही है… नेहरू चिचा कितने बड़े युगद्रष्टा थे इसकी एक और मिसाल ‘India Unbounds’ नाम किताब के लेखक गुरुचरण दास ने दी है… आप 60 और 70 के दशक में P&G मतलब procter & Gamble के CEO रहे हैं… वह लिखते हैं कि लिहडू चिचा पूछते थे कि Why should a country like India should have 10 brands of Toothpaste? भारत जैसे देश मे टूथपेस्ट के 10 ब्रांड क्यों होने चाहिए? क्या आप जानते हैं कि नेहरू और इंदिरा के भारत में किसी कंपनी को टूथपेस्ट की ज़्यादा ट्यूब बनाने के लिए भी भारत सरकार से आज्ञा लेनी पड़ती थी। 70 के दशक में एक बार तमिलनाडु में फ्लू फैल गया। P&G का मशहूर विक्स इन्हेलर और विक्स वेपोरब तब भी बनता था। फ्लू फैला तो विक्स बाजार से गायब हो गया। कंपनी ने भारत सरकार से 5 लाख विक्स इन्हेलर अतिरिक्त बनाने की इजाजत मांगी। वो इजाजत डेढ़ महीने में जब तक आयी, फ्लू ठीक हो चुका था… बजाज के पास तब भी क्षमता थी कि लाखों स्कूटर बना देते पर नेहरू और इंदिरा ने उनको कभी स्कूटर बनाने ही नही दिया। गुरुचरण दास लिखते हैं कि बिड़ला जी के बेटे आदित्य बिड़ला ने भारत मे जब हिंडाल्को खड़ी की तो नेहरू इंदिरा ने उनको इतना परेशान किया कि उन्होंने कसम खा ली कि फिर कभी देश मे कोई फैक्ट्री नही लगाऊंगा। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन मे देश के बाहर 32 बहुत बड़ी बड़ी मिल्स फैक्टरी बनाई पर भारत मे कभी नही लगाई… #साभार