कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी राजनीति के चक्रव्यूह में फंसे हुए नजर आ रहे हैं। अगर राहुल गांधी को अपने बचाव में ऊपरी अदालत में अपील करते हैं,तभी वह जेल जाने से बच सकेंगे एवं उसके बाद ही उनकी संसद की सदस्यता भी संभवतः बहाल हो पाएगी। अभी तो राहुल गांधी को अपने इर्द-गिर्द तैनात नेताओं में से उन लोगों को दूर कर देना चाहिए जो सिर्फ स्वयं को आगे बढ़ाने के लिए राहुल गांधी का सहारा ले रहे हैं। बहुत से जनाधार विहीन नेता राहुल गांधी के सहारे बड़े-बड़े पदों पर बैठे हुये हैं।
इस मामले के तथ्य से सब परिचित हैं,सूरत कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को सजा सुनाने के 26 घंटे बाद ही लोकसभा ने उन्हें सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया। यदि लोकसभा अध्यक्ष चाहते तो उन्हें ऊपरी अदालत के निर्णय होने तक संसद सदस्य रखा जा सकता था, शायद यहाँ राजनीति के दबाव में अति शीघ्रता में उनकी सदस्यता रद्द कर दी गयी। कोर्ट के निर्णय से राहुल गांधी चौतरफा घिर गए हैं। उन्हें शीघ्र ही गुजरात हाई कोर्ट में अपील कर अपना पक्ष रखना होगा। यदि राहुल गांधी को हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिलती है तो अगले आठ साल तक वह चुनाव लड़ने से भी अयोग्य हो जाएंगे।
वर्तमान में कांग्रेस पार्टी चारों तरफ से घिरी हुई है। राजनीतिक रूप से भी पार्टी कमजोर हो रही है। ऐसे में राहुल गांधी को जेल की सजा होना व उनकी संसद सदस्यता जाना कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। कांग्रेस पार्टी को बहुत ही सावधानी से अपने विधिक कदम उठाने होंगे। न्यायालय में मजबूती के साथ अपना पक्ष रखना होगा। यदि ऊपरी न्यायालय से राहुल गांधी को राहत मिल जाती है तो बहुत बड़ी राहत होगी।
केंद्र सरकार तो कांग्रेस सहित देश के अन्य सभी विपक्षी दलों पर पूरी तरह हमलावर मूड में है। विपक्षी दलों के नेताओं को लगातार सरकारी संस्थाओं के माध्यम से निशाना बनाया जाने की बात रोज़ कही जा रही है। 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। उससे पूर्व राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक सहित कई प्रदेशों में विधानसभा के भी चुनाव होंगे। जहां कांग्रेस की सीधी भाजपा से टक्कर होनी है।
वर्तमान परिस्थिति में राहुल गांधी को अपने इर्द-गिर्द तैनात नेताओं में से उन लोगों को दूर कर देना चाहिए जो सिर्फ स्वयं को आगे बढ़ाने के लिए राहुल गांधी का सहारा ले रहे हैं। बहुत से जनाधार विहीन नेता राहुल गांधी के सहारे बड़े-बड़े पदों पर बैठे हुये हैं। जिनका जनता में जनाधार शून्य है। बड़े पदों पर तैनात कई नेता तो ऐसे हैं जिन्होंने आज तक कभी अपनी जिंदगी में चुनाव नहीं लड़ा। कई बड़े नेता लगातार कई चुनाव हार चुके हैं। जनाधार विहीन नेता राहुल गांधी को गलत सलाह देते रहते हैं।
यदि गुजरात उच्च न्यायालय से राहुल गांधी को राहत नहीं मिलती है तो उन्हें जेल तो जाना ही होगा। इसके साथ ही अगले 8 सालों तक वह कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इससे उनकी पूरी राजनीतिक साख समाप्त हो जाएगी। भाजपा के नेता यही चाहते हैं कि राहुल गांधी की साख को समाप्त कर दिया जाए। अभी राहुल गांधी पर मानहानि के चार और मुकदमे चल रहे हैं। जिस पर फैसला आना बाकी है। इनमें महाराष्ट्र के भिवंडी कोर्ट में, असम के गुवाहाटी कोर्ट में, रांची के एक कोर्ट में व महाराष्ट्र के मझगांव स्थित शिवडी कोर्ट में ये मुकदमे चल रहे हैं।जिनके फ़ैसले कभी भी आ सकते हैं।
राहुल गांधी कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए मेहनत कर रहे हैं, मगर प्रदेशों में बैठे कांग्रेस के क्षत्रपों पर उनका नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। बहुत से प्रादेशिक क्षत्रप अपनी मनमानी करते हैं। जिससे पार्टी तो कमजोर होती है पार्टी का अनुशासन भी भंग होता है। पार्टी से बगावत करने वाला कितना ही बड़ा नेता क्यों ना हो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। तभी पार्टी में अनुशासन बना रह पाएगा।
राकेश दुबे