Shadow

संसद के शीतकालीन अधिवेशन में तीन आवश्यक संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश संशोधन विधेयक पारित

महत्‍वपूर्ण बिंदु :

संसद द्वारा पारित किए गए  :

  • उत्तर प्रदेश के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022
  • तमिलनाडु के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) बिल, 2022
  • कर्नाटक के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (चौथा संशोधन) बिल, 2022

संसद के शीतकालीन अधिवेशन में तीन आवश्यक संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश संशोधन विधेयक पारित किए गए।

तमिलनाडु राज्य के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022, राज्यसभा में 22.12.2022 को सर्वसम्मति से पारित किया गया। संसद में पारित होने के बाद यह विधेयक तमिलनाडु में अनुसूचित जनजातियों की सूची में नारिकोरवन और कुरीविकरण समुदायों को शामिल करेगा। यह विधेयक पहले 15.12.2022 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।

इसके बाद कर्नाटक राज्य के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (चौथा संशोधन) विधेयक, 2022 भी राज्यसभा में 22.12.2022 को सर्वसम्मति से पारित किया गया। संसद में पारित होने के बाद यह विधेयक कर्नाटक में अनुसूचित जनजातियों की सूची में बेट्टा-कुरुबा को कडु कुरुबा समुदाय के पर्याय के रूप में शामिल करेगा। यह विधेयक पहले 19.12.2022 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।

इससे पहले, संसद के शीतकालीन अधिवेशन के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य के संदर्भ में संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 को राज्यसभा ने 14.12.2022 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। संसद में पारित होने के बाद यह विधेयक गोंड समुदाय का अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति में स्थानांतरण तथा धूरिया, नायक, ओझा, पथरी और राजगोंड को चार जिलों संत कबीर नगर, कुशीनगर, चंदौली और भदोही में उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करेगा ।

इस संबंध में श्री अर्जुन मुंडा ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जनजातीय समुदायों और हाशिए पर मौजूद अन्य समुदायों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाना सुनिश्चित कर रहे हैं, ताकि उन्‍हें उचित पहचान मिले, उनका उत्थान हो, विकास हो और वे पीछे न छूटने पाएं। केंद्र सरकार का ध्यान दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदायों को न्याय दिलाने से संबंधित मामलों पर केंद्रित रहा है। लगातार प्रयास किए जा रहे हैं और इसके ठोस परिणाम सभी को दिखाई दे रहे हैं। इसलिए, संविधान की भावना के आधार पर अब भारत के सभी क्षेत्रों में रहने वाले ऐसे समुदायों को न्याय प्रदान किया जा रहा है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *