सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के स्थानीयकरण और राष्ट्रीय, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश और स्थानीय स्तर पर मजबूत एसडीजी प्रगति निगरानी प्रणाली स्थापित करने की अपनी यात्रा में, नीति आयोग ने आज पहला एसडीजी शहरी सूचकांक और डैशबोर्ड (2021-22) जारी करने के साथ एक और मील का पत्थर हासिल किया है। सूचकांक और डैशबोर्ड भारत-जर्मन विकास सहयोग साझेदारी की छत्रछाया में नीति आयोग-जीआईजेड और बीएमजेड के गठजोड़ का परिणाम है, जिसका उद्देशय हमारे शहरों में एसडीजी का स्थानीयकरण करना है।
एसडीजी शहरी सूचकांक और डैशबोर्ड में एसडीजी ढांचे के सभी 46 लक्ष्यों में 77 एसडीजी सूचकों के आधार पर 56 शहरी क्षेत्रों का रैंक पेश किया गया है। इन सूचकों पर डेटा आधिकारिक डेटा स्रोतों जैसे एनएफएचएस, एनसीआरबी, यू-डीआईएसई, विभिन्न मंत्रालयों के डेटा पोर्टल और अन्य सरकारी डेटा स्रोतों से प्राप्त किया गया है।
सूचकांक और डैशबोर्ड एसडीजी स्थानीयकरण को और मजबूत करेंगे और शहर के स्तर पर मजबूत एसडीजी निगरानी स्थापित करेंगे। यह यूएलबी-स्तरीय आँकड़े, निगरानी और रिपोर्टिंग सिस्टम की ताकत और कमी पर प्रकाश डालता है। इस सूचकांक और डैशबोर्ड जैसे उपकरण एक परितंत्र के निर्माण में योगदान देंगे जिसमें सभी हितधारक डेटा-संचालित निर्णय ले पाने और उन्हें लागू करने में सक्षम होंगे। भारत में विकास के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने में हमारे शहरों और शहरी क्षेत्रों की बढ़ती प्रमुखता को देखते हुए यह क्रांतिकारी परिवर्तन अत्यंत आवश्यक हो गया है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार और जर्मनी सरकार के बीएमजेड की महानिदेशक प्रो डॉ क्लाउडिया वार्निंग ने दक्षिण एशिया डिवीजन बीएमजेड के प्रमुख श्री फिलिप निल; जीआईजेड इंडिया की कंट्री डायरेक्टर डॉ जूली रेवियर, स्मार्ट सिटीज प्रोजेक्ट के सतत विकास, जीआईजेड इंडिया के प्रमुख श्री जॉर्ज जाह्नसेन, नीति आयोग की सलाहकार (एसडीजी) सुश्री संयुक्ता समद्दर और दोनों देशों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सूचकांक और डैशबोर्ड का लोकार्पण किया गया।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने लॉन्च के दौरान कहा, “शहर तेजी से विकास के इंजन बन रहे हैं। एसडीजी शहरी सूचकांक और डैशबोर्ड, नीति आयोग और जीआईजेड के बीच अभिनव साझेदारी का एक अभिनव परिणाम है, जो हमारे शहरों में एक मजबूत एसडीजी निगरानी प्रणाली स्थापित करने में एक लंबा सफर तय करेगा, और यह हमारी एसडीजी स्थानीयकरण यात्रा में एक बड़ा कदम है।”
2030 एजेंडा को प्राप्त करने की एक तिहाई यात्रा के साथ, शहरी क्षेत्रों में एसडीजी पर प्रगति को मापना महत्वपूर्ण है। इस विषय पर, नोडल अधिकारी (एसडीजी) संयुक्ता समद्दर ने कहा कि नीति आयोग निर्णय लेने के लिए माप-आधारित दृष्टिकोण अपनाने के लिए स्थानीय प्रशासन को सशक्त बनाना चाहता है। अगर एसडीजी एजेंडा को अंतिम छोर के हितधारकों द्वारा अपनाया जाता है तो हम 2030 के वैश्विक एजेंडा को प्राप्त करने की उम्मीद कर सकते हैं। एसडीजी शहरी सूचकांक एसडीजी के स्थानीयकरण की दिशा में एक और बड़ा कदम है।
