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Author: Dialogue India

युगांडा से सूडान संकट तक:बदलती भारतीय विदेश नीति

युगांडा से सूडान संकट तक:बदलती भारतीय विदेश नीति

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, समाचार
आर.के. सिन्हा सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल के बीच चल रहे भीषण गृहयुद्ध के चलते वहां हालात तो बद से बदतर होते चले जा रहे हैं। ऐसे में वहां फंसे हजारों भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाने को लेकर सारा देश चिंतित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूडान में फंसे भारतीयों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकासी के लिए विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं । मतलब यह कि अब सरकार एक्शन मोड में आ गई है। यह बदले हुए मजबूत भारत का नया चेहरा है। अब जहां पर भी भारतवंशी या भारतीय संकट में होते हैं, तो भारत सरकार पहले की तरह हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठती। आपको याद ही होगा कि रूस-यूक्रेन जंग के कारण हजारों भारतीय मेडिकल छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंस गए थे। उन्हें भारत सरकार तत्काल सुरक्षित स्वेदश लेकर आई। भारत के हजारों विद्यार्थी यूक्रेन में थे। वे वहां पर मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग औ...
सोशल मीडिया के खतरों से कैसे बचें ?

सोशल मीडिया के खतरों से कैसे बचें ?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
विनीत नारायणजब देश में सोशल मीडिया का इतना प्रचलन नही था तब जीवन ज्यादा सुखमय था। तकनीकी की उन्नति ने हमारेजीवन को जटिल और तानवग्रस्त बना दिया है। आज हर व्यक्ति चाहे वो फुटपाथ पर सब्जी बेचता हो या मुंबई केकॉर्पोरेट मुख्यालय में बैठकर अरबों रूपये के कारोबारी निर्णय लेता हो, चौबीस घंटे मोबाइल फ़ोन और सोशलमीडिया के मकड़जाल में उलझा रहता है। जिसका बेहद ख़राब असर हमारे शरीर, दिमाग और सामाजिक संबंधोंपर पड़ रहा है।नई तकनीकी के आगमन से समाज में उथल पुथल का होना कोई नई बात नही है। सामंती युग से जब विश्वऔद्योगिक क्रांति की और बड़ा तब भी समाज में भरी उथल पुथल हुई थी। पुरानी पीढ़ी के लोग जीवन में आए इसअचानक बदलाव से बहुत विचलित हो गए थे। गाँव से शहरों की और पलायन करना पड़ा, कारखाने खुले औरशहरों की गन्दी बस्तियों में मजदूर नारकीय जीवन जीने पर विवश हो गये। ये सिलसिला आज तक रुका नही है।भारत जैसे देश में...
24 अप्रैल – राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस

24 अप्रैल – राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
बिखर गई पंचायतें, रूठ गए है पंच।भटक राह से है गए, स्वशासन के मंच।। राज्य सरकार स्थानीय नौकरशाही के माध्यम से स्थानीय सरकारों को बाध्य करती हैं। उदाहरण के लिए, सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं के अनुमोदन के लिए अक्सर ग्रामीण विकास विभाग के स्थानीय अधिकारियों से तकनीकी स्वीकृति और प्रशासनिक अनुमोदन की आवश्यकता होती है, सरपंचों के लिए एक थकाऊ प्रक्रिया जिसके लिए सरकारी कार्यालयों में बार-बार जाने की आवश्यकता होती है। स्थानीय कर्मचारियों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखने की सरपंचों की क्षमता सीमित है। कई राज्यों में, पंचायत को रिपोर्ट करने वाले स्थानीय पदाधिकारियों, जैसे ग्राम चौकीदार या सफाई कर्मचारी, की भर्ती जिला या ब्लॉक स्तर पर की जाती है। अक्सर सरपंच के पास इन स्थानीय स्तर के कर्मचारियों को बर्खास्त करने की शक्ति भी नहीं होती है। -डॉ सत्यवान सौरभ आजकल हमें ऐसी ख़बरें सुनंने और पढ़ने क...
आंबेडकरवाद ने कभी नहीं खोया अपना स्वरूप

आंबेडकरवाद ने कभी नहीं खोया अपना स्वरूप

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
प्रो. सुनील गोयल रूढ़िवादी, शोषित, अमानवीय, अवैज्ञानिक, अन्याय एवं असमान सामाजिक व्यवस्था से दुखी मानवों की इसी जन्म में आंदोलन द्वारा मुक्ती प्रदान कर, समता–स्वतंत्र–बंधुत्व एवं न्याय के आदर्श समाज में मानव और मानव (स्त्री पुरुष समानता भी) के बीच सही सम्बन्ध स्थापित करने वाली नयी क्रांतिकारी मानवतावादी विचारधारा को अम्बेडकरवाद कहते है।जाति-वर्ग, छूत-अछूत, ऊँच-नीच, स्त्री-पुरुष, शैक्षिक व्यवस्था, रंगभेद की व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाकर एक न्याययुक्त, समानतायुक्त, भेद-भाव मुक्त, वैज्ञानिक, तर्कसंगत एवं मानवतावादी सामाजिक व्यवस्था बनाने वाले तत्वज्ञान को अम्बेडकरवाद कहते है।जिससे मानव को इसी जन्म में रूढ़िवादी जंजीरो से मुक्त किया जा सके। व्यक्ति विकास के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने की दृष्टी से समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व और न्यायिक् इन लोकतंत्र निष्ठ मानवीय मूल्यों को आधारभूत ...
मानव जीवन को बचाने के लिये पृथ्वी संरक्षण जरूरी

मानव जीवन को बचाने के लिये पृथ्वी संरक्षण जरूरी

TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
विश्व पृथ्वी दिवस -22 अप्रैल 2023- ललित गर्ग- पृथ्वी सभी ग्रहों में से अकेला ऐसा ग्रह है जिसपर अभी तक जीवन संभव हैं। मनुष्य होने के नाते, हमें प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने वाली गतिविधियों में सख्ती से शामिल होना चाहिए और पृथ्वी को बचाना चाहिए क्योंकि यदि पृथ्वी रहने के लायक नहीं रही तो मनुष्य का विनाश निश्चित है। प्रदूषण और स्मॉग जैसी समस्याओं से निपटने के लिए पृथ्वी दिवस विश्व भर में मनाया जाता है। वहीं, लोगों को संदेश देने के लिए सरकार द्वारा कुछ बेसिक थीम भी तय किए जाते हैं। हर साल प्रकृति एवं पर्यावरण चुनौतियों को ध्यान में रख कर पृथ्वी दिवस के लिए एक खास थीम रखी जाती है और उस थीम के अनुसार टारगेट अचीव करने का प्रयास किया जाता है। इस बार विश्व पृथ्वी दिवस की थीम ‘इन्वेस्ट इन अवर प्लैनेट’ है। पृथ्वी दिवस या अर्थ डे जैसे शब्द को दुनिया के सामने लाने वाले सबसे पहले व्यक्ति थे...
यदि लैंगिकता के आधार पर स्त्री-पुरुष का निर्धारण नहीं होगा तो कितनी अव्यवस्था फैल जाएगी

यदि लैंगिकता के आधार पर स्त्री-पुरुष का निर्धारण नहीं होगा तो कितनी अव्यवस्था फैल जाएगी

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इसका शायद अनुमान भी यह टिप्पणी करने वाले जजों को नहीं है।कल कोई पुरुष कहेगा कि● मैं ऐसा मानता हूंँ कि मैं स्त्री हूँ और मेट्रो ट्रेन में महिला डिब्बे में सवार हो जाएगा, तो उसे किस कानून के तहत रोकेंगे?● किसी ने कहा कि वह तो स्वयं स्त्री मानता है... कोर्ट उसे इस आधार पर छोड़ देगी कि 'यह स्त्री है', दूसरी स्त्री का बलात्कार नहीं कर सकती?● यदि कोई पति-पत्नी तलाक के लिए अदालत पहुंचे, पत्नी भरण-पोषण मांगा और पति ने कह दिया कि'मैं तो स्वयं को स्त्री मानता हूँ।' तो क्या होगा?चूंकि स्वयं सुप्रीमकोर्ट कह चुका है कि लैंगिकता के आधार पर स्त्री-पुरुष का निर्धारण नहीं हो सकता, तो भला उस महिला को खुद को महिला मानने वाले पति से भरण-पोषण कैसे दिलाएगा?● यदि कोई पुरुष कहेगा कि 'मैं स्वयं को गर्भवती स्त्री मानता हूँ, इसलिए मुझे मातृत्व अवकाश दो, तो क्या उसे मातृत्व अवकाश मिल जाएगा?जज साहब ये SSC की रीजनिंग ...
साभार…ज्योतिरादित्य_सिंधिया

साभार…ज्योतिरादित्य_सिंधिया

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साभार...#ज्योतिरादित्य_सिंधिया_ने_राहुल_गन्दगी_की_सजा_के_बाद_उसे_काग्रेस_में_मिल_रही_विशेष_तवज्जो_पर हमला करते हुए कहा "पार्टी न्याय पालिका पर दबाव डालने और प्रासंगिक बने रहने की हर संभव कोशिश कर रही है सिंधिया ने काग्रेस पर हमला करते हुए कहा पार्टी एक पिछड़े वर्ग के पूरे समुदाय को चोर कहती है सैनिक की वीरता के प्रमाण मांगती है ये तक बयान दिया काग्रेस ने कि हमारे जवानों की चीन द्वारा पिटाई की गई है ऐसी पार्टी की एक विचार धारा बची है और वो है देशद्रोह व देश के विरुद्ध कार्य करने की विचारधारा कुछ लोग काग्रेस में "प्रथम श्रेणी के नागरिक" हैं जिस लिए काँगी नेता अलग कानून की मांग कर रहे हैं"...?पवन खेड़ा जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के स्वर्गीय पिता के लिए अपमानजनक शब्द बोलने में आगे रहता है,मोदी को कह रहा है कि हम मोदी को दोस्ताना सलाह देंगे कि जिस व्यक्ति को राहुल गन्दगी और काग्रेस ने इतना...
22 अप्रैल अक्षय तृतीया: भगवान परशुराम जी का अवतार दिवस

