मैं डॉक्टर भी नहीं, वैज्ञानिक भी नहीं, फिर भी लगभग तीन महीने से मैं कोरोना के प्रति लगातार जागरूकता भरे लेख लिख रही हूँ ! शायद तब भारत में कोरोना के इक्के दुक्के मामले ही होंगे ! अपने पुराने लेखों में मैंने बाहर निकलने पर नियमित मास्क पहनने, हाथो पर अपना नियंत्रण रखने और बाहर से आये सामानो के प्रति जागरूकता बनाये रखने के बारे में लिखा करती थी ! साथ ही बाहर से घर में प्रवेश पर आवश्यक सावधानी और अपने घर में किसी को प्रवेश न देने के नियम का कड़ाई से पालन करना भी था ! कोरोना को हराने के लिए 1-2 महीने इतना कर लेना पर्याप्त था !
हम सभी जानते हैं कि इन नियमों का पालन होता तो अभी तक कोरोना अपने पैर इतना न पसारता, और हमें अभी तक कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए लिखना न पड़ता ! पर अभी भी बाहर 50% लोग मुंह और नाक में नहीं, गले में मास्क लगाए मिलेंगे आपको ! अब दूसरे मुद्दे पर आती हूँ, जिसमे कल एक पाठक ने लिखा कि कोरोना इतनी भी बड़ी बीमारी नही, इसके अधिकांश मरीज ठीक हो जाते हैं ! इस बीमारी के प्रति अधिक हौवा फैलाया जाये तो लोग कोरोना मरीजों को लेकर घृणात्मक रवैया अपना रहे हैं, उनकी देखभाल नहीं हो पाती है !
अभी तक के आंकड़े यही बताते हैं कि कोरोना मारक नहीं है, आंकड़े 3% मृत्यु दर बताते है, पर टेस्टिंग की कमी को देखते हुए मैं इसे और कम करती हूँ, मृत्यु दर .3% भी हो सकता है ! यानि कोरोना 1000 लोगों तक पहुंचा तो 3 लोगों की मृत्यु कोरोना से निश्चित है ! भारत में एक मोहल्ले में भी 1000 से कई गुने लोग रहते हैं, आप अपने मोहल्ले में कोरोना फैला तो कोरोना से हुई मौत का अंदाजा लगा सकते हैं !
क्योंकि कोरोना मारक कम है, पर संक्रामक तो है ही, और यदि कोरोना के प्रति लापरवाही रखी जाये तो यह देश के एक एक व्यक्ति तक पहुंचेगा ! अपनी संक्रामकता के कारण यह पूरे देश की जनसंख्या तक पहुँच जाये तो कितने लोग मौत के मुंह में समायेंगे, इसकी गणना की जा सकती है ! इसलिए कोरोना न फैले इसके इंतजामात तो करने ही होंगे !
ये भी बात सही है कि मौत के अधिकांश मामले यानि 90% मामले वैसे हैं, जिन्हे कोई बीमारी थी, ऑपरेशन और उपचार के कारण वे स्वस्थ थे, लेकिन कोरोना के कारण उनकी मृत्यु हो गयी ! जांच की कमी से मैं मान रही हूँ, आज कोरोना 1 करोड़ लोगों तक पहुँच भी गया हो, ये संख्या 18, 000 हो गयी है ! कोरोना को वैसे ही बढ़ते छोड़ दिया जाये तो पूरे देश की जनसंख्या में मरनेवाले लोगों की संख्या 27 लाख हो जाएगी , जिनका इलाज हो सकता था, पर चिकित्सा विज्ञान की सारी उपलब्धियां, इतने दिनों का विकास, सबकुछ फेल हो गया, वे मौत के मुंह में समा गए !
अब आते हैं, कोरोना से 10% स्वस्थ लोगों की मृत्यु पर, ये किसी के बेटे थे, किसी के पति थे, किसी के भाई थे, किसी की बहन थी ! ये अभी दो हज़ार हैं, पूरे देश तक कोरोना फ़ैल जाये, तो साढ़े पांच लाख स्वस्थ लोग भी कोरोना की चपेट से मरेंगे ! इससे कितने परिवारों तक सदमा पहुँचेगा, आप आसानी से समझ सकते हैं ! कोरोना न फैलता तो ये बच सकते थे, जो इन्हे कभी न भूलनेवाली त्रासदी दे गयी ! महामारी जब शुरुआती दौर में होती है तो, लोग इसे नहीं समझ पाते, पर सत्य यही होता है ! इसलिए इसके प्रसार पर रोक लगाना आवश्यक होता है !
