हार्ट अटैक मुख्य रूप से धमनियों में वसा के जमने के कारण होता है, जो न सिर्फ खून के प्रवाह को रोकता है, बल्कि मांसपेशियों को भी कमजोर कर देता है। कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर दो महत्वपूर्ण कारक हैं, जो धमनियों को ब्लॉक करके खून के प्रवाह में रुकावट का काम करते हैं। इससे हार्ट अटैक की स्थिति बनती है। इन दोनों कारकों को एक प्रकार से माफिया कहा जा सकता है क्योंकि विश्वस्तर पर हर साल हार्ट अटैक से करोड़ों लोगों की मौत हो जाती है। बावजूद इसके, कई हृदय रोग विशेषज्ञ कोलेस्ट्रॉल स्तर 180 एमजी/1 से अधिक और ट्राइग्लिसराइड्स स्तर 160एमजी/डी1 से अधिक की अनुमति देते हैं।
मोटापा और हृदय रोगों में संबंध
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि मोटापा किस प्रकार हृदय रोगों को बढ़ावा देता है। शरीर कैलोरी की मदद से ऊर्जा उत्पन्न करता है। हम जो कुछ भी खाते हैं वह ग्लूकोस के रूप में मांसपेशियों तक पहुंचता है, जिससे शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है। शरीर इंसुलिन की मदद से यह सुनिश्चित करता है कि कैलोरी सही मात्रा में इस्तेमाल हो रही है। अतिरिक्त कैलोरी वसा यानी कि फैट के रूप में जमा होता रहता है। ऐसे में ग्लूकोस के स्तर को संतुलित रखने के लिए इंसुलिन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है। जमा हुआ अतिरिक्त फैट शरीर की चयापचय (मेटाबोलिज्म) की कार्यप्रणाली को बिगाड़ता है। चूंकि, इस स्थिति में मांसपेशियां ग्लूकेगन को सोखने में असमर्थ हो जाती है, जिससे इंसुलिन और अधिक मात्रा में उत्पन्न होने लगता है। यदि इसके बावजूद प्रक्रिया में कोई सुधार नहीं आता है, तब व्यक्ति डायबिटीज का शिकार हो जाता है। शरीर का ज्यादा वजन न सिर्फ डायबिटीज का कारण बनता है बल्कि मोटापा और उच्च रक्तचाप का कारण भी बनता है।
हार्ट अटैक की रोकथाम
जब किसी व्यक्ति में ब्लॉकेज का स्तर 50 प्रतिशत से ऊपर चला जाता है तो उस स्थिति में उसे कभी भी दिल का दौरा पड़ सकता है। यदि में ब्रेन कमजोर है तो वह 50-70 प्रतिशत के स्तर पर नष्ट हो जाएगी। ऐसे मरीजों को हार्ट अटैक से पहले नहीं पता चलता है कि उन्हें ब्लॉकेज की समस्या है क्योंकि 70 प्रतिशत से कम ब्लॉकेज में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। हालांकि, नॉन इनवेसिव टेस्ट यानी कि सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी की मदद से इस ब्लॉकेज का आसानी से पता चल जाता है। यह एक लोकप्रिय टेस्ट है जो भारत में भी उपलब्ध है। लेकिन 70-80 प्रतिशत ब्लॉकेज होने पर एंजिना की समस्या हो सकती है, जिसे टीएमटी (एक्सरसाइज स्ट्रेस टेस्ट) या सीटी एंजियोग्राफी की मदद से पहचाना जा सकता है। यदि ब्लॉकेज की पहचान हार्ट अटैक से पहले हो जाती है, तो ब्लॉकेज को साफ करके हार्ट अटैक की रोकथाम संभव है।
डाइटिंग और एक्सरसाइज की मदद से वजन कम करके ही हृदय रोगों के जोखिम से बचना संभव है। यहां डाइटिंग का मतलब भूखा रहना नहीं है। सही डाइटिंग वह है जिसमें आप कैलोरी की मात्रा को कम कर देते हैं, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट का संतुलित मात्रा में सेवन करते हैं। इसके साथ हर दिन कम से कम 45 मिनट एक्सरसाइज करना जरूरी होता है, जिसमें वेट लिफ्टिंग को जरूर शामिल करें। शारीरिक गतिविधियां, एक्सरसाइज और एरोबिक्स मांसपेशियों को मजबूत बनाती हैं, जो अतिरिक्त फैट की खफत के लिए बेहद जरूरी है।
हर महीने 3-4 किलो वजन कम किया जाए, यह जरूरी नहीं है। धीरे-धीरे ही सही लेकिन हर महीने एक किलो वजन कम करना भी पर्याप्त है।
जीरो ऑयल कुकिंग
ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का तेल होता है, जो धमनियों को ब्लॉक करके विभिन्न प्रकार के हृदय रोगों का कारण बनता है। इसका यह अर्थ है कि हम हर रोज चाहे कितना भी कम तेल वाला खाना खाते हों, लॉग रन के हिसाब से हम खुद को एक बड़ी मुश्किल में डाल रहे हैं। हालांकि, अधिकतर लोग खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए तेल का उपयोग करते हैं, लेकिन सच यह है कि तेल में कोई स्वाद या फ्लेवर नहीं होता है। यदि इस बात पर यकीन न हो तो आप खुद एक चम्मच तेल को पीकर यह जांच सकते हैं। तेल का उपयोग सिर्फ मसाले और खाने को पकाने के लिए किया जाता है, जिससे खाने का स्वाद बढ़ जाता है। लेकिन क्या किसी को पता है कि बिना तेल के इस्तेमाल के भी खाने का स्वाद बढ़ाया जा सकता है?
हमने 1000 से भी ज्यादा रेसिपी तैयारी की हैं जो न सिर्फ बिना तेल के बनाई जा सकती हैं बल्कि उनमें स्वाद की भी कोई कमी नहीं है। हमारे शरीर को जितनी मात्रा में वसा की जरूरत होती है, वह चावल, सब्जियां, फल, गेंहू और दाल आदि से पूरी हो जाती है।
वहीं बादाम, काजू, अखरोट और पिस्ता आदि जैसे सूखे मेवों में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा तेल पाया जाता है। नारियल और मूंगफली में लगभग 40 प्रतिशत तेल पाया जाता है। हालांकि, कुछ हृदय रोग विशेषज्ञ अपने रोगियों को यह कहकर गलत सलाह देते हैं कि उनमें वसा नहीं है। वे मरीजों को यह कहकर सूखे मेवे खाने की अनुमति दे देते हैं कि इनमें ओमेगा-3 ऑयल होता है जो एचडीएल स्तर को बढ़ाते हैं। वे मरीजों को ये कभी नहीं बताते हैं कि इनके सेवन से उनके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बढ़ती है। इसलिए दिल के मरीजों को हर प्रकार के नट्स से दूर रहना चाहिए। किशमिश, मुनक्का, अंजीर, खजूर और खुबानी में बिल्कुल तेल नहीं होता है, इसलिए यदि दिल के मरीज को शुगर की समस्या नहीं है तो वे इन्हें खा सकते हैं।
डॉ. बिमल छाजेड़
निदेशक
साओल हार्ट सेंटर, नई दिल्ली