22 अप्रैल अक्षय तृतीया: भगवान परशुराम जी का अवतार दिवस

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सबसे व्यापक और प्रचण्ड अवतार है परशुरामजी का झूठी है उनके क्रोधी होने और क्षत्रिय क्षय की बातें --रमेश शर्मा पृथ्वी पर सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना के लिये भगवान् नारायण ने अनेक अवतार लिये हैं। इनमें परशुरामजी का अवतार पहला पूर्ण अवतार है । जो सर्वाधिक व्यापक है । संसार का ऐसा कोई कोना, कोई क्षेत्र या कोई देश ऐसा नहीं जहाँ भगवान् परशुरामजी की स्मृति या चिन्ह नहीं मिलते हों । उन्होंने संसार में शाँति और मानवता की स्थापना के लिये पूरी पृथ्वी की सतत यात्राएँ की । यदि यह कहा जाय कि विश्व में आर्यत्व की स्थापना भगवान् परशुरामजी ने की तो यह सच्चाई का महत्वपूर्ण तथ्य होगा ।भगवान् परशुरामजी का चरित्र वैदिक और पौराणिक इतिहास में सबसे प्रचण्ड और व्यापक है । उन्हे नारायण के दशावतार में छठे क्रम पर माना गया । वे पहले पूर्ण अवतार हैं । उन्हे चिरंजीवी माना गया इसीलिए ऊनकी उपस्थित हरेक युग में म...
April 22, Earth Day 2023 Special

April 22, Earth Day 2023 Special

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धरती माता की रक्षा करें और आने वाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर जगह बनाएं महात्मा गांधी ने एक बार कहा था - पृथ्वी हर आदमी की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रदान करती है, लेकिन हर आदमी के लालच को नहीं। मनुष्यों ने पिछले 25 वर्षों में पृथ्वी के जंगल के दसवें हिस्से को नष्ट कर दिया है और यदि प्रवृत्ति जारी रहती है तो एक सदी के भीतर कुछ भी नहीं बचा हो सकता है। करंट बायोलॉजी जर्नल में कुछ महीने पहले प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दो अलास्का के आकार का एक विशाल क्षेत्र - लगभग 3.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर - 1993 के बाद से मानव गतिविधि से कलंकित हो गया है। मनुष्य पृथ्वी पर सभी बायोमास का केवल 0.01% खाता है, लेकिन ग्रह का इतना छोटा हिस्सा होने के बावजूद, उन्होंने सभी जंगली स्तनधारियों के 83% और सभी पौधों के आधे हिस्से का विनाश किया है। हमें खुद को यह याद दिलाने की आवश्यकता बढ़ रही है कि हमें अपनी आन...
भारत में शिक्षा – “मौलिक भारत” के स्थान पर “भ्रमित भारत” बनाने के खेल – अनुज अग्रवाल, संपादक, डायलॉग इंडिया

भारत में शिक्षा – “मौलिक भारत” के स्थान पर “भ्रमित भारत” बनाने के खेल – अनुज अग्रवाल, संपादक, डायलॉग इंडिया

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भारत के शिक्षा संस्थानों में भारतीय परंपरागत ज्ञान व विद्या को नहीं पढ़ाया व सिखाया जाता वरन् हमारा शिक्षा तंत्र , पश्चिमी शिक्षा तंत्र की कॉपी मात्र है।चूँकि भारत का शासन तंत्र भी पश्चिम की कॉपी है तो शिक्षा तंत्र भी वैसा ही होना स्वाभाविक है। मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति में भारत के शिक्षा तंत्र व शासन व्यवस्था का भारतीयकरण करने का उद्देश समाहित है किंतु क्या ऐसा हो पाना संभव है? वैसे भी लागू होने की प्रक्रिया में ही इस नीति में इतने अधिक संशोधन हो चुके हैं व कई प्रस्तावों को लागू करने में टालमटोल हो रही है कि मूल उद्देश्यों को पाना असंभव सा हो गया है।देश का वर्तमान शिक्षा तंत्र कितना प्रभावी अथवा खोखला है इसका गहन विश्लेषण आवश्यक है ताकि सच से सामना हो सके।हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति का गठन किया है जो देश के प्रत्येक वकील की डिग्री की वैधता की जाँच करेगा। देश में ला कॉ...