किसी ने क्या खूब लिखा है- ‘आतंकवाद से धरा दूषित हैं, इसे शुद्ध हो जाने दो। हाथ खोल दो वीरो के अब महायुद्ध हो जाने दो।’ आतंकवाद नासूर है, यह एक दंश है, जिसमें जहर ही जहर भरा है, इसे आज समूल नाश करने की आवश्यकता है, क्यों कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है।आज के समय में आतंकवाद का खतरा गंभीर और वास्तविक है और आज के समय में भारत ढ़ेर सारी चुनौतियों का सामना कर रहा है जैसे गरीबी, जनसंख्या वृद्धि, निरक्षरता, असमानता आदि लेकिन आतंकवाद इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक है जो आज पूरी मानव जाति को प्रभावित कर रहा है। वास्तव में, अपने कुछ राजनीतिक, धार्मिक या व्यक्तिगत लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये आतंकवाद द्वारा हिंसात्मक तरीकों का प्रयोग ही आतंकवाद है। आतंकवाद के बारे में भयानक बात ये है कि अंततः ये उन्हें नष्ट कर देता है जो इसका अभ्यास करते हैं। आतंकवाद किसी भी देश के राष्ट्रीय सद्भाव को,शान्ति को नुकसान पहुंचाता है। जी हां, आतंकवाद मानवहीनता की पराकाष्ठा है, जिसका न कोई धर्म ही है और न ही कोई उद्देश्य। जानकारी देना चाहूंगा कि प्रत्येक वर्ष 21 मई को एंटी टेरेरिज्म-डे या आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। वास्तव में, इस दिवस को मनाने के पीछे उद्देश्य राष्ट्रीय सद्भाव को बढ़ावा देना, आतंकवाद को कम करना और सभी जातियों, पंथों आदि के लोगों के बीच एकता को बढ़ावा देना है। अब बात करते हैं कि आखिर इस दिवस को मनाने के पीछे कारण क्या हैं ? तो इस बारे में जानकारी देना चाहूंगा कि आज ही के दिन यानी कि 21 मई, 1991 के दिन ही एक आंतकी हमले में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। इस दिन राजीव गांधी भारत के तमिलनाडु राज्य के श्रीपेरंबुदूर में थे, जहां आतंकवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) ने ह्यूमन बम(मानवीय बम) या यूं कहें कि एक महिला सुसाइड बम के जरिए उनकी हत्या की थी और राजीव गांधी की हत्या के बाद वी.पी. सिंह सरकार ने 21 मई को एंटी-टेररिज्म डे(आतंकवाद विरोधी दिवस) के रूप में मनाने का फैसला किया था, तब से लेकर यह दिवस मनाया जाता है ताकि आमजन में आतंकवाद के, हिंसा के गलत प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके। आज के दिन हम सभी को यह प्रेरणा लेने की जरूरत है कि हम भारतवासी सदा सदा से अहिंसा में,शान्ति में, भाईचारे में विश्वास करते आए हैं और हम आतंकवाद व हिंसा का डटकर सामना करेंगे और समाज के ताने बाने की सुरक्षा के लिए आतंकवाद से लड़ते हुए समाज व देश के हित में कदम उठायेंगे। हमें सामाजिक शांति, सद्भाव, आपसी सहयोग, भाईचारे की भावना के लिए प्रतिबद्ध व कृतसंकल्पित होना चाहिए और मानव जीवन मूल्यों को खतरा पहुंचाने और समाज व देश को नुकसान पहुंचाने वाली हरेक प्रकार की विघटनकारी शक्तियों से लड़ने की भी शपथ लेने की जरूरत है। हमें आतंकवाद के संदर्भ में यह बात भी सदैव याद रखनी चाहिए कि, जैसा कि प्रसिद्ध कवि व साहित्यकार हरिओम पंवार जी ने एक स्थान पर लिखा है कि-‘…बंदूकों की गोली का उत्तर सद्भाव नहीं होता। हत्यारों के लिए अहिंसा का प्रस्ताव नहीं होता।