प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पहले लेखा-परीक्षण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण भी किया। इस कार्यक्रम में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक श्री गिरीश चंद्र मुर्मू भी उपस्थित थे।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सीएजी न केवल राष्ट्र के लेखा-खातों पर नज़र रखता है, बल्कि उत्पादकता और दक्षता में मूल्यवर्धन भी करता है, इसलिए लेखा-परीक्षण दिवस पर विचार-विमर्श और संबंधित कार्यक्रम हमारे सुधार व आवश्यक बदलाव का हिस्सा हैं। सीएजी एक ऐसी संस्था है, जिसका महत्व बढ़ गया है और इसने समय बीतने के साथ एक विरासत को विकसित किया है।
प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी, सरदार पटेल और बाबासाहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि इन महान नेताओं ने हमें बड़े लक्ष्य निर्धारित करना और उन्हें प्राप्त करना सिखाया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था, जब देश में लेखा-परीक्षण को आशंका और भय के साथ देखा जाता था। ‘सीएजी बनाम सरकार,’ यह हमारी व्यवस्था की सामान्य सोच बन गई थी। लेकिन, आज इस मानसिकता को बदला गया है। आज लेखा-परीक्षण को मूल्य संवर्धन का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले देश में बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता की कमी के चलते तरह-तरह के गलत कामकाज होते थे। इसके परिणामस्वरूप बैंकों के फंसे कर्जे बढ़ते गये। उन्होंने कहा, “आपको अच्छी तरह पता है कि अतीत में फंसे हुए कर्जों को दरी के नीचे कवर करने का कार्य किया जाता था। बहरहाल, हमने पूरी ईमानदारी के साथ पिछली सरकारों का सच देश के सामने रखा। हम समस्याओं को पहचानेंगे, तभी तो समाधान तलाश कर पायेंगे।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “आज हम ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं, जिसमें ‘सरकार सर्वम्’ की सोच, यानी सरकार का दखल भी कम हो रहा है और आपका काम भी आसान हो रहा है।” उन्होंने लेखा-परीक्षकों को बताया, “यह मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के अनुसार किया जा रहा। संपर्क रहित प्रक्रिया, स्वचालित नवीनीकरण, व्यक्ति की उपस्थिति के बिना मूल्यांकन, सेवाओं के लिये ऑनलाइन आवेदन – इन सभी सुधारों ने सरकार की अनावश्यक दखलंदाजी को खत्म कर दिया है।”