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भारत की अखंडता सुरक्षित है, तो इसके पीछे सिख गुरुओं की महान तपस्या: PM मोदी

गुजरात के कच्छ में स्थित गुरुद्वारा लखपत साहिब में आज गुरु नानक देव जी का गुरुपर्व मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर का दशकों पुराना इंतजार हमने खत्म किया. पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस समारोह को संबोधित कर रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में अफगानिस्तान से सम्मान के साथ गुरुग्रंथ साहिब के स्वरूप भारत लाने में हम सफल रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि अमेरिका ने कुछ महीने पहले भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक अमानत लौटाईं. इसमें एक छोटी तलवार भी थी. जिस पर फारसी में गुरुगोबिंद सिंह जी का नाम लिखा है. इन चीजों को वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी सरकार को मिला.
पीएम ने कहा कि हमारे सिख गुरुओं ने भारतीय समाज का मनोबल बढ़ाया है. गुरुनानदेव जी और हमारे गुरुओं ने भारत की चेतना के साथ भारत को भी सुरिक्षत रखा. जब देश जात पात के नाम पर कमजोर पड़ रहा था, तब गुरुनानक देव जी ने कहा था कि सभी में भगवान के प्रकाश को देखें. किसी की जाति से उसकी पहचान नहीं होती.
बाबर जोर औऱ जुल्म से भारत की हुकूमत का कन्यादान मांग रहा था’
कार्यक्रम के दौरान पीएम ने कहा कि जब विदेशी आक्रांत तलवार की दम पर भारत की सत्ता और संपदा को हथियाने में लगे थे, तब गुरुनानक देव जी ने कहा था कि पाप औऱ जुल्म की तलवार लेकर बाबर काबुल से आया है. वह जोर औऱ जुल्म से भारत की हुकूमत का कन्यादान मांग रहा था.
गुरु तेगबहादुर जी अपने विचारों के लिए सदैव अडिग रहे
पीएम मोदी ने कहा कि औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है. इसी तरह दशम गुरु गुरुगोबिन्द सिंह जी का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है. साथ ही जिस तरह गुरु तेगबहादुर जी मानवता के प्रति अपने विचारों के लिए सदैव अडिग रहे, वो हमें भारत की आत्मा के दर्शन कराता है. साथ ही कहा कि अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों-बहनों ने वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया.
अटल बिहारी वाजयेपी का कच्छ से विशेष स्नेह था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती भी है.  उनका कच्छ से विशेष स्नेह था. भूकंप के बाद यहां हुए विकास कार्यों में अटल जी और उनकी सरकार कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही थी.

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