
( प्रोपेगेंडा और झूठी ख़बरों से सतर्क रहें) “जब खबरें बनती हैं हथियार: युद्ध, प्रोपेगेंडा और फेक न्यूज”
(प्रोपेगेंडा और झूठी ख़बरों से सतर्क रहें)"जब खबरें बनती हैं हथियार: युद्ध, प्रोपेगेंडा और फेक न्यूज"
-प्रियंका सौरभ
युद्ध के दौरान फैलाई गई झूठी खबरें न केवल सैनिकों और आम नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, बल्कि समाज में भय और नफरत का भी प्रसार करती हैं। यह न केवल जनता की भावनाओं को भड़काती है, बल्कि सच्चाई की नींव को भी कमजोर करती है। कई बार युद्ध के मैदान से बहुत दूर बैठे लोग भी इन झूठी खबरों के शिकार बन जाते हैं और इससे राष्ट्र की एकता और संप्रभुता को भारी क्षति पहुँचती है।
युद्ध का समय हमेशा से मानव इतिहास का सबसे तनावपूर्ण और संवेदनशील दौर रहा है। जब दो देशों के बीच टकराव चरम पर होता है, तब सिर्फ हथियारों की ही नहीं, बल्कि सूचनाओं की भी लड़ाई लड़ी जाती है। प्रोपेगेंडा और झूठी ख़बरें इस संघर्ष का एक अनिवार्य हिस्सा बन जाती हैं। यह स्थिति विशेष रूप से भारत और पाक...