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जिससे पता चलता है ईवीएम फुलप्रूफ है।_

_ईवीएम में छेड़छाड़ कर यूपी और उत्तराखंड में चुनाव जीतने के आरोपों को चुनाव आयोग ने बेबुनियाद बताते हुए आठ कारण गिनाए हैं। जिससे पता चलता है ईवीएम फुलप्रूफ है।_    *साइबर खबर न्यूज़ ब्यूरो*

*नई दिल्लीः* ईवीएम की साख पर उठे सवालों के बीच चुनाव आयोग ने सफाई दी है। हार के बाद अफवाह फैला रहे पार्टी समर्थकों को यह आठ कारण पढ़ना चाहिए। जिससे साफ पता चलता है कि ईवीएम से किसी भी दशा में छेड़छाड़ संभव ही नहीं है। अगर आप यह आठ कारण पढ़ते हैं तो सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाती पोस्ट शेयर करने के भेड़चाल से बच सकेंगे। पेश है एनडीटीवी की खबर का अंश। यूं तो ये आठ कारण आयोग की ओर से बताए गए हैं, सभी जगह ये खबर चल रही, मगर एनडीटीवी का जिक्र इसलिए कि भाजपा आलोचकों की नजर में इस चैनल की साख है।

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आयोग का कहना है कि ईवीएम में इंटरनेट से जुड़ा नहीं होता। इसलिए इसे किसी भी दशा में ऑनलाइन हैक नहीं किया जा सकता.

2. 

किस बूथ पर कौन सा ईवीएम जायेगा, इसके लिए रैंडमाइजेसन की प्रक्रिया होती है। यानी सभी ईवीएम को पहले लोकसभा वार फिर विधानसभा वार और सबसे अंत में बूथवार निर्धारित किया जाता है और पोलिंग पार्टी को एक दिन पहले डिस्पैचिंग के समय ही पता चल पाता है कि उसके पास किस सीरिज का ईवीएम आया है. ऐसे में अंतिम समय तक पोलिंग पार्टी को पता नहीं रहता कि उनके हाथ में कौन सा ईवीएम आने वाला है.

3. 

बेसिक तौर पर ईवीएम में दो मशीन होती है, बैलट यूनिट और कंट्रोल यूनिट. वर्तमान में इसमें एक तीसरी यूनिट वीवीपीएटी भी जोड़ दिया गया है, जो सात सेकंड के लिए मतदाता को एक पर्ची दिखाता है जिसमें ये उल्लेखित रहता है कि मतदाता ने अपना वोट किस अभ्यर्थी को दिया है. ऐसे में अभ्यर्थी बूथ पर ही आश्वस्त हो सकता है कि उसका वोट सही पड़ा है कि नहीं।.

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वोटिंग के पहले सभी ईवीएम की गोपनीय जांच की जाती है और सभी तरह से आश्वस्त होने के बाद ही ईवीएम को वोटिंग हेतु प्रयुक्त किया जाता है.

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सबसे बड़ी बात वोटिंग के दिन सुबह मतदान शुरू करने से पहले मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी द्वारा सभी उम्मीदवारों के मतदान केन्द्र प्रभारी या पोलिंग एंजेट के सामने मतदान शुरू करने से पहले मॉक पोलिंग की जाती है और सभी पोलिंग एंजेट से मशीन में वोट डालने को कहा जाता है ताकि ये जांचा जा सके कि सभी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट गिर रहा है कि नहीं. ऐसे में यदि किसी मशीन में टेंपरिंग या तकनीकि गड़बड़ी होगी तो मतदान के शुरू होने के पहले ही पकड़ ली जायेगी.

6. 

मॉक पोल के बाद सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एंजेट मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी के प्रभारी को सही मॉक पोल का सर्टिफिकेट देते है. इस सर्टिफिकेट के मिलने के बाद ही संबंधित मतदान केन्द्र में वोटिंग शुरू की जाती है. ऐसे में जो उम्मीदवार ईवीएम में टैंपरिंग की बात कर रहे हैं वे अपने पोलिंग एंजेट से इस बारे में बात कर आश्वस्त हो सकते है.

7. 

मतदान शुरू होने के बाद मतदान केन्द्र में मशीन के पास मतदाताओं के अलावा मतदान कर्मियों के जाने की मनाही होती है, वे ईवीएम के पास तभी जा सकते है जब मशीन की बैट्री डाउन या कोई अन्य तकनीकि समस्या होने पर मतदाता द्वारा सूचित किया जाता है. हर मतदान केन्द्र में एक रजिस्टर बनाया जाता है, इस रजिस्टर में मतदान करने वाले मतदाताओं की डिटेल अंकित रहती है और रजिस्टर में जितने मतदाता की डिटेल अंकित होती है, उतने ही मतदाताओं की संख्या ईवीएम में भी होती है. काउंटिंग वाले दिन इनका आपस मे मिलान मतदान केंद्र प्रभारी (presiding officer) की रिपोर्ट के आधार पर होता है.

8. 

सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम टैंपरिंग से संबंधित जितने भी मामले पहले आये उनमें से किसी भी मामले में ईवीएम में टैंपरिंग सिद्व नहीं हो पाई है. स्वयं चुनाव आयोग आम लोगों को आंमत्रित करता है कि वे लोग आयोग जाकर ईवीएम की तकनीक को गलत सिद्व करने हेतु अपने दावे प्रस्तुत करें. लेकिन आज तक कोई भी दावा सही सिद्व नहीं हुआ है।

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