Shadow

अज्ञान से नही होगी एकता

अज्ञान से नही होगी एकता
प्रो रामेश्वर मिश्र पंकज

इंडोनेशिया और मलेशिया का उदाहरण भारत के कतिपय हिंदू संगठन बारंबार देते रहे हैं।
पहले मैं समझता था कि यह केवल कूटनीतिक वक्तव्य हैं।
लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद भी वही वक्तव्य दोहराए जाते हैं ।
जिससे पता चलता है कि संघ और भाजपा के लोग इस विषय में आश्चर्यजनक अज्ञान में जीते हैं।
अज्ञान से कभी किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
इंडोनेशिया और मलेशिया को मुस्लिम देश बताकर वहां अभी भी भारतीय संस्कृति की छाप होने को गरिमा मंडित करना अज्ञान की पराकाष्ठा है ।
सच यह है कि दोनों ही देशों में डेढ़ हजार वर्षो से अधिक तक हिंदू राज्य रहे हैं और मुस्लिम राज्य हाल ही में हुआ है ।
इसलिए मुसलमान अभी तक वहां हिंदू संस्कृति और परंपराओं को खा नहीं पाए हैं ।
धीरे-धीरे वे उस को पूरी तरह खा जाएंगे और खाने के लिए तत्पर हैं ।
इस तथ्य को जाने बिना उनका उदाहरण देना अज्ञान और आत्मघाती वृत्ति का दयनीय दृष्टांत है ।
हमने अपनी पुस्तक में भी विस्तार से बताया है कि किस प्रकार मलेशिया और इंडोनेशिया दोनों हजारों वर्षों तक हिंदू राज्य रहे हैं ।
इनका सार फेसबुक में दो पोस्ट में हम बता रहे हैं।
पहली में मलयेशिया पर।दूसरी में इंडोनेशिया पर।
मलेशिया ईसा की पहली शताब्दी से और उससे भी पहले से हिंदू राज्य रहा है।
वस्तुतः भारत से 16वीं शताब्दी ईस्वी में गए मुसलमानों ने ही वहां क्रमशः इस्लाम का प्रभाव फैलाया और 20वी शती ईस्वी में ही वह पहली बार मुस्लिम राज्य अंग्रेजों की योजना से बना है।

दूसरी शताब्दी ईस्वी में यहां लंकाशुक का राज्य था।
इसके बाद यहां सातवीं से तेरहवीं शताब्दी ईस्वी तक श्री विजय साम्राज्य रहा ।
जिसे बाद में महाजपित नमक सम्राट ने प्राप्त किया ।
उनके बाद 15वीं शताब्दी ईस्वी में परमेश्वर नामक हिंदू राजा यहां राज्य करने लगे और फिर 16वी शती ईस्वी में भारत में फैलने के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी भी यहां फैलनेकी कोशिश करने लगी ।
पहले 1511 ईस्वी में पुर्तगालियों ने मलक्का पर आक्रमण किया जिसके बाद डच लोगों ने पुर्तगालियों से लड़कर मलक्का को प्राप्त किया और 1786 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहां डचों से लड़ाई छेड़ दी तथा 1826 ईसवी में अंग्रेजों और डचों में यानी ईस्ट इंडिया कंपनी और डच कंपनी में संधि हुई ।
इसके बाद वे लोग वहां छा गए और क्योंकि हिंदुओं से उन्हें भय था इसलिए उन्होंने यहां मुसलमानों को धीरे-धीरे पटाया ।
भारत से गए एक मुस्लिम जागीरदार ने ब्रुनेई में अपनी जागीर बना ली और फिर वह छल कपट करने लगा ।
इस बीच परमेश्वर के पुत्र को कुछ मुसलमानों ने अपनी बेटी भेजकर लुभाया और जब राजकुमार ने मुस्लिम युवती से विवाह की आतुरता प्रकट की तो उन्होंने शर्त रखी कि तुम मुसलमान बन जाओ तो हम शादी कर देंगे।आतुर राजकुमार मुसलमान बन गया ।
इससे पहली बार थोड़ी सफलता मुसलमानों को मिली।
राजकुमार का नया नाम सिकंदर शाह पड़ा।
सिकंदर शाह के जो वंशज लोग हुए वह मलक्का के आसपास फैलने लगे ।
धीरे-धीरे उन्होंने मलेशिया के व्यापार में एकाधिकार शुरू किया जैसा कि भारत में फलों तथा अन्य कई वस्तुओं के व्यापार में मुसलमान लोग कर रहे हैं।
ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारियों ने भारत से सीखते हुए हिंदुओं को तेजस्वी और वीर समझ कर उनके विरुद्ध मुसलमानों को बढाया।
इस बीच जापान ने द्वितीय महायुद्ध में मलेशिया पर आक्रमण किया जिससे कि मलेशिया के लोगों ने इंग्लैंड और फ्रांस से संधि कर ली ।
इसका लाभ उठाकर संधि करने वालों में मुस्लिम जागीरदारों ने सौदेबाजी की और अंत में द्वितीय महायुद्ध के बाद अंग्रेजों ने मलेशिया को स्वाधीनता देने की बात कही।
1963 ईसवी में मलेशिया पूरी तरह स्वतंत्र हो गया ।
इस प्रकार बीसवीं शताब्दी ईस्वी में यानी 60 वर्ष पहले ही पहली बार मलेशिया मुस्लिम राज्य बना है और इसीलिए वहां अभी तक हिंदू, हिंदू संस्कृति, हिंदूचिन्ह आदि शेष हैं।
परंतु मुस्लिम शासक और मुस्लिम संगठन पूरी तरह हिंदुओं को नष्ट करने के लिए कार्यरत हैं।
मुख्य बात यह है कि आज मलेशिया में 63 % लोग भूमिपुत्र कहे जाते हैंजो हिंदू रहे हैं और जिन्हें बलपूर्वक मुसलमान बनाया गया है 100 साल के भीतर।

इसलिए यहां हिंदू संस्कृति के अवशेष को हिंदू मुस्लिम एकता का आधार समझना मूर्खता की पराकाष्ठा है या फिर धूर्तता है ।
मुसलमानों में एक से एक अच्छे मनुष्य होते हैं ।हिंदुओं से कम अच्छे नहीं होते।परन्तु इस्लाम ने आज तक किसी भी गैर मुस्लिम समाज से सह अस्तित्व और सहजीवन स्वीकार नहीं किया है ।
मलेशिया में भी इस्लाम के लोग पूरी तरह हिंदू संस्कृति और प्राचीन संस्कृति को नष्ट करने के लिए सक्रिय हैं।उनका उदाहरण एकता के रूप में देना अज्ञान की पराकाष्ठा है।
वैसे भी जो जनगणना हुई उसमें 1940 ईस्वी के जो आंकड़े थे उस समय ब्रिटिश शासन ने जनगणना कराई थी जिनमें से 20% चीनी मूल के,11प्रतिशत भारतीय हिन्दू और और 34% मलय जन थे ।जिनमें से 20% ही मुस्लिम थे ।
परंतु मुसलमान बढ़ते चले गए।
मुसलमान हो गए लोगों में सबसे बड़ी संख्या हिंदू से मुसलमान बने लोगों की है ।जो हिन्दुओं को खा जाना चाहते हैं ।उनकी संस्कृति और धर्म को खा जाना चाहते हैं

हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए मलेशिया का उदाहरण देना बुद्धि हीनता की पराकाष्ठा है (अगर धूर्तता की पराकाष्ठा नहीं है तो)।
प्रो रामेश्वर मिश्र पंकज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *