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सोनाक्षी औऱ इकबाल की शादी :रोमांचक किंतु चुनौतीपूर्ण होते हैं ऐसे विवाह – अनुज अग्रवाल

शादी कहने को तो निजी मामला है पर हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति में यह स्त्री एवं पुरुष के शारीरिक संबंधों को सामाजिक स्वीकृति से अधिक सामाजिक , आत्मिक एवं आध्यात्मिक आयाम लिए हुए है। भारत में विवाह दो व्यक्तियों का नहीं दो परिवारों का होता है। ऐसे में  हिंदू फ़िल्म अभिनेत्री सोनाक्षी अगर एक मुस्लिम युवक इकबाल  से विवाह बंधन में बंधे तो यह  केवल चर्चा का मुद्दा बन जाता है बल्कि अनेक विवादों को भी जन्म दे देता है। 

शुद्ध हिन्दुवादियों के लिए “लव जिहाद “ का एक उदाहरण है जिसमें अनुमान लगाए जा रहे हैं कि यह एक “कॉंट्रैक्ट मैरिज” जैसा भी कुछ पका है (जिसके लिए सोनाक्षी को बड़ी रक़म जिहादियों द्वारा दी गई है) जो तीन साल बाद समाप्त हो जाएगी किंतु इससे प्रेरित होकर हज़ारों हिंदू युवतियाँ मुस्लिम युवकों से शादी करने के लिए प्रेरित हो सकती हैं और “लव जिहाद” की शिकार हो सकती हैं। कट्टर मुस्लिम और जिहादी भी इस विवाह को इसी रूप में ले रहे हैं और इसको इस्लाम की जीत बता रहे हैं।
मध्यममार्गी हिंदुओं के अनुसार इस विवाह में कुछ गलत नहीं है। दोनों सोनाक्षी एवं इकबाल कई वर्षों से एक दूसरे को जानते थे और प्यार करते थे । स्वाभाविक है एक दूसरे की कमज़ोरियों एवं ताकत का उनको अंदाज़ा होगा ही। दोनों के परिवार भी एक दूसरे से अच्छी तरह परिचित हो चुके होंगे और दो धर्मों के युवक युवती के इस विवाह की चुनौतियों को गहराई से समझते होंगे। फिर इस विवाह में सोनाक्षी ने तो धर्म बदला और न ही मुस्लिम रीति रिवाजों से शादी की है। वे कोर्ट मैरिज के माध्यम से इक़बाल से जुड़ी हैं और आज भी हिंदू हैं। यद्यपि उनके विवाह को इस्लाम में निकाह ही समझा जाएगा और उसी के अनुरूप उनको आचरण करना होगा।
अगर गहराई से देखें तो जीवन शैली एवं आचरण में न तो सोनाक्षी पूर्ण रूप से सनातनी हैं और न ही इकबाल इस्लामिक। दोनों परिपक्व वयस्क हैं तथा सफल व्यावसायिक जीवन जी रहे हैं। दोनों नारीवादी सोच , किसी हद तक स्वतंत्र सोच एवं जीवन जीने वाले, पाश्चात्य जीवन शैली एवं विचारों से प्रभावित हैं और अपना भला बुरा जानते हैं। ऐसे में वे जो कर रहे हैं वो उनका निजी मामला और क़ानूनी अधिकार है , जिस पर कोई कैसे आपत्ति कर सकता है। जिस हिंदू माता पिता को लगता है कि उनकी बेटी सोनाक्षी से प्रभावित होकर लव जिहाद का शिकार हो सकती है , या तो उसके पालन पोषण में कोई कमी हो सकती है या बच्ची को दिए गए संस्कारों में । जो हिंदू धर्म से गहराई से जुड़ा होता है वह युवक – युवती सनातन की शिक्षा व संस्कारों से जुड़ा व बंधा होता है और इन खोखले आकर्षण का शिकार नहीं होता। सोनाक्षी जैसे लोग जो खुली सोच के नाम पर कटी पतंग जैसे बन जाते हैं उनको किसी ग़ैर हिंदू से विवाह से होने वाले काल्पनिक झटकों के लिए भी स्वयं को तैयार रखना होगा क्योंकि अगर कुछ बुरा उनके साथ होता है तो उसकी ज़िम्मेदारी भी उनकी और उसके दुष्परिणाम भी उनके। निश्चित रूप से ऐसे में वो प्रहसन की पात्र भी होंगी और नितांत अकेली भी। इसलिए रोमांचक किंतु चुनौतीपूर्ण होते हैं ऐसे विवाह।
अनुज अग्रवाल , वरिष्ठ पत्रकार
संपादक , डायलॉग इंडिया

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