कोई विषधर कभी शांति के बीज नहीं बो सकता है।और भेड़िया शाकाहारी कभी नहीं हो सकता है…।।’ बहरहाल, यहाँ कहना गलत नहीं होगा कि आतंकवाद आज भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व की एक गंभीर समस्या है। महात्मा गांधी जी ने एक बार कहा था कि-‘मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ।’ उन्होंने हत्या, हिंसा व आतंकवाद को कभी भी अच्छा नहीं माना, क्यों कि आतंकवाद की न तो कभी कोई राष्ट्रीयता ही होती है और न ही कोई धर्म और उद्देश्य। आतंकवाद स्वतंत्रता वादी मूल्यों पर हमला होता है। वास्तव में, आतंकवाद असंभव की मांग करने की रणनीति है, और वो भी बन्दूक की नोक पर। आज अफ्रीका और एशिया में आतंकवाद फैल रहा है। जानकारी देना चाहूंगा कि पिछले कुछ समय पहले ही भारत ने विशेष रूप से अफ्रीका और एशिया के क्षेत्रों में आतंकवाद के प्रसार पर चिंता जताई थी और पाकिस्तान पर परोक्ष हमला करते हुए कहा था कि आतंकवादियों को पनाह देने वाले देशों का ध्यान खींचते हुए उनके कृत्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से यह भी कहा है कि ‘जिन देशों में आतंकवाद के खतरे से निपटने की क्षमताओं का अभाव है, उनकी मदद की जानी चाहिए, वहीं आतंकवादियों को पनाह देने वाले देशों को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’ भारत हमेशा हमेशा से पंचशील के सिद्धांतों में विश्वास करता आया है और हमेशा शांति, संयम व धैर्य का परिचय दिया है। सदा सदा से भारत ने धर्म, आस्था, संस्कृति, जाति से परे सभी किस्म के आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की है। वास्तव में, हिंसा कभी भी किसी समस्या का हल नहीं सकती है। हिंसा व नफरत कभी भी मानवता के लिए अच्छे नहीं होते हैं। आज भारत पूरी तरह आतंकवाद को निर्मूल करने के लिए प्रतिबद्ध है और भविष्य में भी हमेशा प्रतिबद्ध रहेगा और इस लक्ष्य तक प्राप्त करने से पहले चैन की सांस नहीं लेगा। वह आतंकवाद, आतंकवदियों के खिलाफ डटकर मुकाबला करता रहेगा। अंत में, यही कहना चाहूंगा कि व्यक्ति अथवा समूह द्वारा अपने राजनैतिक, धार्मिक, तथा सांस्कृतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए नियोजित संगठित तथा व्यवस्थित हिंसा का प्रयोग कर जनता को भयाक्रांत करना ही आतंकवाद है। आतंकवाद को दूर करने के लिए आमजन को जागरूक होना होगा,क्यों कि इसे मिटाना किसी सरकार विशेष व व्यक्ति विशेष का कार्य नहीं है, यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। बहरहाल, किसी कवि की चंद शानदार पंक्तियों के साथ आर्टिकल को विराम देना चाहूंगा- ‘हर घर में दीप जलाना होगा, आतंकवाद के अँधेरे को मिटाना होगा। ‘अ’ से अमरुद, ‘च’ से चरखा छोड़, ‘अ’ से अमन, ‘च’ से चैन पढ़ाना होगा।। मेरी धरती, मेरा देश छोड़, हमारी धरती, हमारा देश सिखाना होगा। हर एक देश के नागरिक को अब, देश का पहरेदार बनाना होगा।। धरती माँ की छाती से, ‘आतंकवाद’ शब्द को मिटाना होगा। हर घर में दीप जलाना होगा, आतंकवाद के अँधेरे को मिटाना होगा।।’
(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
सुनील कुमार महला,
स्वतंत्र लेखक व युवा साहित्यकार
पटियाला, पंजाब