2047 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिले 100 साल पूरे हो जाएँगे। तब तक का रास्ता आसान होगा, ऐसा नहीं है। वो देश जिसे दो हिस्सों इस्लामिक पाकिस्तान और धर्मनिरपेक्ष भारत में बाँट दिया गया था, उसके बँटवारे के 100 साल पूरे होने से पहले एक नापाक मंसूबा सामने दिखाई दे रहा है। इस नापाक मंसूबे को पूरा करने के लिए कट्टर इस्लामी और वामपंथी भारत को एक बार फिर उन परिस्थितियों की ओर धकेल रहे हैं, जिसके कारण पहले उसका विभाजन हुआ था।
जुलाई 2022 में, एक खास दस्तावेज़ की डिटेल निकाली थी, जो प्रतिबंधित कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने अपने सदस्यों को प्रसारित किया था। ‘विजन 2047’ नाम के दस्तावेज में गजवा-ए-हिंद के रोडमैप की डिटेल थी। इसमें उनकी योजना मुस्लिमों को कट्टरपंथी बनाना, ‘कायर हिंदुओं’ पर पूरी तरह से हावी होना, भारतीय संविधान को शरीयत कानून में बदल देना, हिंदुओं का नरसंहार करना और भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र में बदल देना है।
महाराष्ट्र एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) ने 2 फरवरी 2023 को 5 पीएफआई आतंकवादियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की, जिन्हें गैरकानूनी गतिविधियों और राष्ट्र के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन के खिलाफ देशव्यापी छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था। महाराष्ट्र एटीएस की मुंबई इकाई ने जिन 5 आरोपितों को गिरफ्तार किया उनके नाम हैं – मजहर खान, सादिक शेख, मोहम्मद इकबाल खान, मोमिन मिस्त्री और आसिफ हुसैन खान। पीएफआई के साथ इनका कनेक्शन था। यही नहीं, पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई शुरू होने के बाद से इस्लामिक संगठन से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादियों को कई एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है।
महाराष्ट्र एटीएस द्वारा 5 आरोपितों के खिलाफ दायर चार्जशीट 600 से अधिक पन्नों की है। इसमें बताया गया है कि आरोपित 2047 तक भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र में बदलने की दिशा में कैसे काम कर रहे थे। विजन 2047 दस्तावेज, जिसे जुलाई 2022 में ऑपइंडिया द्वारा विशेष रूप से विस्तार से बताया गया था, को भी इसमें संलग्न किया गया है। चार्जशीट में पीएफआई के नापाक मंसूबों और उनकी योजनाओं को पूरा करने के लिए उनके गुर्गों के काम करने के खूँखार तरीकों को भी बताया गया है।
चार्जशीट में उन 5 आरोपितों के बारे में निम्नलिखित खुलासे किए गए हैं, जो PFI से जुड़े आतंकी थे:
पीएफआई और आतंकवादी संगठन के साथ काम करने वाले कट्टर इस्लामी देश के खिलाफ साजिश रच रहे थे।
महाराष्ट्र के चेंबूर, धारावी, कुर्ला, ठाणे, नेरुल, पनवेल और मुंब्रा में पीएफआई सदस्यों द्वारा गुप्त बैठकें की गईं। इन बैठकों में, उन्होंने योजना बनाई कि देश के खिलाफ कैसे काम किया जाए, मुस्लिमों को कट्टरपंथी बनाने और 2047 तक भारत को एक इस्लामी राष्ट्र में बदलने के लिए साजिश भी रची गई।
पीएफआई ने मुस्लिमों को अपने साजिश का हिस्सा बनाने के लिए उन्हें विश्वास दिलाने की योजना बनाई थी कि देश इस्लाम के खिलाफ काम कर रहा है और उन्हें हिंदुओं के खिलाफ एकजुट होना है।
पीएफआई का मंसूबा इस्लामी शरिया के साथ भारत के संविधान को बदलने की दिशा में काम करना है।
वे भारत को इस्लामी राज्य बनाना चाहते हैं।
वे चाहते थे कि मुस्लिमों को केवल मुस्लिमों के रूप में ही जाना जाए न कि भारतीयों के रूप में।
पीएफआई ने मुस्लिमों के खतरे में होने और उन पर अत्याचार होने के दुष्प्रचार को आगे बढ़ाया।
पीएफआई पैसा जुटाना चाहता था और भारतीय लोकतंत्र को खत्म करने के लिए विदेशी संगठनों से मदद लेना चाहता था। यही नहीं, भारत को इस्लामी राष्ट्र में बदलने की अपनी योजना को पूरा करना चाहता था।
आरोपितों में से दो को कानून का ज्ञान था और वे उसी के अनुसार टीम का मार्गदर्शन कर रहे थे।
आरोपितों में से एक मुस्लिम युवकों को भर्ती करने के खिलाफ था।
साल 2047 पीएफआई द्वारा दी गई केवल एक समय सीमा नहीं है। बल्कि वामपंथी भी सामाजिक न्याय की आड़ में भारत में अशांति फैलाने के लिए इसी तरह के एजेंडे को चला रहे हैं।
8 फरवरी को लेखक और शिक्षाविद राजीव मल्होत्रा ने हार्वर्ड में होने वाले एक कार्यक्रम के बारे में ट्वीट किया, जहाँ भारत पर ‘जाति’ का ट्रायल होगा। उन्होंने ट्वीट किया कि कई भारतीय दानदाता इस कार्यक्रम को प्रायोजित कर रहे हैं।
11 फरवरी 2023 को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का नाम हार्वर्ड 2023 में भारत सम्मेलन रखा गया है। हार्वर्ड वेबसाइट पर इसके बारे विवरण दिया गया है। हार्वर्ड में वार्षिक भारत सम्मेलन के दौरान होने वाली पैनल चर्चाओं में से एक का शीर्षक है, “2047 तक जाति को खत्म करने के लिए क्या करना होगा।”
हार्वर्ड इवेंट शेड्यूल का स्क्रीनशॉट
इस पैनल में शामिल वक्ताओं ने भारत की एकता को तोड़ने वाले लफ्ज़ों का इस्तेमाल किया और हिंदुओं के खिलाफ पीएफआई की तरह जहर उगला। सेंटर फॉर सोशल इक्विटी एंड इंक्लूजन (CSEI) और नेशनल यूथ इक्विटी फोरम (NYEF) के सह-संस्थापक और निदेशक सत्येंद्र कुमार का ट्विटर प्रोफाइल देखने के बाद आपको पता चल जाएगा कि उनकी सोच क्या है। दिल्ली के हिंदू-विरोधी दंगे भड़कने से कुछ दिन पहले उनका उद्देश्य काफिरों को सबक सिखाना था। कुमार ने 2020 में ट्वीट किया था, “ना तो हम CAA-NPR-NRC आने देंगे, ना ही मोदी को जिम्मेदारी से भागने देंगे!”
उन्होंने कन्हैया कुमार के ट्वीट को भी रीट्वीट किया था, जिन्होंने पीएफआई के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला था।
ट्वीट को सत्येंद्र कुमार ने रीट्वीट किया
वार्ता के अन्य पैनलिस्ट, दलित लेखक चंद्रभान प्रसाद प्रचार-प्रसार के अनुभवी हैं। 2018 में, जब भीमा-कोरेगाँव घटना के बाद नक्सलियों द्वारा दंगा किया गया, तो चंद्रभान प्रसाद ने इसके लिए ऑरेंज ब्रिगेड को दोषी ठहराया था।
उन्होंने हाल ही में कॉन्ग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी को समर्थन भी दिया था।
अगले पैनलिस्ट थेनमोझी साउंडराजन (Thenmozhi Soundararajan) हैं, जो इक्वैलिटी लैब्स के कार्यकारी निदेशक हैं। इक्वैलिटी लैब्स संयुक्त राज्य अमेरिका में ब्राह्मणवाद विरोधी जाति सक्रियता समूह है। इसका प्रभाव इतना है कि ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने एक बार बड़े पैमाने पर विवाद खड़ा कर दिया था। डोर्सी ने 2018 में, जो प्लेकार्ड पकड़ा था, उसमें ‘Smash the Brahminical Patriarchy’ (ब्राह्मणवादी पितृसत्ता की धज्जियाँ उड़ा दो) लिखा था। इसकी वजह से इस पहचान से जुड़े लोगों ने ट्विटर पर डोर्सी की आलोचना की थी और उन्हें हिंसा का समर्थक और एक पहचान विशेष का विरोधी बताया था। इक्वैलिटी लैब्स ने अमित जानी के खिलाफ भी कड़ा अभियान चलाया, जिन्होंने जो बिडेन अभियान में काम किया था, उन पर ‘हिंदू फासीवाद’ का समर्थन करने का आरोप लगाया गया।
इस कार्यक्रम में दलित लेखिका यशिका दत्त भी पैनलिस्ट हैं। हिंदुओं के खिलाफ अक्सर जहर उगलने वाली यशिका ने सीएए के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन का भी समर्थन किया था और मुस्लिम अपराधियों को बचाने का प्रयास किया था।
यही नहीं हार्वर्ड सम्मेलन में हिंदुओं को गलत ठहराने, कट्टर इस्लामियों द्वारा उन पर किए जा रहे अत्याचारों को क्लीन चिट देने के अलावा मुस्लिम समुदाय को पीड़ितों के रूप में पेश किया जाएगा।
हार्वर्ड इवेंट शेड्यूल का स्क्रीनशॉट
हर्ष मंदर भी पैनल के सदस्य हैं। हर्ष मंदर सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के एक विदेशी वित्त पोषित एनजीओ, सोनिया गाँधी की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी थे, जिसने हिंदू विरोधी सांप्रदायिक हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार किया था। ध्यान दें कि मार्च 2020 में, हर्ष मंदर ने कैसे मुस्लिमों को सड़कों पर आने के लिए उकसाया और हिंसा भड़काने का प्रयास किया था।
इससे यह प्रमाणित होता है कि वामपंथी जो भारत की संप्रभुता पर हमला करते रहे हैं, वे अब सम्मेलनों में हिंदू के खिलाफ अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। वे इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि 2047 तक भारत को कैसा होना चाहिए। उनका उद्देश्य 2047 तक भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र में बदलना है। यहाँ यह कहना गलत नहीं होगा कि कट्टर इस्लामी और वामपंथी भारत में अशांति पैदा करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर रहे हैं, जो 1947 में भारत के विभाजन और हिन्दुओं के नरसंहार का कारण थी।