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सुप्रीम कोर्ट का यह “न्यायिक आतंकवाद” 

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का फैसला ख़ारिज कर कूड़ेदान में डाल दो –
बेशर्मी और निर्लज्जता की पराकाष्ठा दिखाता है यह फैसला –
प्रधानमंत्री के हाथ काटने की कोशिश –

आतंकवाद गतिविधि को अंजाम देने के लिए आतंकवादी दूसरे के घर, शहर, या मुल्क में घुसकर हमला करते हैं और आज ऐसा ही हमला सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के घर में घुसकर किया है – चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए “कॉलेजियम” बनाने का फैसला देश में अराजकता फैलाने का काम करेगा क्योंकि इस कॉलेजियम में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और CJI होंगे –

यानी 3 सदस्यों के पैनल में प्रधानमंत्री के खिलाफ जब 2 व्यक्ति होंगे तो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति असंभव ही हो जाएगी क्योंकि ये दोनों व्यक्ति तो सरकार और मोदी विरोधी ही होंगे जिनमें Genes तो एक जैसे ही हैं और यह अराजकता का कारण बनेगा –

जस्टिस केएम जोसेफ ने नवम्बर, 2022 में अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे कि चुनाव आयुक्त ऐसा होना चाहिए जो प्रधानमंत्री पर भी सवाल उठा सके – यह और कुछ नहीं प्रधानमंत्री मोदी से बदला लेने की साजिश थी क्योंकि जोसफ का उत्तराखंड से सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने में देरी हुई थी –
आज अन्य 4 जजों के साथ मिलकर जस्टिस जोसेफ ने प्रधानमंत्री के हाथ काटने की कोशिश की है और इसे Judicial Terrorism कहना गलत नहीं होगा –

सरकार और विपक्ष का कोई प्रतिनिधि सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम में शामिल करने वाले NJAC को खारिज कर दिया जबकि उसके पास Stakeholder/interested party होने के नाते ऐसा करने का अधिकार नहीं था लेकिन आज वही सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि कॉलेजियम के पिछले दरवाजे से सुप्रीम कोर्ट में घुसकर बने CJI और उस विपक्षी दल के नेता को चयन समिति में शामिल करने के लिए कह रहे हो जिसे जनता ने नकार दिया और वह दल एक “आधिकारिक विपक्षी दल”भी नहीं बन सका –

ऐसे गैरकानूनी आदेश से सुप्रीम कोर्ट 303 सांसदों का समर्थन के साथ बने प्रधानमंत्री को प्रभावहीन बनाने की कोशिश कर रहा है – वैसे तो सुप्रीम कोर्ट सरकार के हर मामले में टांग अड़ा कर सरकार और विधायिका के कार्यक्षेत्र में एक आतंकी की तरह घुसपैठ कर हमला करता है मगर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में तो सभी हदें पार कर दी –

अब चीफ जस्टिस चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सरकार को ब्लैकमेल कर सकता है कि पहले हमारे कॉलेजियम से जज बनाओ, तब हम आपके चुनाव आयुक्त पर सहमति देंगे –

सच्चाई यह है कि कॉलेजियम के जरिए चुनिंदा परिवारों ने अदालतों पर कब्ज़ा किया हुआ है, अधिकांश के बाप, भाई एयर अन्य रिश्तेदार ही कॉलेजियम जज बनाता है जबकि चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ या जस्टिस केएम जोसेफ और उनकी बेंच का कोई जज या कोई विपक्षी दल यह नहीं साबित कर सकता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 9 साल में अपने किसी रिश्तेदार को चुनाव आयुक्त बनाया हो –

आज के फैसले में जस्टिस जोसेफ, जस्टिस ऋषिकेश राय, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने कहा है कि जब तक संसद से नए कानून नहीं बनता, तब तक नियुक्ति PM, LoP और CJI की समिति करेगी – इसलिए अदालत के इस हथकंडे को ध्वस्त करने के लिए तुरंत नया कानून बना कर नियुक्ति सरकार को अपने हाथ में लेनी चाहिए –

आज के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर लुटे पिटे विपक्ष द्वारा उठाए सवालों को सही मान कर विपक्षी दल की भूमिका अदा की है और अदालत ने भी मान लिया कि मोदी के आने के बाद चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए जबकि सुप्रीम कोर्ट खुद सवालों के घेरे में है –

(सुभाष चन्द्र)
“मैं वंशज श्री राम का”

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