सतत विकास लक्ष्यों पर भारत-जर्मन साझेदारी पर, डीजी बीएमजेड, प्रो डॉ क्लाउडिया वार्निंग ने कहा, “यह एसडीजी स्थानीयकरण और निगरानी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, और राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एसडीजी पर संस्थागत क्षमता और डेटा सिस्टम में महत्वपूर्ण खामियों को दूर करेगा। हम एसडीजी पर क्षमता निर्माण में नीति आयोग के साथ इस साझेदारी को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं।”
कार्य–पद्धति
एसडीजी शहरी सूचकांक के लिए सांख्यिकीय पद्धति सतत विकास समाधान नेटवर्क (एसडीएसएन) द्वारा विकसित विश्व स्तर पर स्वीकृत पद्धति से ली गई है। एसडीजी भारत सूचकांक और पूर्वोत्तर क्षेत्र जिला एसडीजी सूचकांक के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के साथ मिलकर अंतिम रूप दिया गया। 77 सूचकों की एक व्यापक सूची का उपयोग सूचकांक में किया गया है, जिसमें 15 एसडीजी में 46 वैश्विक एसडीजी लक्ष्य शामिल हैं। एसडीजी 14 (पानी के नीचे जीवन) को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि यह केवल तटीय क्षेत्रों के लिए प्रासंगिक है, जो केवल कुछ चुनिंदा शहरों में हैं और एसडीजी 17 (लक्ष्यों के लिए साझेदारी) को बाहर रखा गया है क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर इसके लक्ष्यों की प्रगति की निगरानी की जाती है। जबकि एसडीजी 15 (भूमि पर जीवन) के तहत प्रगति को दो संकेतकों का उपयोग करके मापा जाता है, पर्याप्त कवरेज की कमी के कारण स्कोर का अनुमान लगाने में उनका उपयोग नहीं किया गया है। संकेतक मंत्रालय के राष्ट्रीय संकेतक ढांचे के अनुरूप तैयार किए गए हैं। एसडीजी लक्ष्यों की प्रासंगिकता और शहरी स्तर पर डेटा उपलब्धता संकेतक चयन के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण मानदंड हैं। इन संकेतकों पर सबसे हालिया डेटा विभिन्न आधिकारिक डेटा स्रोतों जैसे एनएफएचएस, एनसीआरबी, यू-डीआईएसई, मंत्रालयों के डेटा पोर्टल और अन्य सरकारी डेटा स्रोतों से प्राप्त किया गया है और 62 प्रतिशत संकेतक 2019 या उसके बाद से प्राप्त किए गए हैं।
सूचकांक में शामिल 56 शहरी क्षेत्रों में से 44 दस लाख से अधिक की आबादी वाले हैं। इनमें दस लाख से कम आबादी वाले 12 शहर विभिन्न राज्यों की राजधानियां हैं। जबकि कुछ संकेतकों के लिए, “शहरी क्षेत्र” का तात्पर्य यूएलबी से है, अन्य मामलों में, यह सामूहिक रूप से एक जिले के सभी शहरी क्षेत्रों को संदर्भित करता है। यह विभिन्न डेटा सेटों के उपयोग के कारण हुआ है, जिनमें विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों में शहरी डेटा का मिलान किया गया है। हालांकि, किसी दिए गए संकेतक के लिए, सभी शहरी क्षेत्रों के लिए समान परिभाषा का उपयोग किया गया है।