अब आती हूँ कोरोना मरीजों की देखभाल की बात पर, कुछ दिन पहले मैंने एक कहानी पढ़ी थी, जिसमे कोरोना काल में बूढ़े पिताजी को खांसते छींकते देखकर बेटे बहू ने ब्लड टेस्ट को भेजा, रिजल्ट आने तक उन्हें ऊपर छत पर बने घर, जिसमे पंखे, कूलर, बाथरूम तक भी थे, उसमे रहने को कहा, इसी बात पर बूढ़े पिताजी उदास हो gaye, दिनभर खाना नहीं खाये, शाम को पोते पोतियों को उन्हें घर में लाना पड़ा ! यह कहानी मुझे बिलकुल पसंद नहीं आयी, उस बूढ़े ने कभी घर में टीबी, चेचक , प्रसूति या सूतक के नियम नहीं पालन किये थे क्या? कोरोना को भी वैसा ही कुछ मान लेते !
आप जितने सामाजिक होंगे, आपके अनुभव उतने अधिक होंगे ! मेरे कांटेक्ट का दायरा बड़ा है, मेरी दिनभर 10-20 लोगों से बात होती रहती है ! कुछ महिलाएं कोरोना को लेकर काफी गंभीर हैं, हेल्पर को हर महीने पैसे देने के बावजूद काम खुद कर रही है ! एक बताती है कि उसकी बचपन की दोस्त दरवाजे से ही लौट गयी, क्योंकि इसने उसे चप्पल बाहर उतारने को कहना बुरा लग गया ! एक बताती है कि एक मित्र उसके बीमाऱ पति को देखने आये, मुंह में मास्क लगाकर अंदर आने को कहने पर वे बाहर से ही लौट गए ! एक पड़ोसन के घर दो बच्चे आये, बच्चे बार बार खांस रहे थे, महिला ने उन्हें घर जाने को बोला, तबियत ठीक हो जाये तो आना ! पड़ोसी को बुरा लग गया ! मेरा भी अनुभव ऐसा ही है ! जबकि नियम का पालन करने से सिर्फ मैं नहीं आप भी सुरक्षित रहेंगे !
व्यक्ति को भावुकता में नहीं, यथार्थवादी होकर कदम उठाने चाहिए ! सावधानी बरतनेवाले लोग, डॉक्टर की बात मानने वाले लोग, कानून का पालन करने वाले लोग वही करेंगे, जो करना चाहिए ! इस लेख के पहले पैराग्राफ में ही लिखा है कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए ! मरीजों को सबसे दूर तो रहना ही है, पर लोग छुप छुपकर बीमारी के प्रसार में भूमिका अदा कर रहे हैं ! थोड़ी सावधानी बरतने वाले लोगों से उन्हें दिक्कत हो रही है ! मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए, पर खुद को संभालते हुए ! पानी में डूबते हुए लोग बगल वाले को पकड़कर उसे भी डुबोने को तैयार रहते हैं, पर आप उससे खुद को बचाते हुए उनके बचाव का इंतजाम करते हो, आपका रवैया वैसा ही होना चाहिए !
कोरोना मरीजों से बाकी मरीजों को बचाने के लिए दूसरे देशों में तो कोरोना मरीज और सस्पेक्ट दोनों की जिम्मेदारी सरकार की है ! भारत में भी शुरूआती दौर में यही होता है, पर संख्या बढ़ जाती है तो सरकार हाथ खड़े कर देती है ! भारतीयों की शारीरिक क्षमता के कारण भी सरकार कुछ निश्चिंत है, गंभीर मरीजों को ही अस्पताल जाना होता है, बाकी घर में रहकर स्वास्थय लाभ कर सकते हैं, क्वैरेन्टाइन में रहा सकते हैं ! लेकिन प्रशासन खुद पहले गली को, आजकल आपके बिल्डिंग को चिन्हित कर देती है, ताकि न आप बाहर जाए, न बाहर से कोई आये ! आपको सामान के लिए पड़ोसियों से मदद लेनी चाहिए, पर दूरी बनाये रखना आवश्यक है ! कोरोना पेशेंट भी मनोवैज्ञानिक तौर पर कमजोर हो जाते हैं, इसलिए बड़ी अपेक्षा कर बैठते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए !
अभी संक्रमितों की संख्या कम है, गंभीर पीड़ितों की संख्या कम है, इसलिए मौत का प्रतिशत भी कम है, पर आंकड़ा बढेगा, गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ेगी तो इलाज की सुविधा और कम होती जाएगी, इससे मौत के प्रतिशत भी बढ़ेंगे ! मैंने ऊपर जितने आंकड़े बताये, देश में मौत उससे कहीं अधिक होगी ! इसलिए मुझे तो उचित लगता है कि कोरोना के प्रसार रोकने के यत्न करने चाहिए ! आपको क्या लगता है, अवश्य कमेंट करें ! इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें, ताकि कोरोना काल में जहाँ तहँ हो रहे संबंधों की गड़बड़ी को कम किया जा सके ! कोई किसी की बात का बुरा न माने !