उसमें पृष्ठ 91 -99 में कुछ पादरियों द्वारा लिखी गई पुस्तकों की चर्चा है ।
विशेषकर जैकब स्प्रेंगर नामक एक पादरी ने एक पुस्तिका लिखी : Malleus Maleficarum मेल्यूस मलीफीकेरम।
जिसका हिंदी अनुवाद होगा “कुकर्मी डायनों की पिटाई ठुकाई के लिए हथोड़ा “।
लेखिका केरेन आर्मस्ट्रांग ने कई पृष्ठों में उस पुस्तिका के सारांश दिए हैं। यह पुस्तक कोलॉन यूनिवर्सिटी द्वारा 16वीं शताब्दी ईस्वी में पाठ्यपुस्तक के रूप में पाठ्यक्रम का अंग थी ।
इसके 11 संस्करण प्रकाशित हुए।
इसके बाद से अनेक पादरियों ने डाइनो को ठिकाने लगाने की विधियों पर अनेक पुस्तक लिखी और परस्पर होड लग गई।
स्प्रेंगर ने उक्त पुस्तिका में लिखा कि जो christian स्त्रियां पादरियों और चर्च की आज्ञाकारिणी नहीं होती , वे शैतान की सखी होती है।
शैतान की सखी यह स्त्रियां पुरुषों पर सात प्रकार से आक्रमण करती हैं :पहले पुरुषों के मस्तिष्क में असाधारण काम वेग भड़का कर।
दूसरा पुरुषों की उत्पादक शक्ति में अवरोध पैदा कर।
तीसरा जादू से पुरुषों के गुप्तांग गायब कर।
चौथ जादू द्वारा पुरुषों को चौपाया जानवर बनाकर।
पांचवा अन्य स्त्रियों की प्रजनन शक्ति नष्ट कर।
छठवा गर्भपात की स्थिति पैदा कर और
गर्भपात का प्रबंध कर
तथा सातवां :उत्पन्न शिशु को शैतान की भेंट चढ़ा कर।
इस प्रकार यह सात अभियोग पादरियों ने उन सामान्य ईसाई स्त्रियों पर लगाए जो उनके वश में नहीं आती थी अर्थात अकेले में जाकर चर्च में उनके सामने कन्फेशन नहीं करती थी।
इस सब विचार से 19वीं शताब्दी ईस्वी में यूरोप के ईसाई पुरुषों में यह भय व्याप्त हो गया कि वह जादू से नपुंसक बना डाले गए हैं।
अधिकांश विवाहित पुरुष स्वयं को नपुंसक अनुभव करने लगे ।
वे पत्नी से घबराने लगे।
ऊपर से स्प्रिंगर ने लिखा कि रतिस्बॉन नामक कस्बे में एक युवक का एक लड़की से प्रेम हो गया। कुछ समय बाद उसका गुप्तांग जादू से गुम हो गया ।
चिंता से भरा वह शराब खाने में शराब पीने पहुंचा।
वहां एक अन्य स्त्री मिली। उसने उसे चिंतित देखातो स्नेह से उसका कारण पूछा।
तब उसे युवक ने उस स्त्री को अपना गुप्त स्थान दिखाया कि देखो मेरा गायब हो गया है।
वह स्त्री घाघ थी।
पहले तो उसने उसका गुप्त स्थान तरह-तरह से खेल कर फिर उसके बाद उसे कह दिया कि तुम पर उस कुमारी लड़की ने जिसे तुम प्रेम करते थे यह जादू किया है ।
वह उकसाने पर अपनी पूर्व प्रेमिका के पास गया और उसका गला दबाने लगा।
बोला:- तूने मेरी यह स्थिति की है ।तो ठीक है तूने मेरा गुप्तांग गायब कर दिया, अब ठीक कर वरना मार डालूंगा।
जब लड़की को लगा कि मेरा दम घुट जाएगा, मैं मर ही जाऊंगी तो उसने कहा अच्छा-अच्छा छोड़ो । ठीक करती हूं।
फिर उसने कहा लेट आओ ।आंख बन्द कर।
और फिर उसने उसके उन स्थानों पर हाथ फेरा और कहा लो मैं ने तुम्हें वापस कर दिया ।
और उस युवक को फिर अनुभव होने लगा कि अब ठीक हो गया हूं।
ऐसी कहानी लिख लिखकर अनेक पादारियों ने खूब फैलाई।
यूरोप में अनेक इसाई युवक अपने को नपुंसक अनुभव करने लगे और स्त्रियों से भय तथा घृणा करने लगे।
यह सब बातें इतनी अविश्वसनीय लगती हैं हिंदुओं को तथा अन्य हिंदू जैसे समाजों को ।
परंतु यह यूरोप का कई शताब्दियों तक सत्य रहे हैं और आज भी यूरोप के पुरुषों और स्त्रियों में इन गप्पों की गहरी छाप है। परोक्ष रूप से।