प्रत्येक एसडीजी के लिए, शहरी क्षेत्रों को 0-100 के पैमाने पर रैंक किया गया है। 100 के स्कोर का अर्थ है कि शहरी क्षेत्र ने 2030 के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया है; 0 के स्कोर का अर्थ है कि यह चयनित शहरी क्षेत्रों में लक्ष्यों को प्राप्त करने के मामले में सबसे पीछे है। शहरी क्षेत्र के समग्र प्रदर्शन को मापने के लिए लक्ष्य-वार स्कोर से शहरी क्षेत्र के समग्र स्कोर निकाले जाते हैं।
शहरी क्षेत्रों को उनके समग्र स्कोर के आधार पर नीचे वर्गीकृत किया गया है:
- आकांक्षी (एस्पिरेंट): 0–49
- अच्छा प्रदर्शन करने वाला (परफॉर्मर): 50–64
- बहुत अच्छा प्रदर्शन करने वाला (फ्रंट रनर): 65–99
- लक्ष्य को प्राप्त कर लेने वाला (अचीवर): 100
गणना के लिए निम्नलिखित 56 शहरी क्षेत्रों पर विचार किया गया है – दस लाख से अधिक आबादी वाले 44 शहर और दस लाख से कम आबादी वाले 12 शहर (राज्यों की राजधानियां):
अगरतला | ग्वालियर | नासिक |
आगरा | हैदराबाद | पणजी |
अहमदाबाद | इम्फाल | पटना |
आइजोल | इंदौर | प्रयागराज |
अमृतसर | ईटानगर | पुणे |
औरंगाबाद | जबलपुर | रायपुर |
बेंगलुरु | जयपुर | राजकोट |
भोपाल | जोधपुर | रांची |
भुवनेश्वर | कानपुर | शिलांग |
चंडीगढ़ | कोच्चि | शिमला |
चेन्नई | कोहिमा | श्रीनगर |
कोयंबटूर | कोलकाता | सूरत |
देहरादून | कोटा | तिरुचिरापल्ली |
दिल्ली | लखनऊ | तिरुवनंतपुरम |
धनबाद | लुधियाना | वडोदरा |
फरीदाबाद | मदुरै | वाराणसी |
गंगटोक | मेरठ | विजयवाड़ा |
गाजियाबाद | मुंबई | विशाखापट्टनम |
गुवाहाटी | नागपुर |
परिणाम
शीर्ष 10 शहरी क्षेत्र:
शहरी क्षेत्र | राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | समग्र स्कोर |
शिमला | हिमाचल प्रदेश | 75.50 |
कोयंबटूर | तमिलनाडु | 73.29 |
चंडीगढ़ | चंडीगढ़ | 72.36 |
तिरुवनंतपुरम | केरल | 72.36 |
कोच्चि | केरल | 72.29 |
पणजी | गोवा | 71.86 |
पुणे | महाराष्ट्र | 71.21 |
तिरुचिरापल्ली | तमिलनाडु | 70.00 |
अहमदाबाद | गुजरात | 69.79 |
नागपुर | महाराष्ट्र | 69.79 |
नीचे के 10 शहरी क्षेत्र:
शहरी क्षेत्र | राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | समग्र स्कोर |
फरीदाबाद | हरियाणा | 58.57 |
कोलकाता | पश्चिम बंगाल | 58.5 |
आगरा | उत्तर प्रदेश | 58.21 |
कोहिमा | नगालैंड | 58.07 |
जोधपुर | राजस्थान | 58 |
पटना | बिहार | 57.29 |
गुवाहाटी | असम | 55.79 |
ईटानगर | अरुणाचल प्रदेश | 55.29 |
मेरठ | उत्तर प्रदेश | 54.64 |
धनबाद | झारखंड | 52.43 |
लक्ष्य–वार अच्छा प्रदर्शन करने वाले शहरी क्षेत्र
प्रत्येक प्रदर्शन श्रेणी में शहरी क्षेत्रों का प्रतिशत
शहरी क्षेत्रों का समग्र प्रदर्शन (भौगोलिक वितरण)
एसडीजी शहरी सूचकांक और डैशबोर्ड 2021-22 का एक स्नैपशॉट
इंटरैक्टिव डैशबोर्ड यहां देख सकते हैं: http://sdgindiaindex.niti.gov.in/urban
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