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Trump, Pakistan, Modi and Rahul

ट्रंप,पाक,मोदी और राहुल : क्या है खेल

#AnujAgarwal

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को अंगूठा दिखा दिया यानि लाखों करोड़ों अमेरिकी डॉलर की बार्षिक मदद रोक दी तो वो इसलिए क्योंकि अब अमेरिका को पाकिस्तान की जरूरत नहीं। जी, अब अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाएं वापस जा चुकी हैं। यहाँ फिलहाल अमेरिकी समर्थक सरकार का कब्जा है और उसकी सहायता के लिए दस हज़ार सैनिक अमेरिका ने काबुल में छोड़ रखें है। पिछले 25 बर्षो में अमेरिका ने अफगानिस्तान के संसाधनों और खनिजों को जमकर लूटा और चीन को भी बेचा। भारत और चीन सहित पूरे एशिया में अफगानिस्तान में पैदा होने वाली ड्रग्स की भारी सप्लाई की अरबों डॉलर कमाए और एशिया की युवा पीढ़ी को बर्बाद भी कर डाला। इस खेल को अंजाम तक पहुचाने के लिए उसने पाकिस्तान की सेना, संसाधन और सत्ता का भरपूर इस्तेमाल किया। बार्षिक सहायता उसी सहयोग को बनाए रखने की रिश्वत थी। इससे औपचारिक सहायता से भी अधिक हवाला के माध्यम से देश के प्रमुख लोगों को मिलता रहा। बदले में अमेरिका एक इस्लामिक देश को दूसरे इस्लामिक देश के सहारे लुटता बर्बाद करता रहा। इस खेल में उभरे जन आक्रोश को दबाने के लिए लगातार भारत से शत्रुता के मुद्दे को हवा दी गयी और आतंकी संगठनों को शह। अब जब यह खेल ही खत्म तो काहे की सहायता और काहे का आतंक। अमेरिका की अफ़पाक नीति में अब भारत प्रमुख खिलाड़ी बन गया है क्योंकि अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद शक्ति संतुलन बनाए रखने और तालिबान व आतंकी गुटों पर लगाम रखने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, बल्कि निभा रहा है और अपनी सीमाओं की रक्षा करने व इस्लामिक आतंकवाद से स्वयं को बचाने के लिए ऐसा करना भारत की मजबूरी भी है।

अमेरिका में भारत की कांग्रेस पार्टी की समर्थक रिपब्लिकन पार्टी की सरकार है और भाजपा समर्थित डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार अब नहीं है। मोदी की सरकार बनाने में डेमोक्रेटिक पार्टी की पी आर एजेंसी मेडिसन की बड़ी भूमिका रही ऐसे ही अब रिपब्लिकन पार्टी की पी आर एजेंसी केम्ब्रिज अनालिटिका राहुल गांधी का कद बढ़ाने और अगले लोकसभा चुनावों में उनकी सरकार बनाने के लिए लगी है।ऐसे ही पूरी दुनिया के देश, औधोगिक घराने ओर राजनीतिक दल भी रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक खेमों में बंटे है और एक दूसरे की सरकार बनाने में मदद करते हैं।

अब अगर रिपब्लिकन ट्रंप की सरकार यह कहे कि मोदी सरकार और भारत उसके सबसे अच्छे मित्र हैं तो भारत में मोदी सरकार के कान खड़े होना स्वाभाविक है। भारत मे अधिकांश रिपब्लिकन नेताओ के बिजनेस संबंध कांग्रेस व सेकुलर खेमे के नेताओ से है। स्वयं ट्रंप की कम्पनिया शरद पवार की कम्पनियों के साथ साझा काम कर रही हैं। ऐसे में रिपब्लिकन की मोदी सरकार से गलबहियां एक मजबूरी व नाटक अधिक है । मोदी सरकार ने इसी कारण संयुक्त राष्ट्र संघ में फिलिस्तीन का ही साथ दिया इजरायल का नहीं। अपने पुराने प्यादे पाकिस्तान को आतंकवादियो को संरक्षण देने पर डांटने का नाटक भी एक परिहास से कम नहीं क्योंकि इस्लामिक आतंकवाद का पनपाने में अमेरिका और उसकी हथियार कम्पनियों की ही पूरी भूमिका है। डेमोक्रेटिक ओबामा के राष्ट्रपति रहते भारत की मोदी सरकार खुलकर अमेरिका के खेमे में आ गयी थी और अब भारत नाटो संगठन का सहयोगी राष्ट्र है। इसीलिए ओबामा सरकार ने नरेन्द्र मोदी को चीन के खिलाफ विश्व नेता बनाने के लिए अथक प्रयास किए। इससे भारत के अमेरिकी, यूरोप, जापान, अरब व आस्ट्रेलिया आदि देशों से तो संबंध तो खासे बेहतर हो गए किंतु चीन, रूस व पड़ोसी देश भारत को विस्तारवादी मान दूरी बढ़ाने लगे। चूंकि भारत अब नाटो का सहयोगी राष्ट्र है इसलिए ट्रैम्प शासन की मजबूरी है कि मोदी सरकार से सहयोग करे किंतु मोदी जिस प्रकार भारत को आंतरिक व बाहरी रूप से मजबूत बना रहे हैं उससे ट्रंप प्रशासन अंदर से घबराया हुआ भी है क्योंकिशक्तिशाली भारत अमेरिका के भारत की आर्थिक लूट के रास्ते को बंद कर सकता है। इसलिए ट्रंप अपनी पुरानी सहयोगी कांग्रेस पार्टी व राहुल गांधी को भारत मे मजबूत बनाने के लिए भरकस प्रयास कर रहे हैं। चूंकि दक्षिणपंथी मोदी सरकार की ताकत हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण है इसलिए भारत मे मौजूद अमेरिकी स्लीपर शेल हिंदुओ के विभाजन का कार्ड खेल रही हैं। पूरे देश में भाजपा शासित राज्यो में जातीय हिंसा और आंदोलनों के पीछे यही सोच व खेल है जो हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि के बाद गुजरात मे खेला गया और आजकल महाराष्ट्र इसका शिकार है।

मोदी सरकार व राष्ट्रभक्त भारतीयों के लिए यह समय परीक्षा की घड़ी है। चूंकि लोकसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं है, ऐसे में सन 2018 देश में सीमाओं पर गड़बड़ियों में कमी मगर व्यापक आंतरिक असंतोष व गड़बड़ी पनपाने वाला बर्ष बन सकता है, ऐसे में राष्ट्रवादी भारतीयों को सतत संयम,धैर्य व एकजुटता का तो प्रदर्शन करना ही होगा साथ ही केंद्र व राज्यो की भाजपा सरकारों को दिनरात जमीनी स्तर पर काम कर जनता को साथ रखना होगा ताकि उसे असंतुष्ट होने का मौका ही न मिले।

अनुज अग्रवाल

संपादक, डायलॉग इंडिया

www.dialogueindia.in

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