Shadow

क्या नूपुर प्रकरण पर भाजपा दबाव में है ?

क्या नूपुर प्रकरण पर भाजपा दबाव में है ?
मृत्युंजय दीक्षित
एक टीवी डिबेट में साथी पैनेलिस्ट के भगवान शिव पर बार बार अमर्यादित टिपण्णी से उकसावे में आकर पैगंबर मोहम्मद पर की गयी टिप्पणी के बाद विवादों व कटटर मुस्लिम समाज की “सर तन से जुदा” धमकियों में घिरी बीजेपी प्रवक्ता नुपूर शर्मा और एक अन्य प्रवक्ता नवीन जिंदल को भाजपा से छह वर्ष के लिए निलंबित कर दिया गया है जिसके बाद सोशल मीडिया सहित विभिन्न मंचों पर बहुत सारे भाजपा समर्थक व प्रशंसक नेतृत्व की ओर से की गयी कार्यवाही और पार्टी की ओर से जारी किये गये बयानों की तीखी आलोचना कर रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ताओं के निलम्बन से कई राजनैतिक संदेश जा रहे हैं जिससे प्रथम दृष्टया पार्टी को कुछ क्षणिक नुकसान भी हो सकता है लेकिन अभी फिलहाल ऐसी कोई आशंका नहीं है कि इस कार्यवाही से बीजेपी को कोई बहुत बड़ा नुकसान होने जा रहा है।
भाजपा के इन कदमों से सबसे बड़ा राजनैतिक प्रश्न यह उठ रहा है कि क्या आक्रामक विरोध प्रदर्शनों, बयानबाजी, उसके नेताओं को जान से मारने की धमकियाँ और दंगे करवा कर भाजपा को दबाया जा सकता है या फिर सरकार व पार्टी के फैसलों को बदलवाया जा सकता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह तथा जे पी नडडा के नेतृत्व वाली भाजपा तीसरी बार राजनैतिक दबाव के आगे झुकने को मजबूर हुयी है और उसे अपने दो होनहार प्रवक्ताओं से हाथ धोना पड़ा है। पहले शाहीन बाग हुआ जिसने दिल्ली को बंधक बनाया और कोरोना के कारण हट पाया , फिर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने राजधानी दिल्ली को लम्बे समय तक बंधक बना लिया तब चुनावों को देखते हुए प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानून वापस ले लिये थे, पुराना उदहारण लें तो जब भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर कुछ टिप्पणियां करी थीं तब उन पर कार्यवाही करते हुए उनके संसद में बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
लेकिन वर्तमान विवाद उपरोक्त से बिलकुल अलग है। भाजपा प्रक्ता नुपूर शर्मा और नवीन जिंदल के बयानों से आहत कटटरपंथी मुस्लिम समाज के नेता व संगठन लगातार दोनो नेताओं लगातार धमकियां दे रहे हैं। नुपूर को रेप और हत्या की धमकियां मिल रही थीं तथा कुछ संगठनो ने तो उनका सिर कलम करने के लिए करोड़ तक का ईनाम भी घोषित कर दिया है। यह एक अजीब सी बात है कि भाजपा आलाकमान ने इन विरोधियों के खिलाफ एक भी कड़ा बयान नहीं जारी किया था और न हीं नुपूर को संगठन की ओर से कोई दी जा रही थी।
सर तन से जुदा का नारा देने वालों के इरादे कितने खतरनाक थे इस का पता तब चला जब प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जी का कानपुर दौरा था । जिस समय लखनऊ में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश की अच्छी कानून व्यवस्था का हवाला दे रहे थे ठीक उसी समय कानपुर में कुछ मुस्लिम अराजक तत्वों ने योगी सरकार की छवि को खराब करने के लिए उचित समय जानकर नुपूर के बयान की आड़ लेकर कानपुर में हिन्दुओं पर सुनियोजित आक्रमण कर दिया । पुलिस प्रशासन के तीखे तेवरों के कारण स्थिति पर शीघ्र ही नियंत्रण पा लिया गया । जिस समय टीवी चैनलों पर उप्र की ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी और राष्ट्रपति जी कानपुर यात्रा का प्रसारण होना था उस समय कानपुर की हिंसा टीवी चैनलों पर छा गयी ।
कानपुर की हिंसा मुस्लिम अराजक तत्वों और मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले राजनैतिक दलों की एक सोची समझी साजिश का ही परिणाम थी। यहां पर सभी को यह बात जाननी चाहिए कि कानपुर हिंसा के बाद समाजवादी पार्टी ने हिंसा के लिए भाजपा प्रवक्ताओं के बयानो को ही जिम्मेदार ठहराया था और समाजवादी पार्टी, बसपा व कांग्रेस सहित सभी विरोधी दल केवल और केवल भाजपा प्रवक्ता को पार्टी से निकालने की बात कर रहे थे, किसी ने भी दंगाइयों के खिलाफ़ एक शब्द भी नहीं कहा ।यहाँ पर यह बात भी विचारणीय है कि सपा नेताओं ने कानपुर हिंसा के लिए पीएफआई और मुस्लिम समाज को क्लीन चिट दी और अपनी पार्टी के नेता आजमी को भी नहीं हटाया जो कह रहा है कि अभी कानपुर जैसे दंगे और होंगे।
