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17 सितंबर को होगा 75 दिवसीय सागर स्वच्छता अभियान का समापन

आजादी के अमृत वर्ष के अवसर पर 05 जुलाई
को शुरू हुए 75 दिवसीय सागर स्वच्छता अभियान का समापन 17 सितंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय
तटीय स्वच्छता दिवस’ के अवसर पर हो रहा है। महासागरों की स्वच्छता के महत्व को
रेखांकित करने और उसके बारे में जागरूकता के प्रचार-प्रसार के लिए शुरू किये गए ‘स्वच्छ
सागर, सुरक्षित सागर’ नामक इस अभियान के समापन से जुड़े कार्यक्रम एक साथ देश के 75
समुद्र तटों पर आयोजित किए जाएंगे। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र
प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक
शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह मुंबई में स्वयं समापन
कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे।
देश की 7500 किलोमीटर लंबी तटरेखा से कचरा हटाने के लिए शुरू किए गए इस अभियान
को विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों का समर्थन मिला है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि यह अभियान
सरकारी दृष्टिकोण के साथ-साथ अब पूरे देश की भागीदारी के चरण में प्रवेश कर गया है।
उन्होंने कहा कि यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुकूल है, जिनकी
स्वच्छता को लेकर विशेष प्रतिबद्धता रही है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के
तटों को साफ रखने पर जोर दिया है, और हाल में मुंबई के जुहू समुद्र तट से कचरा हटाने के
स्वयंसेवकों के प्रयासों की प्रशंसा की है।
‘स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर’ अभियान से जुड़ने के लिए ‘इकोमित्रम’ ऐप पर 50 हजार से
अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है। हर दिन हजारों की संख्या में लोग सागर सफाई से जुड़े
जागरूरता अभियानों, और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में शामिल होने के साथ-साथ तटों की
सफाई में भी सीधे तौर पर हिस्सा ले रहे हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, फिल्मी और
खेल जगत की हस्तियां, नागरिक समाज समूह, और सिविल सोसायटी समूह, इस सबसे लंबे
और सबसे बड़े समुद्र तटीय सफाई अभियान को पूर्ण समर्थन दे रहे हैं। 17 सितंबर को मुंबई के
जुहू तट पर डॉ जितेंद्र सिंह अभियान का नेतृत्व करेंगे, जहाँ महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र
फडणवीस, सांसद पूनम महाजन, और अन्य प्रसिद्ध हस्तियां तथा गैर सरकारी संगठन अभियान
में शामिल होंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान विश्व प्रसिद्ध पुरी समुद्र तट पर अभियान की अगुवाई करेंगे,
जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी चांदीपुर में होंगे। पश्चिम बंगाल के हुगली से सांसद
सुश्री लॉकेट चटर्जी दीघा में होंगी। आरके मिशन प्रमुख दक्षिणी बंगाल के बक्खाली में अभियान
का नेतृत्व करेंगे। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल पोरबंदर (माधवपुर) में होंगे, जबकि

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला जाफराबाद, अमरेली में
अभियान में शामिल होंगे। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, और गोवा के राज्यपाल पी.एस.
श्रीधरन पिल्लई दक्षिण एवं उत्तरी गोवा समुद्र तटों में सागर स्वच्छता अभियान में हिस्सा लेंगे।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान कोच्चि, और विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन
तिरुअनंतपुरम में कोवलम समुद्र तट पर होंगे। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत मैंगलोर
के पनम्बुर समुद्र तट पर अभियान में शामिल होंगे। तेलंगाना के राज्यपाल डॉ तमिलिसाई
सुंदरराजन पुदुच्चेरी समुद्र तट पर उनकी मदद करेंगे। इसी तरह, सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री
एल मुरुगन चेन्नई में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे, जबकि मिजोरम के राज्यपाल डॉ के
हरि बाबू विजाग तट पर अभियान में शामिल होंगे।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ एम. रविचंद्रन ने कहा है कि मंत्रालय द्वारा सागर तटों की
स्वच्छता के लिए समय-समय पर चलाए जाने वाले अभियानों के अलावा इस वर्ष यह 75
दिवसीय अभियान देश की 7500 किलोमीटर लंबी तटरेखा पर आजादी के अमृत महोत्सव को
चिह्नित करते हुए विशेष रूप से आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य सागर की
स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए जनभागीदारी सुनिश्चित करना है। डॉ रविचंद्रन ने बताया
कि वर्ष 2030 तक समुद्र में फेंके जाने वाले प्लास्टिक कचरे में 30 प्रतिशत कटौती के लक्ष्य को
प्राप्त करने में यह अभियान महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान एकत्रित किये
गए प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण करने के लिए पृथक्करण किया जा रहा है। प्लास्टिक कचरे के
पुनर्चक्रण के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा पहल की गई है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में भारत सरकार के
विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ-साथ देश के प्रमुख कॉरपोरेट्स, शिक्षण संस्थान एवं
गैर-सरकारी संस्थान हिस्सा ले रहे हैं। पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(MoEFCC), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), भारतीय तटरक्षक बल, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन
प्राधिकरण (NDMA), सीमा जागरण मंच, एसएफडी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
(ABVP), पर्यावरण संरक्षण गतिविधि (PSG), और अन्य सामाजिक संगठनों एवं शैक्षणिक
संस्थानों की संयुक्त भागीदारी से यह अभियान चलाया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास को रेखांकित करते हुए कहा कि
भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसके नाम पर किसी महासागर का नाम है। उन्होंने कहा कि
भारतीय सामाजिक-आध्यात्मिक परंपराओं, साहित्य, कविता, मूर्तिकला, चित्रकला और
पुरातत्व समेत विविध क्षेत्रों से मिले साक्ष्य भारत की महान समुद्री परंपराओं की पुष्टि करते हैं।
उन्होंने कहा, मानव समाज महासागरों और समुद्र की प्राकृतिक संपदा से लगातार लाभान्वित
होता रहा है। हालाँकि, विभिन्न मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न प्लास्टिक कचरा विभिन्न

जलमार्गों के माध्यम से तट और समुद्र तक पहुँचता है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए
एक गंभीर खतरा पैदा होता है। डॉ सिंह ने कहा कि इस प्रकार के खतरों का सामना सरकार
अकेले नहीं कर सकती, इसके लिए लोगों की भागीदारी आवश्यक है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बद्ध संस्था विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने
बताया कि, इस अभियान में, मुख्य रूप से समुद्री कचरे को कम करने, प्लास्टिक के न्यूनतम
उपयोग, स्रोत स्थानों पर कचरे का अलगाव, और अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ,
वास्तविक और वर्चुअल दोनों तरह से बड़े पैमाने पर सार्वजनिक भागीदारी देखने को मिली है।
उन्होंने बताया कि आम लोगों की भागीदारी न केवल तटीय क्षेत्रों, बल्कि देश के अन्य हिस्सों
की समृद्धि के लिए भी "स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर" का संदेश देने में सफल रही है। (इंडिया
साइंस वायर)

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