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दर्शक साफ-सुथरी फिल्म देखना चाहते हैं लेकिन उनके पास बहुत ऑप्शन नहीं रहा है: मधुप कुमार

दर्शक साफ-सुथरी फिल्म देखना चाहते हैं लेकिन उनके पास बहुत ऑप्शन नहीं रहा है: मधुप कुमार
• यूपी के गोंडा जिला के सच्ची घटना पर आधारित है फिल्म
• 10 फरवरी को सिनेमाघरों में होगी रिलीज

ब्रांडेक्स एंटरनमेंट प्रस्तुत और चित्रगुप्त आर्ट्स व युनि प्लेयर्स फिल्म्स प्रोडक्शन के बैनर तले बनी हिंदी फिल्म पलक का ट्रेलर लॉन्च होने के साथ ही आम लोगों के मन में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर एक अंधी लड़की पलक अपना नेत्रदान कैसे करती है? पलक फिल्म का ट्रेलर अपने लॉच होने के 24 घंटे में ही 12 लाख से ज्यादा व्यू प्राप्त कर चुका है। ब्रांडेक्स म्यूजिक के यूट्यूब चैनल पर रिलीज हुए इस फिल्म के ट्रेलर के बाद फिल्म क्रिटिक इस फिल्म को लेकर बहुत अच्छी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। आम दर्शकों से भी अच्छा रिसपॉस मिल रहा है। इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली आए इस फिल्म के निर्माता मधुप कुमार से वरिष्ठ स्वास्थ्य पत्रकार आशुतोष कुमार सिंह ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंशः
फिल्म का ट्रेलर देखकर यह लग रहा है कि आप पूरी तरह इस फिल्म को पारिवारिक बनाने की कोशिश किए हैं?
आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं। यह फिल्म बहुत वर्षों से बॉलीवुड में पारिवारिक फिल्मों के पड़े अकाल को दूर करने जा रही है। हमने इसे इस तरह से बनाया है कि परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर देख सकें। इस फिल्म में इमोशन है, ड्रामा है, तथ्य है एवं जीवन-संदेश है।
आपने कहा कि इस फिल्म में तथ्य है इसका क्या मतलब है?
मेरे कहने का मतलब यह है कि यह फिल्म सच्ची घटना से प्रेरित है। इसकी पृष्ठभूमि उत्तर प्रदेश के गोंडा जिला है।
आपने आंखो से दिव्यांग एक लड़की की कहानी को बड़े पर्दे का विषय बनाया है, इसके पीछे आपकी क्या सोच रही है?
मैं जब से इंडस्ट्री में आया हूं मेरा मुख्य फोकस कंटेंट पर रहा है साथ ही उसके इंटेंट पर रहा है। मैंने हमेशा से चाहा है कि इंडस्ट्री की गिर रही साख को बेहतर कंटेंट प्रोड्यूस करके बचाया जाए। इसी सोच के साथ मैंने एक ऐसे मुद्दे पर फिल्म बनाने की सोची जिसके बारे में अभी भी समाज में बहुत कम जागरूकता है।
आप अपनी फिल्म के बारे में कुछ बताना चाहेंगे?
फिल्म की पूरी कहानी तो आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगी। लेकिन इतना जरूर कहना चाहता हूं कि यह फिल्म उस पलक की कहानी बयां करती है जो आंखों से नहीं देख सकती है, लेकिन अपने मन के आंखों से संसार को अपनी मुठ्ठी में समेटना चाहती है। यह फिल्म आधी आबादी को मोटिवेट करने के साथ-साथ समाज को ऑर्गन डोनेशन को लेकर एक सकारात्मक संदेश दे रही है।
अश्लिलता को बिना पड़ोसे हुए आपकी फिल्म बॉक्स ऑफिस के गणित में कितना सफल हो पाएगी?
मुझे अपने दर्शकों पर भरोसा है। दर्शक साफ-सुथरी फिल्म देखना चाहते हैं लेकिन उनके पास बहुत ऑप्शन नहीं रहा है। उन्हें जब-जब ऑप्शन दिया गया है उन्होंने ऐसी संदेशात्मक फिल्मों को अपने पलकों पर बिठाया है। और मुझे पूरी उम्मीद है कि सिनेमाघरों में इस फिल्म को दर्शकों का भरपुर प्यार मिलेगा।
इतनी कम उम्र में आपने निर्माता बनने का फैसला किया, इसके पीछे कोई खास वजह?
दरअसल मैं ब्रोडकास्ट जर्नलिज्म छात्र रहा हूं। भारतीय सिनेमा का अध्ययन करने का मौका मिला है। अपने अध्ययन में मैंने पाया कि अभी भी भारतीय सिनेमा वैसे दर्शकों को संतुष्ट नहीं कर पा रहा है, जो सकारात्मक फिल्में देखना पसंद करते हैं। इस कमी को दूर करने का संकल्प मैंने अपने छात्र जीवन में ही ले लिया था। उसी दिशा में काम करने की कोशिश कर रहा हूं। इसके पूर्व डीडी बिहार के लिए ‘उड़नी है उच्ची उड़ान’ सीरियल का निर्माण मैंने अपने इसी संकल्प को उड़ान देने के लिए किया था। इस सीरियल का लक्ष्य घरेलु हिंसा के प्रति जागरुकता पैदा करना था।

फिल्म के कास्ट क्रू मेंबर्स
फिल्म-पलक
सर्टिफिकेटः u
निर्माता-मुधप कुमार एवं अर्पित गर्ग
सह निर्माता-अनामिका श्रीवास्तव, श्वेता कुमारी, साहिल मलिक
निर्देशक-शैलेश श्रीवास्तव
लेखक-अंकुर खत्री
प्रमुख कलाकार- अतुल श्रीवास्तव, शीला शर्मा, मुस्कान खान,शैलेन्द्र कुमार,तूलिका बनर्जी, विक्रम शर्मा, पुनिता अवस्थी,अदिति दीक्षित और रवीश सिंह, शिमरन अवस्थी, आयुषी पॉल, मनीषा गुप्ता, मोहित अवस्थी, अभिशेक सिंह, रिया कपूर, दिवेश अस्थाना और डॉ. अनिल कु. श्रीवास्तव।

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