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सुप्रीम कोर्ट के जजों का अहंकार –

इनके पतन का कारण बनेगा –

वैसे तो यह काफी समय से चल रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों का अहंकार चरम पर चलता दिखाई दे रहा है और यही जुडिशरी के लिए हानिकारक साबित होगा परन्तु कुछ हाल के मसलों में पता चलता है जजों को एहसास ही नहीं होता कि वो क्या बोल रहे हैं – कुछ किस्से बता रहा हूँ –

-कल CJI चंद्रचूड़ के सामने वकील शशांक शेखर झा की याचिका सुनवाई के लिए आई जिसमे उन्होंने पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपील की थी – इस याचिका को चंद्र्कहुड ने सुनने से ही मना कर दिया और 80% पराली जलाने वाले पंजाब को एक तरह से निर्दोष बता दिया – चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या पराली जलने से रोकने से प्रदूषण ख़तम हो जायेगा, इसके लिए कुछ और तरींका ढूढ़ना होगा –

इसका मतलब तो यही हुआ न मीलार्ड कि पराली जलाने से प्रदूषण नहीं होता बल्कि एक दिवाली की रात में पटाखे जलाने से सारा प्रदूषण होता है जिसे रोकने के लिए आप आतुर रहते हैं, बेहतर है पंजाब से पराली मंगवा कर सभी जजों के घरों के चारों तरफ जलवा दी जाए क्योंकि प्रदूषण तो होगा नहीं

-नोटबंदी के खिलाफ 58 याचिकाएं 6 साल से सुप्रीम कोर्ट ले कर बैठा है, कोई सुनवाई नहीं की लेकिन अब जब अटॉर्नी जनरल ने हलफनामा दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का टाइम मांग लिया तो आप अटोर्नी जनरल पर बरस पड़े और उनसे नाराजगी जाहिर की –
ये क्या मजाक है कोई, पहले अपनी तो जवाबदेही तय कीजिए कि 6 से मुक़दमे की सुनवाई क्यों नहीं की और आज दोष मढ़ रहे हो सरकार पर; अगली सुनवाई में 6 साल की देरी के सफाई दे कर जनता से माफ़ी मांगी जाये –

-आज़म खान को उत्तर प्रदेश विधानसभा ने Disqalify कर दिया 3 साल की सजा मिलने पर -वो 8 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट पहुँच जाता बिना हाई कोर्ट गए और सुप्रीम कोर्ट उसकी अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार से पूछता है कि इतनी जल्दी क्या थी Disqualify करने की –
उसकी याचिका सीधे सुप्रीम कोर्ट कैसे Entertain कर सकता है – चिदंबरम ने कहा इलाहाबाद हाई कोर्ट बंद है – मगर सुप्रीम कोर्ट ने जानने की कोशिश नहीं की कि हाई कोर्ट एक दिन के लिए बंद था 8 नवम्बर को और अगले दिन वहां अपील कर सकता था –

सुप्रीम कोर्ट क्यों गरम हुआ आज़म की विधायिकी ख़तम होने पर – आपने 2013 के आर्डर में साफ़ लिखा था कि सजा होने के साथ ही विधायिकी ख़तम हो जाएगी – कोई मुहूर्त नहीं निकाला जायेगा – फिर उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल क्यों पूछा; क्या अपना फैसला बदलने का मूड है –

-कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के 22 कमरे खोलने से मना कर दिया और कहा कि यह याचिका PIL नहीं है बल्कि Publicity Interest Litigation है अपनी प्रसिद्धि के लिए –
मतलब आप पद्मनाभ स्वामी मंदिर के 6 में से 5 वॉल्ट खोल सकते थे क्यूंकि उनमे अपार धन संपत्ति थी मगर आप ताजमहल के कमरे नहीं खोल सकते -आखिर क्यों इतना पक्षपात करते हो हिन्दुओं के खिलाफ –
एक बात और बता दूं कि पद्मनाभ मंदिर के 6 में से 5 वॉल्ट खोलने के आर्डर किये थे, छठे के नहीं क्यूंकि इन जजों को बताया गया था कि इस वॉल्ट को खोलना खतरे से खाली नहीं है क्यूंकि बड़े बड़े नागराज उस वॉल्ट में रहे आभूषणों की सुरक्षा करते हैं और उन्हें खुलवाने वालों का सर्वनाश कर सकते हैं –

इसलिए जुडिशरी के हित में होगा कि जज अपने अहंकार को काबू में रखें और संयम से काम लें क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुडिशरी की सर्वाधिक इज़्ज़त करते हैं – उन्हें बिना बात छेड़ा गया तो यह याद रहना चाहिए, वो फिर छोड़ते नहीं है –

😠

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