साभार…
भारतीय सेना उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कल रात यह कहकर सनसनी फैला दी कि सेना किसी भी वक्त पीओके वापस लेने को तैयार है !
उन्होंने कहा कि बस भारत सरकार के आदेश की प्रतीक्षा है !
कुछ ही दिन बीते जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर में कहा था कि पीओके में कश्मीरी भाई नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं !
उन्होंने कहा था कि जिस प्रकार इधर के कश्मीर में निर्माण का दौर चला है वैसा ही विकास का दौर एक दिन गिलगित बाल्टिस्तान तक चलने वाला है !
सेना की ओर से ऐसा बयान ऐसे समय आया है जब सर्दियां सिर पर हैं । पाकिस्तान के भीतरी हालात कमजोर हैं , राजनैतिक नेतृत्व बेहद कमजोर है । बाजवा को सेनाध्यक्ष के पद से हटाने की तैयारी चल रही है । नए सेनाध्यक्ष को लेकर खुद सेना में भारी मतभेद हैं । याद रखिए , गृह मंत्री अमित शाह धारा 370 हटाते समय संसद में सीना ठोककर कह चुके हैं कि एक दिन पीओके भी हमारा होगा ।
भारत के राजनैतिक क्षेत्रों में काफी समय से कहा जा रहा है की 2024 के पहले दो बड़ी घटनाएं देश में होने जा रही हैं । एक रामलला के दर्शन प्रारंभ और दो पीओके की वापसी । सेना की ओर से अचानक आए बयान से काफी हद तक साफ हो गया है कि कुछ बहुत बड़ा होने में अब ज्यादा देर नहीं है ।
इस में कोई शक नहीं कि पिछले आठ वर्षों से देश में काफी बड़े बड़े निर्णय लेने का क्रम बराबर जारी है । उन तमाम मुद्दों पर साहसिक निर्णय हुए हैं , जिन पर पिछले जमाने की सरकारें सोच भी नहीं सकती थी । जैसे तीन तलाक और 370 का हटना । राम मंदिर का बनना । और भी बहुत से फैसले हैं । निश्चित रूप से नेहरू जी और इंदिरा गांधी ने भी बहुत से अहम फैसले लिए हैं , बंगलादेश बनाने जैसा कारनामा कर दिखाया है ।
लेकिन पीओके भी कांग्रेस ने गंवाया , हजारों वर्ग किलोमीटर बॉर्डर भी कांग्रेस ने चीन को दिया और 93 हजार सैन्य युद्धबंदी बगैर पीओके का सौदा किए वापस लौटाकर आत्मघाती निर्णय भी कांग्रेस ने ही लिया । कांग्रेस ने देश का निर्माण भी खूब किया और बड़े बड़े जख्म भी मातृभूमि के जिस्म पर बेइलाज छोड़ दिए । यही नहीं , शास्त्री जी ने भी 1965 की लड़ाई में जीती हजारों हैक्टेयर जमीन पाकिस्तान से पीओके पर सौदा किए बगैर लौटा थी । वह तो ताशकंद में उनका निधन हो गया वरना भारत लौटने पर उनका स्वागत काले झंडों से करने और पीएम पद से त्यागपत्र की मांग की तैयारियां शुरू हो गई थी ।
कांग्रेस से अनेक बड़ी और आत्मघाती गलतियां भी हुई । उदाहरण के लिए इस्लामिक राष्ट्र के रूप में भारतमाता की दो भुजाएं काटकर पाकिस्तान के रूप में जिन्ना को दे दी गई । लेकिन भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के बजाय सेक्युलर स्टेट घोषित कर दिया गया । क्या यह बहुत भयंकर भूल नहीं थी कि नेहरू पीओके का मसला अपने आप ही यूएनओ के हवाले कर आए ? जबकि ऐसी मांग ही किसी ने नहीं की थी । 370 थोपकर कश्मीर में अलगाववाद को जन्म दिया ? और भी ना जाने क्या क्या ?
सदियों की गुलामी के बाद आजादी दिलाने में कांग्रेस का सबसे बड़ा योगदान था । कांग्रेस तब कोई पार्टी नहीं एक आंदोलन थी , जिसमें पूरा देश शामिल था । यही कारण था कि भारत के आजाद होने के बाद बापू ने कांग्रेस को भंग करने की सलाह दी थी । महात्मा गांधी जानते थे कि कांग्रेस कोई पार्टी नहीं , एक देश है , एक आंदोलन है । उन्होंने कहा था कि कांग्रेस रूपी आंदोलन का मकसद समाप्त हुआ , इसे भंग कीजिए , अपनी नई पार्टी बनाइए । काश ऐसा हो जाता तो कांग्रेस का नाम एक आंदोलन के रूप में भारत वासियों के दिलों पर अंकित हो जाता । खैर , जो बिगड़ा सो बिगड़ा । पीओके वापस लेकर यदि भूल सुधार की अब तैयारी है तो सारे देश को उसके साथ खड़ा होना चाहिए ।
अवधेश प्रताप सिंह कानपुर उत्तर प्रदेश,
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