यहां तक भी गनीमत रही लेकिन पाकिस्तान सरकार के झूठे प्रचार और अरब देशों के हस्तक्षेप के बाद बात पूरी तरह बिगड़ गयी । इसमें सोशल मीडिया पर सक्रिय ऑल्ट न्यूज़ के फैक्ट चेकर जुबैर, अरफा खानम शेरवानी, सबा नकवी और राना अयूब जैसे लोगों की बड़ी भूमिका है जिस पर आज नहीं तो कल बड़े खुलासे होंगे । इन्होने नूपुर के बयान के सम्पादित अंश आग की तरह फैलाये।
जिसके बाद सऊदी अरब , कुवैत, बहरीन के स्टोर से भारतीय चीजें हटाई जाने लगीं । सोशल मीडिया पर बहिष्कार की अपील की जाने लग गयीं । भाजपा प्रवक्ताओं को गिरफ्तार करने का अभियान चलाया जाने लगा । पाकिस्तान व अरब देशों में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी ट्वीट किये जाने लगे । कतर ने भारतीय राजदूत को तलब किया और पैगम्बर मोहम्मद साहब पर की गयी टिप्पणी की निंदा की इसी दिन उपराष्ट्रपति कतर के दौरे पर थे। ओमान के मुफ्ती ने भी बीजेपी के खिलाफ अभियान चलाया और सभी मुस्लिम राष्ट्रो से एकजुट होने को कहा। कतर सहित अरब देशों के बढ़ते दबाव के बाद ही भाजपा ने यह कदम उठाया ।
अब भाजपा समर्थक अपनी ही पार्टी के इस निर्णय से नाराज हो गये हैं तथा कई सवाल उठा रहे हैं जिसके कारण बीजेपी के सामने एक नयी चुनौती आग यी है कि अब अंदर के नाराज लोगों को कैसे शांत रखा जाये।
प्रथम दृष्टया यह बात बिलकुल सही लगती है कि भपजा प्रवक्ता नुपूर शर्मा व नवीन जिंदल के खिलाफ एकतरफा कार्यवाही की गयी । किसी भी कार्यवाही से पहले भाजपा नेतृत्व को घटना की विवेचना करनी चाहिए थी। यह भी संभव था कि यह मामाल कुछ समय बाद अपने आप ही ठंडा पड़ जाता लेकिन ऑल्ट न्यूज़ और उसके सरपरस्तों ने बात को अंतर्राष्ट्रीय विशेष कर अरब देशों में इस तरह प्रचारित कर दिया कि वहां के नेता बीजेपी पर दबाव बनाने में सफल हो गये।
जबसे ज्ञानवापी परिसर में प्राचीन विश्वेश्वर शिवलिंग मिलने की बात सामने आई है और मुस्लिम पक्षकार व उनके समर्थक तथाकथित मुस्लिम राजनैतिक दल शिवलिंग को फव्वारा बताकर भगवान शिव ,उनके परिवार तथा अन्य देवी देवताओं का लगातार अपमान कर रहे हैं ।ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। सबा नकवी जैसे तथाकथित पत्रकारों ने एटॉमिक रिएक्टर को शिवलिंग कहकर उसका मजाक बनाया, दिल्ली के रतन लाल ने मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ दीं लेकिन कुछ नहीं हुआ।
कांग्रेस सहित तमाम वामपंथी विचारक और छुटभैये दलों के तथाकथित नेता हिंदू समाज की आस्था का लगातार अपमान कर रहे हैं। यह हिंदू समाज की सहनशीलता और धैर्य ही है कि वह आज स्वयंभू विश्वेश्वर महादेव के मिल जाने के बाद ही कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा है।
एक टीवी चैनल में एक मुस्लिम स्कॉलर ने भगवान शिव और शिवलिंग का बहुत ही अभद्र तरीके अपमान किया था जिसके बाद लोकप्रिय टीवी एंकर सुशांत सिन्हा को उस तथाकथित मुस्लिम स्कॉलर को बहस से निकाल देना पड़ा था । आजकल अलग अलग चैनलों पर आने वाले मुस्लिम स्कॉलर और मुस्लिम तुष्टिकरण में लगी पार्टियों के प्रवक्ता जिस अमर्यादित तरीके से हिंदू देवी- देवताओं तथा आस्था का अपमान करते हैं उसमें किसी भी धार्मिक आस्था वाले हिन्दू के लिए धैर्य बनाए रखना असंभव है, यही कारण है कि आम हिन्दू नूपुर शर्मा के पक्ष में दिखाई दे रहा है । टी वी चैनलों पर मुस्लिम व वामपंथी विचारक जिस प्रकार की भाषा और शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं उससे किसी का भी धैर्य जवाब दे सकता है। सरकार व कानून को ऐसे तत्वों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए तभी हम सही मायने में पंथनिरपेक्ष माने जायेंगे ।देश के किसी राजनैतिक दल के इतिहास में ऐसा संभवतः पहली बार हुआ है कि जब किसी दल ने अपने ही दो प्रवक्ताओं को एक साथ निलम्बित करके अपने ही लोगों को नाराज़ किया है।
अभी हाल ही में कश्मीर के सबसे बड़े अलगाववादी आतंकी नेता यासिन मलिक को दस मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गयी है और गुपकार गठबंधन ने उसका तीखा विरोध किया था । कल की घटना से ऐसे लोगो का मनोबल बढ़ गया है और अब यही गुट यासिन मलिक सहित और आतंकवादियां की रिहाई के लिए अभियान चला सकता है। तब बीजेपी नेतृत्व क्या करेगा यह भी देखने योग्य होगा। आज बीजेपी नेतृत्व कई फ्रंट पर लड़ाई लड़ रहा है। भारत सरकार पर पाकिस्तान मे पल रहे आतंकवादियों व उनके ठिकानों पर निर्णायक कार्यवाही का दबाव भी बढ़ रहा है ।
हिन्दू समाज की चेतना पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है । कुछ समय पूर्व कर्नाटक में हिजाब विवद के दौरान एक मुस्लिम लड़की हिजाब के समर्थन में अल्लाहू अकबर के नारे के साथ कूद पड़ी थी तब उसके समर्थन में हजारों लोग मैदान में उतर पड़े थे, सेकुलर टी वी चैनलों पर वह लड़की नायिक की तरह पेश की जा रही थी और सेकलर जमात उस लड़की का गुणगान कर रही थी ।
इसके विपरीत जब एक हिंदू महिला जिससे अपने आराध्य भगवान शिव और शिवलिंग का अपमान सहन नहीं हो पाया और उसने अपने प्रभु का अपमान करने वाले तत्वों को तीखा जवाब दे दिया तो आज वह नायिका अपने ही दल और लोगों में अकेली हो गयी । हिन्दू समाज एकजुट नहीं हो पाया । सरकार की बाध्यताएं हो सकती हैं लेकिन समाज की क्या बाध्यताएं हैं? समस्त मुस्लिम समाज व सेकुलर दलों ने अपनी उस नायिका को देश का पहला हिजाबी पीएम तक घोषित कर दिया और हम लोग क्या कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, उसका हर कार्यकर्ता व प्रवक्ता अपने आप में बहुत ही मजबूत व सशक्त है। भाजपा बेटी बचाओ व बेटी पढाओ का अभियान चला रही है, नारी सशक्तीकरण की बात कर रही है तो क्या बीजेपी अपनी ही दल की होनहार बेटी को ऐसे ही अकेला छोड़ सकती है?
नहीं, ऐसा नहीं है। वर्तमान परिस्थितियां नाजुक हैं। कई चीजें एक साथ हो रही हैं। लाडस्पीकर से लेकर सड़कों पर होने वाली अजान तक, ज्ञानवापी से लेकर मथुरा और कुतुबमीनार से लेकर लखनऊ की लक्ष्मण टीले वाली मस्जिद तक सभी जगह मामले कोर्ट में तेजी से चल रहे हैं। आतंकवादियों को कड़ी सजा मिल रही हैं, उनका आर्थिक साम्राज्य नष्ट हो रहा है जिसके कारण नफरत के बीज बोने वाले गैंग हैरान और परेशान और बदला लेने को आतुर हैं। इसी बीच उन्होंने नया व आसान निशाना नुपूर के रूप में खोज लिया दस दिन तक उस पर काम किया और सफल भी हो गए । लम्बे युद्ध में ऐसी छोटी जय पराजय स्वाभाविक है, हर दिन आपका नहीं होता।
भाजपा ने अपने प्रवक्ता नुपूर जी को निलम्बित किया है वह एक बेहद मजबूत नायिका हैं।। यह सेकुलर भारत है जहां हनुमान चालीसा पढने वाली हिंदू सांसद नायिका नवनीत राणा पर राजद्रोह का केस भी हो सकता है और हमारा समाज तमाशा देखता रहता है। यह कुछ समय की बात है, सब ठीक हो जायेगा।
आज जो लोग भाजपा नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं उसमें अधिकांश लोग वह हैं जो जो कभी कहते थे कि “रामलला हम आएँगे पर तारीख नहीं बताएँगे”, अब कह रहे हक यह कौन सा बड़ा काम किया है यह तो कोर्ट से हो रहा है। नुपूर की घटना की आड़ में भाजपा और मोदी जी के शत्रु अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं, भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं को इन्हें पहचानना चाहिए ।
भाजपा को अब किसी भी प्रकार से दबाया नहीं जा सकता। वर्तमान बड़े प्रयासों को पूरा करने के लिए सभी को शांत रखने के लिए एक फार्मूला निकालने का प्रयास किया है जिससे उसके अपने ही समर्थक नाराज़ हो गए हैं और अब उसकी आड़ में मोदी जी के राजनैतिक विरोधी अपनी रोटियां सेकने का प्रयास रहे हैं जो सफल होने वाले नहीं हैं ।
प्रेषकः- मृत्युंजय दीक्षित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *