यह आँकलन करना सबसे मुश्किल होगा कि भारतीयता व सनातन संस्कृति को सबसे अधिक चोट किसने पहुँचाई यूरोपीय ईसाई देशी ने ,अरबी मुस्लिम देशों ने या अमेरिकी बाज़रबाद और चीनी व्यापार ने। मगर हम शाश्वत मुसीबत व संघर्ष से घिरे हैं। कश्मीर में गुपकार गैंग तो खुल्लमखुल्ल्ला चीन और पाकिस्तान से पींगे बढ़ा ही रहा है इधर दिल्ली और बंगलुरु में हाल ही में हुए सुनियोजित दंगो जिसमें पीएसआई व तबलिगी जमात की खुली भागीदारी व अरब देशों से आर्थिक सहायता के खेल सामने आए और दक्षिणपंथी भाजपा की सरकार तक को उनसे मुक़ाबला करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र और पश्चिमी बंगाल में क्या हो रहा होगा इसकी कल्पना मात्र से ही रूह काँपती है। यह बहुत चौंकाने वाली बात है कि दोनो ही प्रदेशों में एक आपसी कदमताल दिख रही है भारत और भारतीयता विरोधी कार्यों में। आज बंगाल पर मुस्लिम परस्त राजनीति करने वाली ममता बनर्जी का राज है तो महाराष्ट्र में शरद पावर व सोनिया जैसे महाभ्रष्ट ,पश्चिमी देशों के दलाल अपनी कठपुतली सरकार चला रहे हैं। दोनो प्रदेशों में एक ही अजेंडा: बाँटो और राज करो व लुटो और बर्बाद करो।
१) वही आईएसआई और अलक़ायदा नेटवर्क अब बंगाल में जड़े जमा चुका है जो कभी महाराष्ट्र में बड़ी बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुका है। इस्लामिक कट्टरता, करोड़ों अवेध बंगलादेशियो की घुसपैठ करा हिन्दुओं को अल्पसंख्यक बनाकर तीव्र इस्लामीकरण करवाना और दंगे, आतंकी वारदातों व अलगाववाद को हवा देना इनका उद्देश्य है।
२) मुंबई फ़िल्म उद्योग में जो नग्नता व अश्लीलता परोसी जा रही है उसमें बड़ी मात्रा में बंगाली लड़कियों को खपाया जा रहा है और जो ड्रग्स मुंबई व महाराष्ट्र सहित पूरे देश में खपाई जा रही हैं उनको भी अब बड़ी मात्रा में बंगाल के बॉर्डर से अवैध रूप से लाया जा रहा है। दुःखद है कि क्रांतिकारियों, रचनात्मक विचारों, साहित्य, नृत्य , संगीत व फ़िल्म उद्योग के लिए जाना जाने वाला बंगाल अब चमड़ी के व्यापार का बड़ा केंद्र बन गया है। क्या कोई यक़ीन कर सकता है कि कोलकत्ता कभी अविभाजित भारत की राजधानी व दुनिया में उद्योग व्यापार के बड़े केंद्रो में रहा होगा?
३) वाम दलों व तृणमूल के अराजक व अकुशल शासन के पिछले चार दशकों ने बंगाल की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। विकास की दोड़ में पिछड़ा बंगाली अब आगे बढ़ना चाहता है और इसके लिए इस समुदाय का एक तबका किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। क्या आपने गौर किया कि पिछले कुछ वर्षों में जितने बड़े विवाद, घोटाले व गड़बड़ियाँ हुई है उनमें किसी न किसी बंगाली का नाम ज़रूर प्रमुखता से छाया रहा।
५) बंगाल के कई ज़िले अब मुस्लिम बहुल हैं व अवेध हथियारों, जाली करेंसी, ड्रग्स की सप्लाई के दुनिया के सबसे बड़े केंद्र बन चुके हैं और इन गिरोह की कमान मुंबई व यूएई में बैठे सरगनाओ के पास है।
६) महाराष्ट्र के बाद बंगाल के पोर्ट अब अवेध चीनी सामान मंगाने का बड़ा अड्डा बन गए हैं। पोंजी कम्पनियाँ बनाने व जाली नोट खपाने के खेल आज भी यहाँ वैसे ही चल रहे है जैसे नोटबदी से पहले चलते थे।ममता सरकार इस खेल में भरपूर मदद कर देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ रही है।
कभी भारत व भारतीयता की आत्मा रहे बंगाल की यह दुर्दशा चिंतनीय है और महाराष्ट्र के भी उसी राह पर क़दमताल करते देख अत्यंत पीड़ा होती है। कोलकत्ता व मुंबई के शेने शेने क्षरण ने मन को आंदोलित कर दिया है। इनके खोए गौरव को वापस लाना ही होगा।
अनुज अग्रवाल
संपादक, डायलॉग इंडिया
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